MP Cop Gossip: एसपी साहब यह तो बहुत नाइंसाफी है

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MP Cop Gossip: एमपी में नेता के सामने दीवार पकड़ने लग जाती है पुलिस, रिटायर्ड हवलदार हो गया परेशान तो मांगी अफसर से मदद, सिंघम ने सिंगल नाम का आदेश निकाला तो दो थानों के प्रभारियों की सांसे हुई कमजोर

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बड़ा है। उसमें बहुत कुछ बातें सामने आती हैं। जबकि कुछ बातें दबी रह जाती है। ऐसे ही बातों का साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip)  है। हमारा मकसद किसी का नाम उछालकर जबरन का मिर्च डालना नहीं है। बल्कि यह बताने का प्रयास है कि हमें भी खबर हैं। हालांकि कुछ खबरें जो मीडिया में तो आई लेकिन कमजोर रहीं उन्हें जरुर नाम से दे देते हैं। इस बार कुछ ऐसे ही बातों को जानिए।

रिटायर्ड हवलदार ने रिटायर्ड सीएस के पति से मांगी मदद

चुनाव के चलते शस्त्र लायसेंस को लेकर कुछ नियम बनाए गए थे। उन नियमों को अभी भी शिथिल नहीं किया गया है। जिस कारण सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले कई लोग परेशान हैं। ऐसा ही एक नीमच जिले से रिटायर्ड हवलदार परेशान है। उसका बेटा एक कंपनी के लिए जॉब करता है। उसे लायसेंस की सीमा राजस्थान के तीन जिलों में बढ़ाना है। लेकिन, आचार संहिता के चलते वह नियम आज भी जारी है। पिछले दिनों हवलदार ने यहां—वहां जुगाड़ करके रिटायर्ड सीएस के पति से संपर्क किया। दरअसल, उनके पति भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी भी रहे हैं। रिटायर्ड हवलदार ने अपनी पीड़ा उनके सामने रखी। उसे सिर्फ अभी दिलासा मिला है जबकि उसकी समस्या का समाधान होना बाकी है।

लेडी सिंघम ने दिखा दिया था आईना

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एक विंग में तैनात सिंघम इंस्पेक्टर की उनके विभाग की ही लेडी सिंघम से टशन हो गई। इसलिए महिला अधिकारी ने अपने तबादले के पूर्व सिंघम को थाने से कार्यालय में एक कोना दिखा दिया। इस बात से सिंघम नाराज थे। उन्होंने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया और पिछले दिनों अपने नाम का सिंगल आदेश निकाल लिया। अब उनके आदेश के बाद दो थानों के प्रभारी की सांसे फूल रही हैं। क्योंकि वे दोनों सब इंस्पेक्टर हैं और स्टेपनी पर टिके हुए हैं। इसमें एक थानेदार तो तय मान रहे हैं कि वे उन्हें उचका देंगे। आपको बता दें कि यदि ऐसा हुआ तो उसी थाने में सिंघम की यह उनकी दूसरी पारी होगी।

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दीवार के आदेश पर सफाई देते थक गए अफसर

इन दिनों दीवार से चिपककर फोटो खिचाने का ट्रेंड चल रहा है। खासतौर पर खाकी वर्दी पहने वाले कर्मचारी खादी पहने नेताओं को देखकर ऐसा कर रहे हैं। दरअसल, पिछले दिनों उज्जैन में दीवार गिरने का हादसा हुआ था। जिसके बाद हर विभाग (MP Cop Gossip) केे कई अधिकारियों को निपटा दिया गया था। उसमें थाने के अफसर भी थे। अब लोग समझ यह नहीं ​सके कि दीवार गिरने की घटना से उनका क्या लेना—देना। इस फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में इन दिनों मीम चल रहा है। जिसमें दीवार को पकड़कर खाकी वर्दी वाले अफसर दिख रहे हैं। यह ज्यादा दिनों तक चला तो सरकार की किरकिरी होना तय हैं। सरकार भी अपने हठ योग पर चल रही हैं। वह फैसले को वापस लेने के मूड में नहीं हैं।

थाना प्रभारी माफी मांगकर हो गए परेशान

बैतूल जिले में तैनात टीआई सत्य प्रकाश इन दिनों जगह—जगह माफी मांगते फिर रहे हैं। हालांकि उनके खिलाफ एडिशनल एसपी ने जांच शुरु कर दी है। मामला कुछ ऐसा है कि जातिगत गणना को लेकर टीआई साहब ने पिछले दिनों एक मीम वायरल कर दिया था। यह मीम उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में पोस्ट किया था। मीम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिखाई दे रहे थे। जिसके बाद कांग्रेस उत्तेजित हो गए। उन्होंने टीआई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शिकायत से लेकर प्रदर्शन शुरु कर दिया। यह देख उन्होंने तत्काल उसको पहले डिलीट किया फिर सोशल मीडिया में सफाई दी कि यह उनसे गलती से हुआ था।

खबरनबीसों के साथ बहुत नाइंसाफी है एसपी साहब

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शराब माफिया के दबाव में एक थाना प्रभारी ने मीडिया से जुड़े दो व्यक्ति और एक ढ़ाबा मालिक के खिलाफ एट्रो सिटी एक्ट से लेकर तमाम धाराएं ठोक डाली। यह घटना देवास जिले में हुई थी। एफआईआर दर्ज करने से पूर्व निरीक्षक विक्रांत झांझोट का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। घटना (MP Cop Gossip) कुछ ऐसी है कि एक व्यक्ति जिसने शराब पकड़ ली थी उसने आबकारी अमले को फोन लगाया। अमले ने कहा कि बल की कमी है इसलिए वह उसे थाने में जमा करा दे। इसके बाद उसी व्यक्ति ने मीडिया को बुला लिया। वह मीडिया के साथ थाने पहुंचा तो पूरी कहानी ही पलट दी गई। रिपोर्टरों पर आरोप लगाया कि वह शराब कंपनी के मालिक अशोक सिंह से 70 हजार रुपए मांग रहे थे। जबकि उसके सबूत ही नहीं थे। अशोक सिंह ने अपनी एफआईआर में यह भी कहा कि उनकी नेमावर स्थित दुकान से कन्नोद पहुंचाया जा रहा था। जबकि ऐसा करने के लिए भी आबकारी से परमिट लेना होता है। यह रिकॉर्ड टीआई साहब ने तलब ही नहीं किया। जिनके खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ वे यादव समाज से जुड़े थे। जिसके बाद भारी भरकम शिकायतें होने लगी। एक शिकायत एसपी संदीप नापित को भी ​की गई है। अब देखना यह है कि मामला थाने से ही सुलझता है या फिर कोर्ट की फटकार के बाद थाने से लेकर एसपी कार्यालय में तैनात अफसरों को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होगा। क्योंकि विवाद की स्थिति होने पर पुलिस ने प्रेस नोट भी जारी कर दिया था। यह कोर्ट में उनके खिलाफ सबूत बन गया है। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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