Tax Haven : निगम के उपायुक्त समेत 8 अफसरों पर Corruption की Fir

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Tax Haven मैरिज गार्डन, प्लॉट मालिकों को राहत पहुंचाकर किया गया करोड़ों रुपए का घोटाला, 7 साल चली लंबी जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मामला

ग्वालियर। आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (EOW) ने कर चोरों (Tax Haven) के खिलाफ करप्शन (Corruption) के मामले में मुकदमा (FIR) दर्ज किया है। यह मामला ईओडब्ल्यू के पास सात साल पहले आया था। जांच के दौरान एक आरोपी की मौत हो चुकी है।
ग्वालियर ईओडब्ल्यू के अनुसार इस मामले में नगर निगम के तत्कालीन उपायुक्त गुलाब राव काले, एनके गुप्ता, कर संग्रहक शैलेन्द्र शर्मा, महेन्द्र शर्मा, शशिकांत शुक्ला, महेश पाराशर, कार्यालय अधीक्षक सुनील भटेले और सहायक संपत्ति कर अधिकारी बालक दास मौर्य हैं। इन आरोपियों में से शैलेन्द्र शर्मा की मौत हो चुकी है। यह फर्जीवाड़ा 1997 से लेकर 2011 के बीच किया गया। जिसकी शिकायत होने पर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की थी।

जांच के दौरान ही ईओडब्ल्यू ने कई अफसरों के भी तबादले कर दिए थे। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में साजिश करने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7सी की संशोधित अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

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इनको फायदा पहुंचाया
ईओडब्ल्यू ने जांच की तो मालूम हुआ कि आरोपियों ने गांधी रोड के मंगलम सुमंगल मैरिज गार्डन, कृष्ण दास गर्ग, शंकुतला देवी, पदमचंद्र गर्ग, राजकुमार गर्ग, विजय कुमार गर्ग और हर्ष गुप्ता को फायदा पहुंचाया गया। इन आरोपियों के मैरिज गार्डन और प्लॉट के संपत्ति कर के आकलन में गड़बड़ी की गई। आरोपी शैलेन्द्र शर्मा और शशिकांत शुक्ला की गड़बड़ी विभाग ने पकड़ ली थी। उसकी वेतन वृद्धि भी रोकी गई थी। आरोपियों ने इस अलावा ग्लैक्सी बिल्डर के पार्टनर दर्शन पाठक के प्रकरण में भी ऐसी ही गड़बड़ी की थी।

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ऐसे पहुंचाया गया फायदा
जांच में मालूम हुआ कि मंगलम सुमंगल मैरिज गार्डन के संचालक पर एक करोड़ से अधिक का टैक्स निकला था। जिसमें से केवल लगभग 21 लाख रुपए ही जमा कराए गए। जबकि नोटशीट में एक करोड़ रुपए की राशि का उल्लेख है। कृष्ण दास, शंकुतला, पदमचंद्र के लश्कर में रहने वाले लोगों के कर लगभग 21 लाख रुपए में भी ऐसा ही किया गया। आरोपियों ने इसके लिए प्लॉट साइज को कम बताकर टैक्स निकाला। जबकि भौतिक सत्यापन में रिपोर्ट दूसरी तरह की बनाई गई थी। बिल्डर दर्शन पाठक को फायदा पहुंचाने के लिए आरोपियों ने लगभग सवा चार लाख रुपए जमा नहीं किए। आरोपियों ने निगम की फर्जी रसीद बनाकर भी इसमें धोखाधड़ी की थी।

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