Bhopal Court News: योजनाबद्ध तरीके से फर्जीवाड़ा करने वाले अफसर दोषी करार

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Bhopal Court News: किसानों की जमीन को खरीदकर उसे बेचने के का मामला, भोपाल कोर्ट ने सुनाया फैसला

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जिला एवं सत्र न्यायालय, भोपाल — फाइल फोटो

भोपाल। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह ने लोकायुक्त में दर्ज एक प्रकरण में फैसला सुनाया। अदालत (Bhopal Court News) ने जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक के तत्कालीन अधिकारियों को दोषी करार दिया। अदालत ने उन्हें अलग—अलग धाराओं में तीन साल की सजा और अर्थदंड की सजा दी है।

यह है वह अधिकारी जिन्होंने भ्रष्टाचार किया था

जिला अदालत (District Court) से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार अदालत ने तत्कालीन प्रबंधक एससी सिंघई(S.C Singhai) , तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेन्द्र कौशल (Vijendra Kaushal) , तत्कालीन संयुक्त पंजीयक आरएस गर्ग (R.S Garg) , सहकारिता निरीक्षक एपीएस कुशवाहा (A,P.S Kushwaha) को धारा 420, 120-बी भादवि 13-1(डी) सहपठित 13(2) पीसी एक्ट् में दोषी करार दिया। इसमें एससी सिंघई, एपीएस कुशवाहा, संयुक्त पंजीयक आरएस गर्ग, विजेन्द्रे कौशल को धारा 420 और 120-बी में तीन साल की सजा और दस हजार अर्थदण्ड प्रत्येक आरोपी को भुगतान करने के आदेश दिए। इसी तरह धारा 13-1(डी), 13(2) पीसी एक्ट में तीन वर्ष वर्ष का सश्रम कारावास और दस हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक हेमलता कुशवाहा की तरफ से दलीले पेश की गई थी। दोषियों के खिलाफ ग्राम बगौनिया, कल्याणपुर (Kalyanpur) के ग्रामीणों ने लोकायुक्त कार्यालय (Lokayukta Office) में शिकायत की थी। जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ( Cooperative Agriculture And Rural Department Bank) के अधिकारियों ने रातीबड़ (Ratibarh) स्थित ग्राम बरखेडा नाथू की जमीन को बैंक अधिनियम 1999 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुये ऋण वसूली न होने पर चल-अचल संपत्ति से ऋण वसूली के लिये बैंक अधिकारियो ने नियम एवं शर्तो को अपनाये बिना मिट्टी के भाव में कृषि भूमि नीलाम कर दी थी। लगभग 5 एकड भूमि मात्र 40 हजार रूपये में षडयंत्र पूर्ण 30 जून, 2000 को नीलाम कर दी थी। किसान सौरभ सिंह (Saurabh Singh) की जमीन को जिसने डेरी के लिए 20 हजार रूपये का कर्ज लिया था उसे उसे नीलाम किया गया। जबकि उसको सिर्फ 10 दस हजार रुपए का भुगतान करना बाकी था। ऐसा ही 2000 से 2007 के बीच अफसरों ने किया था। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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