Nepali Community News: आरएसएस की इकाई ने अपनों के लिए खड़ी की मुश्किलें

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Nepali Community News: इंदौर कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन के बाद नेपाली समाज में भीतर ही भीतर आक्रोश

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भोपाल/इंदौर। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज नेपाली समाज (Nepali Community News) से जुड़ी है। यहां रहने वाले नेपाली मूल के नागरिक इंदौर में हुए एक घटनाक्रम के बाद भीतर ही भीतर आक्रोशित है। हालांकि खुलकर बोलने को कोई भी संगठन तैयार नहीं है। मामला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आरएसएस की एक इकाई से जुड़ा है। जिसने पिछले दिनों इंदौर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। जिसके बाद आरएसएस की इकाई के भीतर ही भीतर खींचतान मच गई। अब यह पूरा मामला केंद्रीय नेतृत्व के पाले में चला गया है।

यह है मामला

चार दिन पहले इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह (Manish Singh) को नेपाली संस्कृति परिषद की इकाई ने ज्ञापन सौंपा था। इसमें हस्ताक्षर वहां के जिला अध्यक्ष गजेन्द्र प्रताप गुरुंग (Gajendra Pratap Gurung) के अलावा कई अन्य ने किए थे। इसमें कहा गया था कि परिषद 10 साल से नेपाली समाज के उत्थान के लिए काम कर रहा है। संगठन सामाजिक गतिविधियों का भी काम करता है। इसमें आगे लिखा गया कि पिछले कई वर्ष से नेपाल के नाम पर कई प्रवासी नेपाली माओवादी गतिविधियों का कार्य कर रहे हैं। यह समाज पर धन एकत्र करने का भी दबाव बनाते हैं। अत: ऐसे लोगों की जांच की जाए। यह जानकारी इंदौर (Indore News) के स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ। जिसकी कतरने सोशल मीडिया के जरिए बांटी जाने लगी।

मुकरने लगे पदाधिकारी

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ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

नेपाली संस्कृति परिषद आरएसएस की विंग है। यह नेपाली समाज से जुड़े विषयों पर काम करती है। इस मामले में उपाध्यक्ष अनीता थापा (Anita Thapa) ने पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जाहिर की। वहीं अध्यक्ष गजेन्द्र प्रताप गुरुंग ने कहा कि वे कलेक्टर कार्यालय समाज की मांग को लेकर गए थे। मांग पर उन्होंने बताया कि सिलाई मशीन और परिषद के लिए जमीन आवंटन के विषय थे। ऐसा करने के लिए सागर चौकसे की तरफ से फोन करके बोला गया था। अध्यक्ष ने आरोपों से किनारा करते हुए कहा कि नेपाली समाज के किसी सदस्य के खिलाफ उनके पास ऐसे कई सबूत नहीं है। जबकि सागर चौकसे (Sagar Chokse) ने कहा कि उन्होंने जो भी बातें कहनी थी वह उसी दिन बता दी है। मतलब साफ है कि वे अपने आरोपों से नहीं मुकरे।

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बैठक बुलाई गई

इन आरोपों के बाद कई नेपाली नागरिकों ने खुद को किनारा करने का काम शुरु कर दिया है। जबकि यह बात मीडिया रिपोर्ट में आने के बाद पदाधिकारी बैकफुट पर आ गए। परिषद के प्रदेश प्रभारी दिलीप श्रीवाल (Dilip Shrival) ने कहा कि इस मामले को लेकर जल्द एक बैठक बुलाई गई है। उसमें अगली कार्रवाई के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा कहा से चली यह सभी को पता है। भारत के अहित में कोई ऐसी कोशिश न करें उसके लिए काम कर रहे हैं। जबकि केंद्रीय महामंत्री हर्क बहादुर स्वार (Hark Bahadur Swar) के दोनों नंबर बंद थे। उनसे कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया। स्वार नेपाली संस्कृति परिषद के सक्रिय सदस्यों में से एक है।

प्रदेश अध्यक्ष बयान से पलटे

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यह है वह ज्ञापन जिसके बाद एमपी में आरएसएस और नेपाली समाज में हड़कंप मचा हुआ है।

ज्ञापन देने के बाद कई सदस्यों ने अपने सोशल प्लेटफार्म पर कलेक्टर मनीष सिंह के साथ तस्वीरें साझा की थी। लेकिन, जैसे ही मीडिया रिपोर्ट सामने आई तो वह डिलीट की जाने लगी। इतना ही नहीं बंद कमरों में बैठकों का दौर शुरु हो गया। इन आरोपों को लेकर नेपाली संस्कृति परिषद के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुरुंग (Sanjay Gurung) पूरे बयान से मुकर गए। उन्होंने कहा कि नेपाली नागारिकों ने भारत के कई युद्धों में विरोधियों को सबक सिखाते हुए अपनी ईमानदारी की मिसाल पेश की है। इन आरोपों पर उनका कहना था कि हम इस बात का समर्थन नहीं करते है। फिर भी जांच एजेंसियों को लगता है तो वे निष्पक्ष होेकर मामले की जांच कर सकती है।

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भीतर की यह है कहानी

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इस घटना की भोपाल में भी धमक सुनाई दे रही है। दरअसल, यहां नेपाली समाज (Nepali Samaj) के कई कारोबारी भी है। वे इन आरोपों से सकते में आ गए। नेपाली कारोबारियों को अपने व्यवसाय की चिंता सताने लगी। इस मामले में हमारी तरफ से तीन दिन से पड़ताल की जा रही थी। इन आरोपों को लेकर कई बुद्धिजीवियों, व्यापारियों और संगठन के सक्रिय सदस्यों से चर्चा की गई। जिसके बाद यह तथ्य निकलकर आया कि इंदौर में दो लोग सोसायटी चलाते हैं। एक नेपाली संस्कृति परिषद के सदस्य है तो दूसरे वामपंथी विचारधारा का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता। सूत्रों ने बताया कि दोनों के बीच सदस्यों को जोड़ने खींचतान चलती है। इसी अंदरुनी जंग ने दूसरे सामान्य नेपाली नागरिकों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।

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भोपाल में दिखने लगा असर

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राजा भोज सेतु— फाइल चित्र

इंदौर में हुई इस घटना के साइड इफेक्ट जहां परिषद के लिए खराब हैं तो दूसरे संगठनों के लिए भी मुश्किल भरे हैं। दरअसल, भोपाल में अलग—अलग तरह के आधा दर्जन नेपाली समाज के संगठन है। इसमें एक कांग्रेस विचारधारा, दो वामपंथी विचारधारा के अलावा तीन संगठन सामाजिक गतिविधियों के लिए काम करते हैं। इन आरोपों के बाद भोपाल समेत अन्य जिलों के नेपाली संस्कृति परिषद के सदस्यों का भीतर ही भीतर विरोध किया जा रहा है। इस लहर को रोकने के लिए जल्द परिषद की तरफ से सफाई देने के भी संकेत मिल रहे हैं।

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