Bhopal Cop News: पुलिस विभाग के गंभीर बीमारी से जूझ रहे कर्मचारियों के निजी अस्पताल में इलाज के लिए करनी होती है अनुशंसा, डीसीपी हेडक्वार्टर ने चुप्पी साधी तो सीएमएचओ बोले यह विभागीय मामला इसमें मीडिया या किसी पत्रकार को परेशान होने की आवश्यकता नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के स्वास्थ्य महकमे और पुलिस विभाग (Bhopal Cop News) में भीतर ही भीतर जंग चल रही है। यह जंग भोपाल मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO) डॉक्टर प्रभाकर तिवारी के आदेश को लेकर हैं। मामला निजी अस्पताल में इलाज के लिए अनुशंसा से जुड़ा है। जिसके लिए सीएमएचओ ने पिछले दिनों आदेश जारी किया है। नोटिस के शक्ल में जारी आदेश में कहा गया है कि अनुशंसा करने वाले अफसर के पास बहुत सारे काम होते हैं। इसलिए प्रतिदिन आने वाले आवेदनों की समीक्षा तीन दिन बाद ही वे दे सकेंगे। मतलब साफ है कि यदि किसी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी को गंभीर हालत में तुरंत निजी अस्पताल के चिकित्सक से परामर्श की आवश्यकता है तो उसे तीन दिन इंतजार करना होगा।
तत्कालीन गृहमंत्री ने दिलाई थी पुलिसकर्मियों को सुविधा
काफी सख्त लहजे में जारी किया गया नोटिस
सीएमएचओ ने नोटिस में कहा है कि कार्यालय के आवक—जावक शाखा में इलाज पर होने वाले संभावित व्यय की जानकारी दे। इसके तीन दिन बाद चार बजे उसी शाखा से उसे प्राप्त करें। तत्काल कोई विचार नहीं किया जाएगा। इसके लिए विभाग भी जिम्मेदार नहीं हैं। नोटिस में कहा गया है कि चूंकि अनुशंसा पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी (Bhopal Cop News) के पास कई कार्य है। इस कारण तुरंत नहीं हो सकता। इसके अलावा तीन दिन के भीतर सरकारी अवकाश आता है तो उसे कार्य दिवस में शामिल नहीं किया जाएगा। वहीं कोई वीआईपी मूवमेंट या फिर विशेष कारणवश भी सीएमएचओ की अनुशंसा पर देरी हो सकती है। इस आदेश की कॉपी सभी पुलिस अधिकारियों के प्रमुखों को भेज दी गई है। निर्णय को लेकर मैदानी कर्मचारियों में काफी आक्रोश है। खासतौर पर विभागीय अफसरों के मौन रहने पर। इस विषय को लेकर डीसीपी मुख्यालय विनीत कपूर (DCP Vineet Kapoor) से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया। लेकिन, उन्होंने पूरे विषय को सुनने के बाद फोन काट दिया।
सरकारी अस्पतालों में भी होता है इलाज
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