MP Cop Gossip: देवियों के कारण हर रोज हो रहा संग्राम

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MP Cop Gossip: पुलिस विभाग की कार्रवाई से रेलवे विभाग में मची हुई है खलबली, कई बड़े रसूखदार काट रहे थाने के चक्कर, भीतर ही भीतर चल रहा था यह गंदा खेल

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमा काफी बड़ा होता है। उसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। जिसमें कुछ बातें सामने आ जाती है तो कुछ दबी रह जाती है। ऐसे ही विषयों का हमारा नियमित साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद किसी संस्था, व्यक्ति, पद को छोटा-बड़ा दिखाना नहीं होता है। इसमें हम वह बातें उजागर करते हैं जो थानों, अफसरों के दफ्तरों में चल रही होती है। इसके जरिए हमारा सिर्फ यह अहसास कराना होता है कि बातें नहीं छुपाई जा सकती।

राजधानी में एक और चौहान की होने वाली है आमद

शहर में जल्द एक बहुत बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होने जा रही है। इस काम के लिए पुलिस कमिश्नर कार्यालय में एक विशेष यूनिट खोला गया है। जिसमें थानों में तैनात सारे कर्मचारियों का अगला-पिछला रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। खबर है कि एक जोन से दूसरे जोन कई कर्मचारियों को शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा शहर के कई थानों की कुर्सी भी खाली होने जा रही है। इसमें कुछ चेहरे तय हो चुके हैं। ऐसा ही एक चेहरा चौहान सरनेम का है। यह नया नहीं है। शहर में दो चौहान पहले से ही थाना प्रभारी की कुर्सी संभाल रहे है। अब खबर है कि तीसरे चौहान की शहर में आमद होने वाली है। तीसरे चौहान पहले से थाने में तैनात दूसरे चौहान के स्थान पर कुर्सी संभाल सकते हैं। जहां कुर्सी संभालने वाले हैं वहां प्रदेश के एक मंत्री का विधानसभा क्षेत्र आता है। इसलिए हर कोई हैरान है कि आखिर उस विधानसभा क्षेत्र में कोई प्रयोग तो नहीं होने वाला है। क्योंकि आने वाले चौहान जिस जिले से आ रहे हैं वहां प्रदेश के मुखिया की तूती बोलती है।

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महिला अफसरों के कारण फाइलें गलत ट्रैक पर हो रही है फॉरवर्ड

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राजधानी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुए लगभग सवा एक साल हो गया है। इसमें कुछ बातें काम को लेकर तय हो चुकी है। लेकिन, पिछले दिनों नए कमिश्नर के आने के बाद अचानक काम में बदलाव आ गया। इसकी वजह दो महिला अफसरों को बताया जा रहा है। इन दोनों अफसरों के पति भी पुलिस के अधिकारी है। वे दोनों भी भोपाल पुलिस में ही तैनात है। बस दोनों महिला अधिकारियों के बीच सीनियर-जूनियर होने का काफी अंतर है। इसके बावजूद पॉवर में जूनियर चल रही हैं। वे वह सबकुछ नियम तोड़कर कर रही हैं जो नहीं होना चाहिए। मसलन पहले जो फाइल एसीपी, डीसीपी के बाद एडिशनल सीपी के पास जाती थी, अब वह सीधे एडिशनल सीपी के पास पहुंच रही है। इसे सीधे कनेक्शन के कारण बीच का नेटवर्क कई बार मुश्किलों में फंसता रहता है। वह जूनियर अधिकारी उन फाइलों को भी एडिशनल सीपी के पास भेज रही हैं जो डीसीपी हेड क्वार्टर की टेबल पर पहले पहुंचना चाहिए। बहरहाल खबर यह है कि जूनियर की लापरवाही से जुड़ी फाइल को मोटा होने दिया जा रहा है। ताकि उसके वजन जिस दिन उनके सिर पर गिरेगा तब सीनियर की पीड़ा का अहसास होगा। अलबत्ता तब तक दोनों महिला अधिकारियों के बीच रहने वाले छोटे कर्मचारी अपने हाथ बचा-बचाकर काम करने को मजबूर हैं।

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रेलवे के कई अफसर इन दिनों एक थाने के काट रहे चक्कर

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हम आपको यह पहले ही बता दें कि हमारा मकसद आरोपियों की तरफदारी करना नहीं हैं। लेकिन, थाने में जो जांच के नाम पर चल रहा है वह हम बताना चाह रहे हैं। खबर मिली है कि भोपाल पुलिस ने एक बड़े नेटवर्क के तार को अपने हाथों में ले लिया है। यह गिरोह टैक्सी कोटे में वाहन अटैच करने के नाम पर लंबे अरसे से फर्जीवाड़ा कर रहा था। अधिकांश कारें है जो रेलवे विभाग में अटैच कराई गई थी। इस खेल में एमपी आरटीओ के भी कुछ यौद्धा शामिल है। जबकि रेलवे विभाग में कमीशन लेकर बिल पास कराने का काम लंबे समय से चल रहा था। गिरोह का जिस दिन भी खुलासा हुआ उस दिन बड़ी-बड़ी कारें मीडिया को देखने मिलेगी। उससे पहले रेलवे विभाग के कई अफसर अपने सारे फॉर्मूले लगाकर बचत कैसे हो उस गणित पर जुटे हुए हैं।

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