Mudra Loan Scam: सवा दो करोड़ रूपए का मुद्रा लोन घोटाला

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Mudra Loan Scam: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर ने 21 व्यक्तियों के दस्तावेज फर्जी तरीके से बनाकर ज्योतिष के खाते में जमा कराई रकम, रिश्तेदार की मदद से ले लिया अपना कमीशन, अनजान दुकानों के बाहर खड़ा करके टर्म और सीसी लिमिट बढ़ा दी

Mudra Loan Scam
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

जबलपुर/भोपाल। केंद्र सरकार की बहुचर्चित मुद्रा लोन योजना भी अब घोटाले की भेंट चढ़ गई। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन जिस योजनाबद्ध तरीके से घोटाला किया गया वह सरकार को फिर सोचने में मजबूर करेगा। यह सनसनीखेज मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर (Mudra Loan Scam) शहर का है। मामले की जांच जबलपुर आर्थिक प्रकोष्ठ विंग ने की थी। यह मामला तब जांच एजेंसी के पास पहुंचा जब एक—एक करके 21 लोगों को बैंक की रिकवरी के नोटिस पहुंचे। यह घोटाला जबलपुर की विजय नगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank Of India) के जरिए अंजाम दिया गया। अब तक की जांच में यह करीब सवा दो करोड़ रूपए का लोन घोटाला है। जिसको महज 11 महीनों के भीतर अंजाम दिया गया। मुख्य षडयंत्रकारी बैंक का ही तत्कालीन मैनेजर था। वह एक ज्योतिष और कुंडली बनाने वाले व्यक्ति के जरिए फर्जीवाड़ा कर रहा था। इस मामले में बैंक के उच्च पदस्थ अधिकारियों के भूमिका की भी जांच की जा रही है।

ऐसे उजागर हुआ पूरा मामला

ईओडब्ल्यू ने 9 दिसंबर को 103/22 धारा 409/420/467/468/471/120—बी/7 (लोक सेवक के जरिए गबन, जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल, साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की गई है। इस मामले में आरोपी कमल कुमार मिश्रा (Kamal Kumar Mishra) है। वे जबलपुर विजय नगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मैनेजर हैं। उनके साथ प्रकरण में आरोपी सचिन पटेल, उनकी बहन संगीता पटेल, सचिन की पत्नी पिंकी विश्वकर्मा, दमोह निवासी प्रियम तिवारी और अन्य है। सचिन पटेल का मूल पेशा ज्योतिष के साथ—साथ कुंडली बनाने का है। इसके अलावा वे ब्यूटी पार्लर का सामान भी बेचते हैं। यह कारोबार वे ओएमपी एसोसिएट के नाम से करते हैं। सचिन पटेल का परिवार जबलपुर में कांच घर कॉलोनी में रहता है। इसी पते पर उनका ओएमपी एसोसिएट का खाता भी है। यह बैंक खाता एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) में हैं। मुद्रा लोन घोटाले का मामला ईओडब्ल्यू (EOW) के पास तब पहुंचा जब एक—एक करके 21 फरियादी ने अफसरों को आवेदन दिया। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें बैंक से रिकवरी के नोटिस आए हैं। जबकि बैंक ने उन्हें कभी लोन दिया ही नहीं। इसके अलावा पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने सचिन पटेल (Sachin Patel) को जरूर दस्तावेज लोन लेने के लिए दिए थे।

इनके नाम पर ले लिया गया लोन

Mudra Loan Scam
सांकेतिक चित्र

जबलपुर एसपी ईओडब्ल्यू ने विजय नगर शाखा की मौजूदा ब्रांच मैनेजर से स्पष्टीकरण मांग लिया। जिन्हें नोटिस जारी हुआ था उनमें नरेश अग्रवाल, हेमलता यादव, कनक श्रीवास, मायाबाई वंशकार, शानू ठाकुर, विकास दुबे, घनश्याम अग्रवाल, श्वेता कौल, विजय कौल, दिनेश सिंह ठाकुर, शुभम कोरी, संजय कौल, ज्योति श्रीवास, जितेंद्र सिंह, बृजलता अर्जितवार, सोनिया जयंत, प्रीति कौल, विजय कौल, मनीष अर्जितवार, शारदा प्रसाद विश्वकर्मा और शैफाली मसीह के नाम शामिल थे। यह सभी मुद्रा लोन स्कीम के तहत टर्म और सीसी लिमिट बढ़ाने वाले हितग्राही थे। यह लोन अगस्त, 2020 से जून, 2021 के बीच यानि सिर्फ 11 महीने में बांटे गए थे। लोन के लिए किराना, कपड़ा, मोबाइल, अगरबत्ती, आईसक्रीम पार्लर, चाय—नाश्ता होटल और ब्यूटी पार्लर दुकान को दर्शाया गया था। जिन्हें नोटिस जारी हुए उनमें से अधिकांश के पास दुकान ही नहीं थी। लोन जारी करने के लिए फर्जी किरायानामा बनाया गया था। वहीं हितग्राहियों की तस्वीर किसी भी अनजान शख्स की दुकान के सामने खड़ा करके ली गई। ईओडब्ल्यू में हुए बयानों में पता चला कि यह तस्वीरें सचिन पटेल ने ली थी।

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इस रास्ते बैंक मैनेजर ने लिया कमीशन

पड़ताल में मालूम हुआ कि सभी हितग्राहियों के लोन का भुगतान (Mudra Loan Scam) सचिन पटेल के ओएमपी एसोसिएट वाले खाते में किया गया। हितग्राहियों को मुद्रा स्कीम के तहत 10—10 लाख रूपए का भुगतान हुआ था। आरोपी सचिन पटेल ने बहन संगीता पटेल (Sangeeta Patel) और पत्नी पिंकी विश्वकर्मा (Pinky Vishwakarma) के खातों का भी इस्तेमाल किया। इससे पहले आरोपी ने लोगों को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के जरिए लोन दिलाने का झांसा देकर पीड़ितों के दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट हासिल किए थे। इनकी मदद से दूसरे कारोबारियों के खाते दिखाकर लोन मंजूर किया। लेकिन, हितग्राहियों के खातों में लोन की रकम डालने की बजाय सचिन पटेल के खाते में डाला गया। अब तक की जांच में करीब एक करोड़ 70 लाख रूपए के लोन आने के प्रमाण ईओडब्ल्यू के मिल चुके हैं। इसके अलावा जांच के दौरान ही चार अन्य पीड़ितों की भी जानकारी सामने आई है। जांच में यह भी पता चला है कि मुख्य आरोपी कमल कुमार मिश्रा ने दमोह में रहने वाले प्रियम तिवारी (Priyam Tiwari) के बैंक खातों के जरिए अपना कमीशन भी लिया। प्रियम तिवारी तत्कालीन बैंक मैनेजर का रिश्तेदार बताया जा रहा है।

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