TCI Exclusive : पत्रकारिता किए बिना विवि के बॉस बने थे कुठियाला, कुलपति बनाने में इस नेता ने लगाई थी दम

Share

माखनलाल विवि से पहले जहां रहे कुठियाला, वहां नियमों को दिखाया ठेंगा, करते रहे मनमानी

आर्थिक अनियमितता के मामले में पहले भी मिल चुकी सजा, 5 साल तक रुकी ग्रेच्युटी और पेंशन

फाइल फोटो

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) के पूर्व कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला (BK Kuthiyala) का विवादों से पुराना नाता है। एमसीयू (MCU) के कुलपति के पद पर दो कार्यकाल पूरा करने वाले पूर्व कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला के कई कारनामे है, जिनसे अब तक पर्दा नहीं उठा है। एमसीयू के कुलपति रहते हुए तो उन्होंने अनियमितताओं का इतिहास लिखा ही, उससे पहले भी उनकी संलिप्तता ऐसे ही कामों में थी। अपने करियर में उन्होंने कई कारनामे किए। जिन पर सवाल भी उठे और कुठियाला को सजा भी मिली। द क्राइम इन्फो ने कुठियाला के पिछले कारनामों की तह तक जाकर ये रिपोर्ट (TCI Exclusive) तैयार की है।

ब्रज किशोर कुठियाला मूलत: कांगड़ा जिले के रहने वाले है। वे स्वामी दयानंद के भक्त है और आर्य समाज को फॉलो करते है। पत्नी मधु कुठियाला गृहणी है। कुठियाला का एक पुत्र और एक पुत्री है। उनका बेटा वर्तमान में अमेरिका में है। कुठियाला ने मानव शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की है।

ब्रज किशोर कुठियाला जब गुरु जम्बेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार में प्रोफेसर के पद पर थे। तब उन्होंने अपने बेटे को प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी में डिग्री दिलवाई थी। कुठियाला ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कॉम में 20 साल तक सेवाएं दी है। इसमें से 11 साल उन्होंने टेक्निकल और 9 साल लेक्चरार के तौर पर काम किया।

यहां से उन्होंने 1993 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के रीडर पद के लिए आवेदन किया। इस पद के लिए 10 साल लेक्चरार रहने का अनुभव मांगा गया था। कुठियाला ने दिल्ली आईआईएमसी के 9 साल के अनुभव को अपने हाथों से ही 10 साल का बना लिया। इस संबंध में कुरुक्षेत्र विवि के ही एक प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा ने शिकायत की थी। जिसकी जांच के बाद मामला कोर्ट भी गया था।

यह भी पढ़ें:   Rajiv Gandhi Assassination : दोषी नलिनी को बेटी की शादी के लिए मिली एक महीने की पैरोल

कुरुक्षेत्र में नौकरी करने के बाद कुठियाला हरियाणा पहुंचे। इस यूनिवर्सिटी के कुलपति रामफल हुड्डा हुआ करते थे। यहां जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में पदस्थ थे। कुठियाला को यहां पदस्थापना तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के माध्यम से मिली थी।

कुठियाला यहां से 2007-08 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। रिटायरमेंट से बचने के लिए कुठियाला ने ऐसी तरकीब लगाई कि जर्नलिजम डिपार्टमेंट ही बंद कर दिया गया। उसे खत्म करके इंस्टिट्यूट ऑफ मास कंम्यूनिकेशन एंड मीडिया टेक्नोलॉजी बनाया। कुलपति रामफल के आशीर्वाद से कुठियाला इस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर पद पर आसीन हो गए। पद पर आसीन होने के लिए कुठियाला ने उम्र सीमा बढ़ाकर 65 वर्ष कराई।

इसी तैनाती के दौरान कुठियाला को आभास हो गया था कि हरियाणा से हुड्डा की सरकार जाने वाली है। इसे देखते हुए कुठियाला ने पाला बदला और भाजपा के नेताओं का दामन थाम लिया। इस काम में माखनलाल के छात्र रहे और ईओडब्ल्यू (EOW) के केस में आरोपी सौरभ मालवीय ने उनकी मदद की। मालवीय ने कुठियाला की राधेश्याम शर्मा से मुलाकात कराई। राधेश्याम शर्मा माखनलाल विवि (MCU) के पूर्व कुलपति रह चुके है। पंजाब और हरियाणा में शर्मा का दखल भी रहा है। इसी दौरान कुठियाला भाजपा नेता प्रभात झा से मिले। उस वक्त झा का मध्यप्रदेश भाजपा में दबदबा था।

जानकारी के मुताबिक हिसार यूनिवर्सिटी में ब्रज किशोर कुठियाला जब प्रोफेसर हुआ करते थे। तब इनके पास स्पेशल असिस्टेंट प्रोग्राम (SAP) की जिम्मेदारी थी। इसकी ग्रांट यूजीसी जारी करता था। यूजीसी की तरफ से 20 लाख रुपए जारी किए गए थे। जिसका इस्तेमाल कुठियाला ने सहीं तरीके से नहीं किया । यह मामला हिसार के कुलपति तक पहुंचा था, जिसके बाद कुठियाला से सफाई मांगी गई थी। आपत्ति ऑडिट करने वाली संस्था कैग ने उठाई थी। जिसके चलते कुठियाला की 5 साल तक ग्रेच्यूटी और पेंशन रोक दी गई थी।

यह भी पढ़ें:   TCI Exclusive: प्रदेश में पहली बार बिना डीजीपी मनेगा पुलिस स्मृति दिवस परेड समारोह

माखनलाल में कुठियाला को 2010 में कुलपति बनाया गया था। उन्हें कुलपति बनाने के लिए नियमों को तोड़ दिया गया। कुलपति के पद पर 20 साल तक पत्रकारिता या पत्रकारिता के क्षेत्र का अनुभव जरूरी था। लेकिन कुठियाला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि मानव शास्त्र की डिग्री लेकर ही वो कुलपति के पद पर आसीन हो गए और दो कार्यकाल पूरे कर लिए।

अपने फायदे के लिए कुठियाला कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के नेताओं का दामन थामते रहे। माखनलाल काे कुलपति बने रहने के लिए उन्होंने खुद को पुराना स्वयं सेवक तक साबित कर दिया। जबकि जानकारों के मुताबिक कुठियाला का आरएसएस से कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन वो जानते थे कि कुर्सी बचाने के लिए उन्हें क्या करना था।

Don`t copy text!