Bhopal News: एसपी के आदेश में चिंता की लकीरें नजर आई

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Bhopal News: मादा श्वान और उसके दो बच्चों ने एसआई समेत पांच पुलिसकर्मियों को दिला दी सजा, उनके सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज होगी यह घटना

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ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल/अशोक नगर। अभी तक आपने पुलिसकर्मियों को कार्य में लापरवाही के चलते सजा मिलते हुए सुना और पढ़ा होगा। लेकिन, एक मादा श्वान के चलते सजा मिलने का रोचक मामला सामने आया है। यह घटना मध्यप्रदेश के अशोक नगर (Bhopal News) जिले का है। लापरवाही के आरोप महिला थाने के एसआई समेत पांच कर्मचारियों पर लगे हैं। सजा का फैसला एसपी ने सुनाया। इससे पहले उन्होंने कर्मचारियों से सफाई मांगी थी। जिसके जवाब से वे काफी असंतुष्ट थे। जिस मामले में यह सजा दी गई वह परिस्थितियां भोपाल शहर के भी कई थानों में आसानी से देखी जा सकती है।

आदेश की कॉपी सोशल मीडिया में वायरल

पुलिस अधीक्षक अशोक नगर कार्यालय से यह आदेश 15 मई को जारी हुआ था। जिसमें एसपी विनीत कुमार जैन (SP Vineet Kumar Jain) के हस्ताक्षर है। आदेश में लिखा गया है कि नए भारतीय न्याय संहिता कानून को लेकर वर्कशॉप चल रही है। जिसके लिए एसपी कंट्रोल रुम पहुंचे थे। वहां पर महिला थाना भी है। जिसके एंट्री गेट पर श्वान का बालक घूम रहा था। भीतर उसकी मां एक अन्य बच्चे के साथ बैठी हुई थी। यह देखकर एसपी ने वहां ड्यूटी पर मौजूद कार्यवाहक एसआई मीनावरूण (SI Meenavarun) , आरक्षक 626 बालकिशन बारेला (Constable Balkishan Barela) , आरक्षक 462 ज्योति जाटव(Constable Jyoti ) , आरक्षक 317 रीना जादौन (Constable Reena Jadaun) और आरक्षक 569 पूजा दास (Constable Pooja Das) से एसपी ने सफाई मांगी। उन्होंने बताया कि वह मादा श्वान बहुत समय से थाने में रहती है। इस बात पर एसपी ने नाराजगी जताई और जवाब को लेकर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि श्वान के कारण गंदगी फैलेगी। इसके अलावा उसके काटने पर रैबीज बीमारी का खतरा हो सकता है। यह जानते हुए भी उसे थाने में रखा गया। यहां कई पीड़ित फरियाद लेकर आते हैं जिन पर वह स्ट्रीट डॉग (Street Dog) झूम सकता है। ऐसे में पुलिस विभाग की छवि धूमिल हो सकती है। उन्होंने पांचों पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को परिनिंदा की सजा देते हुए उनके सर्विस रिकॉर्ड में उसे शामिल करने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि अशोक नगर (Ashok Nagar) के महिला थाने जैसे हालात भोपाल शहर के कई थानों में भी है। लेकिन, कभी भी ऐसे निर्णय अफसरों की तरफ से नहीं लिए गए है। इस कारण यह आदेश सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

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