Bhopal Job Fraud: भोपाल एम्स मरीजों को कतार में और ठगों को परिसर में देता है प्रवेश

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Bhopal Job Fraud: एम्स अस्पताल के डायरेक्टर के नाम पर कई महीनों से चल रहा था फर्जीवाड़ा, परिसर में खुलेआम घूम रहा था कई महीनों से जालसाज, थाना पुलिस और अस्पताल प्रबंधन के इंटेलीजेंस को भनक ही नहीं लगी, जब दर्जनों पीड़ितों के आवेदन थाने में जमा हो गए तब सुध आई, उसमें भी अफसरों से एफआईआर के लिए अनुमति लेना पड़ी

Bhopal Job Fraud
सांकेतिक चित्र

भोपाल। नौकरी लगाने के नाम पर दर्जनों लोगों के सा​थ फर्जीवाड़ा किया गया। ऐसा करने वाला शातिर जालसाज बकायदा भोपाल एम्स परिसर में ही घुमता था। वहां घुम—घुमकर वह फर्जी नियुक्ति पत्र बांट रहा था। इस बात की भनक भोपाल एम्स (Bhopal Job Fraud) के अलावा बागसेवनिया थाना पुलिस को भी नहीं लगी। पुलिस को सुध तब आई जब एक—एक करके डेढ़ दर्जन पीड़ितों के साथ नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा का तथ्य पता चला। बागसेवनिया थाना पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है।

गोदी मीडिया की तरह ट्रीट करने की बजाय सीधा सवाल पूछ लिया तो पसीना आ गया

सूत्रों के अनुसार रीतेश प्रजापति (Ritesh Prajapati) बागसेवनिया में रहता है। हालांकि वह मूलत: खंडवा (Khandwa) जिले का रहने वाला है। उसकी एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital) में आरोपी शंकर बिरले (Shankar Birle) से पहचान हुई थी। वह अस्पताल जिस तरीके से घुम रहा था उससे लग रहा था कि उसे कई लोग वहां पर पहले से जानते हैं। आरोपी ने एम्स अस्पताल में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर नौकरी लगवाने का उसे झांसा दिया था। लालच में आकर 40 हजार रुपए रीतेश प्रजापति ने दे दिए थे। लेकिन जब नौकरी नहीं लगी और रुपए वापस नहीं मिले तो उसने पुलिस से शिकायत की। इसके बाद तो पुलिस को एक—एक करके डेढ़ दर्जन पीड़ित मिलने लगे। आरोपी की इस हरकत को काफी दिनों तक जांच के नाम पर दबाकर रखा गया। बागसेवनिया (Bagsewania) थाना पुलिस ने हरसंभव कोशिश की थी कि आरोपी को दबोच लिया जाए। हालांकि ऐसा करने में काफी वक्त लग गया। मामला 17 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा था। पुलिस को भय लगा कि किसी पीड़ित ने मीडिया से संपर्क कर लिया तो उसकी योजना उसके लिए ही सिरदर्द बन जाएगी। इसलिए आनन—फानन में प्रकरण दर्ज किया गया। आरोपी की खास बात यह है कि वह ठगने के लिए पीड़ितों को एम्स परिसर में ही बुलाता था। इस बीच उसने कुछ लोगों को नकली नियुक्ति पत्र भी थमाए हैं। आरोपी ने 17 लाख से अधिक की यह राशि ऑनलाइन अपने खाते में ली है। इस मामले की जांच एएसाई सुभाष त्यागी (ASI Subhash Tyagi) कर रहे है। हालां​कि आरोपी की गिरफ्तारी और उसके संबंध में प्रयास करने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उनके पास उत्तर ही नहीं था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द पुलिस नियंत्रण कक्ष के जरिए मीडिया को जानकारी दे दी जाएगी। हालांकि सूत्रों  ने बताया प्रकरण 660/24 दर्ज कर लिया गया है। यह प्रकरण दर्ज करने के लिए अफसरों से जांच अधिकारी को अनुमति लेना पड़ी थी। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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