MP Scam News: सरकार ने करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू से कराने की बजाय थाने को सौंप दी, पुलिस ने ढ़ाई महीने बाद क्लर्क और चपरासी को आरोपी बनाकर पूरे मामले का पटाक्षेप कर दिया, दो बैंकों के मैनेजर को भी बनाया गया आरोपी, सरकारी खजाने से दस करोड़ रुपए की रकम दो फर्जी तरीके से खोले गए बैंकों में डाले, सरकारी पैसों से खरीद ली थी बारह एकड़ की जमीन, जांच के बाद अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की बढ़ाई जाएगी धारा, सरकारी विभाग के अफसरों ने बैंक पर फोड़ दिया था ठीकरा, बचने के लिए पुलिस थाने से मांगी गई मदद
भोपाल। आपको 2022 में ओटीटी पर प्रदर्शित स्कैम 1992 दी हर्षद मेहता स्टोरी वेबसीरीज याद ही होगी। इसमें गुजरात के एक बड़े शेयर ब्रोकर के कारनामे दिखाए गए हैं। वह बैंकों का पैसा शेयर मार्केट में लगाकर घोटाला कर रहा था। यह भारत का सबसे चर्चित मामला था। जिस पर वेबसीरीज बनीं थी और उसने काफी लोकप्रियता भी हासिल की थी। कुछ ऐसा ही शॉक कर देने वाला दस करोड़ रुपए का घोटाला एमपी (MP Scam News) में सामने आया है। हालांकि एमपी के लिए घोटालों की फेहरिस्त में यह नया नहीं हैं। क्योंकि प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती घोटाला, कंप्यूटर खरीदी घोटाला, खेल उपकरणों के खरीदी में फर्जीवाड़ा हो चुके हैं। लेकिन ताजा मामला पूरा हर्षद मेहता (Harshad Mehta) जैसा ही है। जिसमें सरकार की एक बड़ी चूक सामने आई है। यह घोटाला 10 करोड़ रुपए के सरकारी धन के दुरुपयोग का था। जिसकी जांच सरकार को ऐसे काम के लिए बने ईओडब्ल्यू को सौंपना थी। ऐसा करने की बजाय प्रकरण भोपाल पुलिस के कोतवाली थाने को दे दिया गया।
यह है वह प्रकरण जिसको सुलझाने के लिए दो थानों की एक स्पेशल टीम डीसीपी को बनाना पड़ी थी
इस सनसनीखेज घोटाले का मास्टर माइंट सरकारी विभाग के क्लर्क को पुलिस बता रही है। उसने अपनी इस योजना में दो अन्य लोगों को भी शामिल कर लिया था। इस प्रकरण का खुलासा करते हुए डीसीपी जोन—3 रियाज इकबाल (DCP Riyaz Iqbal) ने बताया कि कोतवाली थाने में 14 सितंबर को कोतवाली (Kotwali) थाने में सात पेज की एक रिपोर्ट मिली थी। जिस पर पुलिस ने प्रकरण 179/24 दर्ज किया था। यह रिपोर्ट बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के हस्ताक्षर से मिली थी। जिसको लेकर थाने में सुखदेव प्रसाद अहिरवार (Sukhdev Prasad Ahirwar) आए थे। इसमें आरोप बृजेंद्र दास नामदेव (Brajendra Das Namdev) और तत्कालीन बैंक मैनेजर नोयल सिंह (Noyal Singh) पर आरोप लगाए थे। बृजेंद्र दास नामदेव मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण (Madhya Pradesh State Seed Certification) दफ्तर में चपरासी था। यह कार्यालय गोविंदपुरा (Govindpura) थाना क्षेत्र स्थित चेतक ब्रिज के नजदीक गौतम नगर (Gautam Nagar) में हैं। जबकि नोयल सिंह कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया (Central Bank Of India) में मैनेजर था। इसी बैंक में कार्यालय की तीन एफडी जमा थी। यह एफडी दस करोड़, 69 लाख, 22 हजार रुपए से ज्यादा की थी। एफडी एक साल के लिए 02 नवंबर, 2023 को बनाई गई थी। यह बनाने सरकारी दफ्तर में तैनात सहायक ग्रेड तीन दीपक पंथी अरेरा कॉलोनी स्थित यूनियन बैंक आफ इंडिया (Union Bank Of India) भेजा गया था। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब दफ्तर ने इसकी आडिट कराया। इसमें पता चला कि दफ्तर के सरकारी रकम का नोडल बैंक अरेरा कॉलोनी (Arera Colony) में था। लेकिन, यह रकम कोतवाली में स्थित सेंट्रल बैंक में डाली गई। रिपोर्ट लेखा अधिकारी एसपी अहिरवार (S.P Ahirwar) को मिली। उन्होंने वरिष्ठ अफसरों को इस संबंध में बताया। बृजेंद्र दास नामदेव बीज परीक्षण प्रयोगशाला में चपरासी है।
यह है गिरफ्तार आरोपी जो अभी अधूरे बेनकाब हुए
डीसीपी ने बताया कि साढ़े दस करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े में लगभग नौ करोड़ रुपए की रिकवरी कर ली गई है। लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की रिकवरी करना अभी बाकी है। पुलिस ने इस मामले में बृजेंद्र दास नामदेव पिता स्वर्गीय सीताराम नामदेव उम्र 53 साल को गिरफ्तार कर लिया है। उसे दो दिन पहले रीवा (Rewa) से गिरफ्तार किया गया। वह मूलत: रीवा जिले के गुढ थाना क्षेत्र का रहने वाला है। फिलहाल गोविंदपुरा स्थित गौतम नगर में किराए से रहता है। वह पूरे फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड है। उसने विभाग की फर्जी सील बनाई थी। उसने दस करोड़ रुपए से ज्यादा की एफडी तुड़वाकर यह फर्जीवाड़े (MP Scam News) को अंजाम दिया। दूसरा आरोपी दीपक पंथी (Deepak Panthi) पिता बाबूलाल पंथी उम्र 44 साल को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। वह विदिशा (Vidisha) जिले के गंज इलाके का रहने वाला है। पुलिस ने एमपी नगर स्थित यस बैंक (Yes Bank) के सीनियर सेल्स मैनेजर धनंजय गिरी (Dhananjay Giri) को भी आरोपी बनाया है। आरोपियों ने सेंट्रल बैंक से रकम निकालकर इसी बैंक के जरिए यहां वहां ट्रांसफर की थी। धनंजय गिरी पिता स्वर्गीय सुरेंद्र नाथ गिरी उम्र 48 साल शाहपुरा (Shahpura) थाना क्षेत्र स्थित रोहित नगर (Rohit Nagar) में रहता है। पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिसमें चौथा आरोपी शैलेंद्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा (Shailendra Pradhan@Acharya Baba) पिता स्वर्गीय चंद्रप्रकाश प्रधान उम्र 62 साल है। वह कटारा हिल्स (Katara Hills) थाना क्षेत्र स्थित रामायण बिल्डिंग में रहता है। शैलेंद्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा ने कई करंट खाते खुलवाने में मदद की थी। वह कटारा हिल्स में गुरु सानिध्य ज्योतिष केंद्र भी चलाता है। पांचवा आरोपी राजेश शर्मा (Rajesh Sharma) पिता श्यामलाल शर्मा उम्र 50 साल है। वह कोलार रोड (Kolar Road) स्थित हॉल मार्क सिटी (Hall Mark City) में रहता है। राजेश शर्मा की एक फर्म है जिसका नाम शर्मा एंड संस (Sharma And Sons) है। यह रातीबड़ (Ratibarh) के पते पर रजिस्टर्ड है। उसने अपने खाते में रकम ट्रांसफर कराने के बाद कमीशन लिया था। इसी तरह कमीशन लेकर खाता देने वाला छठवां आरोपी पियूष शर्मा (Piyush Sharma) पिता स्वर्गीय रामनारायण शर्मा उम्र 44 साल है। वह सीहोर(Sehore) जिले के सिंधी कॉलोनी (Sindhi Colony) में रहता है।
फर्जीवाड़े की रकम से आठ करोड़ रुपए की जमीन खरीद ली जिसकी रजिस्ट्री शून्य होगी
डीसीपी रियाज इकबाल ने बताया कि आरोपी बृजेंद्र दास नामदेव इस पूरे षडयंत्र का मास्टर माइंड था। उसे भनक लग गई थी इसलिए अपने ठिकाने बदल—बदलकर पुलिस गिरफ्तारी से बच रहा था। पुलिस को अभी तक जांच में करीब 50 बैंक खातों की पड़ताल करना बाकी है। यह सभी बैंक खातों में रकम यस बैंक से ट्रांसफर हुई थी। कुछ रकम से घरेलू उपकरण भी खरीदे गए हैं। बाकी रकम कमीशन लेकर कैश में बदली गई थी। यह रकम एकत्र करने के बाद एजेंट वरुण कुमार (Varun Kumar) के जरिए करीब 12 एकड़ की तीन जमीन खरीदी गई। यह जमीन गुनगा (Gunga) थाना क्षेत्र में एक किसान से करीब आठ करोड़ रुपए में खरीदी गई थी। पुलिस को अभी वरुण कुमार नहीं मिला है। इसी जमीन पर आरोपियों ने राष्ट्रीय पशु संवर्द्धन योजना के तहत पांच करोड़ रुपए का लोन भी मंजूर करा लिया था। आरोपी इस जमीन पर सरकार से सब्सिडी लेकर उसमें लाभ अर्जित करके रकम को वापस विभाग के खाते में जमा कराना चाहते थे। उससे पहले उनके दफ्तर को पैसों की आवश्यकता आई तो एफडी को तोड़ने का निर्णय लिया गया। ऐसा करने पर ही यह फर्जीवाड़ा (MP SSCA Scam) निकलकर सामने आया। डीसीपी का कहना है कि सरकारी पैसों से खरीदी गई जमीन को लेकर शासन के निर्णय अनुसार कदम उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में कई संदेहियों की भूमिका का पता लगाया जाना बाकी है। पुलिस ने जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने की कवायद शुरु कर दी है। किसान ने आरोपियों को सरकारी जमीन का भी एक हिस्सा बेच दिया था।
इस सनसनीखेज फर्जीवाड़े का खुलासा करने पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र (CP Hari Narayan Chari Mishra) मीडिया के सामने आने वाले थे। लेकिन, उनकी जगह पर डीसीपी को मीडिया से बातचीत करना पड़ी। उन्होंने बताया कि करीब एक करोड़ रुपए नकद बरामद हो चुके हैं। आरोपियों ने जो एफडी भी बनाई है। जिसके बारे में पता लगाया जा रहा है। डीसीपी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वित्त की एसओपी होती है। उसमें कहां चूक हुई है उसके बारे में जांच अभी जारी है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद दो कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी। यह बताने पर उनसे पूछा गया कि आखिरकार सरकारी दफ्तर ने इस बात की रिपोर्ट ईओडब्ल्यू (EOW) से क्यों नहीं की थी। जबकि सरकारी पैरामीटर दस करोड़ रुपए के घोटाले की जांच करने थाने को नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र संबंधित विभाग के एसीएस को पत्र लिखेंगे। हमें भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करने का अधिकार है। इस मामले में जांच का दायरा बिहार (Bihar) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में भी है। यह बात भी डीसीपी ने ही बताई। इससे साफ है कि इतने संवेदनशील मामले की जांच को थाना पुलिस को सौंपकर विभाग ने अपने आला अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया है। यदि यही जांच ईओडब्ल्यू ने की होती तो एसओपी के अनुसार पहले नंबर पर आरोपी एफडी बनाने का आदेश देने वाले अधिकारी बनते। यानि साफ है कि इस पूरे प्रकरण में बहुत जमकर कालिख पोत दी गई है। जिसका फायदा न्यायालय में होने वाले जिरह के दौरान पुलिस को सामना करना होगा। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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