NSSO: रोजगार पर एनएसएसओ की सालाना रिपोर्ट बजा रही खतरे की घंटी

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NSSO unemployment राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के मुताबिक, 11 राज्यों में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बेरोजगारी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की हालिया रिपोर्ट ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। सरकार चुनावी दौर के कारण फिलहाल एनएसएसओ (NSSO) की रिपोर्ट को जारी नहीं कर रही थी, लेकिन अब लगता है कि जून के पहले सप्ताह में यह रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी। हालांकि सरकार का रिपोर्ट जारी न करने के पीछे तर्क है कि यह अभी मसौदा है जबकि इसके लिए सभी मंजूरियां मिल चुकी है। असल में इस रिपोर्ट में 11 राज्यों में बेरोजगारी औसत राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। इसमें कई बड़े और महत्वपूर्ण राज्य भी शामिल हैं।

NSSO रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में देश के 11 राज्यों में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इससे पहले सात राज्यों की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। 2011-12 में हरियाणा, असम, झारखंड, केरल, ओडिशा, उत्तराखंड और बिहार में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी लेकिन 2017-18 में इस सूची में पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्यों के नाम भी जुड़ गए हैं। यह जानकारी एनएसएसओ (NSSO) के सालाना लेबर पावर सर्वे में सामने आई है।

आठ साल पहले दो राज्यों ने किया था बेहतर प्रदर्शन
2011-12 में नौ राज्यों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। इनमें जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल भी शामिल थे। अगले साल यह दोनों राष्ट्रीय स्तर से कम औसत दर के साथ बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हो गए।

केरल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक
केरल में अभी भी बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है, जो केंद्र समेत राज्य सरकार के लिए भी चिंता का विषय है। 2017-18 के में राज्य में बेरोजगारी दर 11.4 फीसदी थी जबकि यह 2011-12 में 6.1 फीसदी थी। NSSO सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक देश के 19 बड़े राज्यों में हरियाणा में बेरोजगारी दर 8.6 फीसदी, असम में 8.1 फीसदी और पंजाब में 7.8 फीसदी थी।

2.2 से 6.1 पर पहुंचा बेरोजगारी दर का राष्ट्रीय औसत
2017-18 में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी थी जबकि 2011-12 में यह महज 2.2 फीसदी थी। 2017-18 में सबसे कम बेरोजगारी दर छत्तीसगढ़ (3.3 फीसदी) में रही। मध्य प्रदेश में यह 4.5 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 4.6 फीसदी रही। इस दौरान सभी बड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर में बढ़ोतरी हुई।

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गुजरात में बेरोजगारी दर का बढ़ना गंभीर
बड़े राज्यों की बात करें तो इनमें बेरोजगारी की दर में सबसे तेज इजाफा गुजरात में हुआ है। 2011-12 में यह 0.5 फीसदी थी लेकिन 2017-18 में यह बढ़कर 4.8 फीसदी हो गई। 2011-12 में गुजरात में बेरोजगारी की दर सबसे कम थी लेकिन 2017-18 में यह कर्नाटक के स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही नहीं यह महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कई दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ चुका है।

गुजरात के गांवों और शहरों में एक जैसे हालात
गुजरात में बेरोजगारी दर में उछाल की बड़ी वजह बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार नहीं मिलना है। 2011-12 में राज्य में ग्रामीण इलाकों में युवाओं में बेरोजगारी की दर 0.8 फीसदी थी जो 2017-18 में 14.9 फीसदी पर पहुंच गई। इसी दौरान शहरी इलाकों में यह 2.1 फीसदी से बढ़कर 10.7 फीसदी हो गई। यह उछाल गुजरात की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक संकेत दे रहा है।

केरल में शिक्षा ही बनी मुसीबत
केरल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी की वजह यह है कि वहां शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा है और इसलिए वहां शिक्षित बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरे, विदेशों में काम की कमी के चलते भी केरल में हालात बिगड़ रहे हैं। इसके बरअक्स गुजरात और कर्नाटक में बेरोजगारी दर में उछाल चौंकाने वाला है। आमतौर पर यह राज्य अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हरियाणा जैसे शहरी राज्य में भी बेरोजगारी की दर बढ़ी है। इसकी वजह भी शिक्षा का स्तर बेहतर होना और नौकरियों की कमी है।

चार गुना बढ़ी बड़े राज्यों की बेरोजगारी दर
गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश (4.5 फीसदी), उत्तर प्रदेश (6.4 फीसदी) और राजस्थान (5 फीसदी) में बेरोजगारी दर में सबसे अधिक इजाफा हुआ है। इन तीनों राज्यों में 2011-12 की तुलना में अनुपात चार गुना से अधिक बढ़ा है। बड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर में सबसे कम इजाफा पश्चिम बंगाल में हुआ। 2011-12 में बंगाल में बेरोजगारी की दर 3.2 फीसदी थी जो 2017-18 में 4.6 फीसदी रही। छह साल पहले की बात करें तो बंगाल सबसे ज्यादा बेरोजगारी के मामले में पांचवें स्थान पर था जबकि 2017-18 में यह सबसे कम बेरोजगारी वाले पांच राज्यों में शामिल था।

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दो राज्यों में कम हुई महिला बेरोजगारी
एनएसएसओ (NSSO) की रिपोर्ट में महिला-पुरुष के आधार पर देश में बेरोजगारी का आंकलन दिलचस्प है। महज दो राज्यों पश्चिम बंगाल और बिहार में महिलाओं में बेरोजगारी की दर में कमी आई। 2011-12 में बिहार महिलाओं में बेरोजगारी की दर 8.8 फीसदी के साथ सर्वाधिक महिला बेरोजगारी के मामले में दूसरे स्थान पर था। लेकिन 2017-18 में यह घटकर 2.8 फीसदी रह गई। पश्चिम बंगाल में इस दौरान इसमें मामूली गिरावट आई और यह 3.6 फीसदी से घटकर 3.2 फीसदी रह गई।

केरल में एक चौथाई महिलाएं बेरोजगार
केरल में 2017-18 में करीब एक चौथाई (23.2 फीसदी) महिलाएं बेरोजगार थीं जो बड़े राज्यों में सर्वाधिक है। छह साल पहले राज्य में महिला बेरोजगारी की दर 14.1 फीसदी थी। असम (13.9 फीसदी), पंजाब (11.7 फीसदी) और हरियाणा (11.4 फीसदी) में महिलाओं में बेरोजगारी दर दहाई में पहुंच गई जो राष्ट्रीय औसत (5.7 फीसदी) से करीब दोगुना है।

पुरुष बेरोजगारी में झारखंड अव्वल
पुरुषों में 2017-18 में सर्वाधिक बेरोजगारी दर झारखंड में 8.2 फीसदी रही। यह 2011-12 की 2.4 फीसदी की तुलना में तीन गुना से अधिक है। इसके बाद हरियाणा (8.1 फीसदी), तमिलनाडु (7.8 फीसदी) और बिहार (7.4 फीसदी) हैं। 15 से 29 साल के आयु वर्ग में केरल में महिला बेरोजगारी की दर गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी है। रोजगार तलाश रहीं करीब तीन-चौथाई युवतियों को 2017-18 में नौकरी नहीं मिली।

लगभग आधी पंजाबी ग्रामीण युवतियां बेरोजगार
ग्रामीण पंजाब में युवतियों में बेरोजगारी दर 2017-18 में 43.2 फीसदी रही जबकि 2011-12 में यह 4.2 फीसदी थी। असम (38.5 फीसदी), हरियाणा (29.4 फीसदी) और तमिलनाडु (26.7 फीसदी) में भी गांवों में युवतियों की बेरोजगारी दर अपेक्षाकृत अधिक रही। हालांकि बिहार के शहरी इलाकों में युवतियों में बेरोजगारी की दर 2017-18 में 38.2 फीसदी रही जबकि 2011-12 में यह 43.4 फीसदी थी।

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