UP Breaking News: “हिंदू हृदृय सम्राट” कहे जाने वाले नेता कल्याण सिंह का निधन

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UP Breaking News: योगी आदित्य नाथ से पहले उत्तर प्रदेश में इस नेता की बोलती थी तूती, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने जताया शोक

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राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे दिवंगत कल्याण सिंह की साभार ली गई तस्वीर

दिल्ली। भारत के कई राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश (UP Breaking News) राजनीति के क्षेत्र में काफी दखल रखता है। यहां होने वाली जीत से ही केंद्र में सरकार के रास्ते बनते हैं। इसी राज्य का एक बड़ा चेहरा था 89 वर्षीय कल्याण सिंह। जिनका लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। यह समाचार मिलने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई नेताओं ने शोक जताया। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश राज्य में दो बार मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा वे मोदी सरकार के आने पर दो राज्यों के राज्यपाल भी बनाए गए।

कई नेताओं ने जाना था हालचाल

कल्याण सिंह लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आर्युविज्ञान संस्थान में भर्ती थे। एक महीने के भीतर तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दोबारा उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन, इस बार उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है। इससे पहले वे डॉक्टर राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे। परिवार के सदस्यों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बात की थी। वहीं तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं अस्पताल जाकर उनके स्वास्थ्य इंतजाम को लेकर डॉक्टरों से चर्चा कर चुके थे। कल्याण सिंह सक्रिय राजनीति के बाद दो राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। उन्हें मोदी सरकार बनने के बाद अगस्त, 2014 में राजस्थान का राज्यपाल बनाया था। इसके अलावा जनवरी, 2015 में हिमाचल प्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार राज्यपाल का दिया था।

निर्दलीय होकर भी चुनाव जीता

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दिवंगत कल्याण सिंह— साभार लिया गया चित्र

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के कल्याण सिंह दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बने थे। कल्याण सिंह के कार्यकाल में ही बाबरी विध्वंस की घटना हुई थी। जिसमें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया था। जिसकी आग भारत के कई राज्यों में फैली थी। दूसरी बार उन्हें 1997 में मौका मिला था। उनका जन्म अलीगढ़ जिले में 6 जनवरी, 1932 को हुआ था। उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव भी उन्होंने जीता है। कल्याण सिंह ने 1999 में भाजपा का दामन छोड़ दिया था। फिर 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कहने पर वापस पार्टी में शामिल हुए थे। फिर 2009 में पार्टी छोड़कर फिर निर्दलीय लोकसभा सीट जीतकर उन्होंने अपनी ताकत का अहसास कराया था।

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इन फैसलों के कारण कल्याण चर्चा में रहे

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पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बाएं और दाहिनी तरफ कल्याण सिंह— साभार ली गई तस्वीर

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह काफी मुखर थे। वे विपक्ष को भी साथ में लेकर चल​ते थे। इसलिए उनकी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से भी काफी नजदीकियां थी। जब भाजपा छोड़ी तो वे सपा पार्टी में शामिल हुए थे। कल्याण सिंह ने एक साल के भीतर मुख्यमंत्रीरहते हुए अपनी छाप छोड़ी थी। इसमें पहला आदेश नकल रोकने को लेकर था। दरअसल, यूपी में नकल खुलेआम होती थी। इसलिए रोकने के लिए नकल अध्यादेश लागू किया था। इसमें गिरफ्तार करकेे जेल डालने का प्रावधान भी था। कल्याण सिंह राजनेता से पहले प्रोफेसर रह चुके थे।

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यूपी में भगवे के पीछे कल्याण

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दिवंगत कल्याण सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ— साभार ली गई तस्वीर

कल्याण सिंह ने बीए एलएलबी की पढ़ाई की है। पत्नी रमवती देवी है। बेटा राजवीर सिंह और बेटी प्रभा वर्मा है। राजवीर सिंह भी भाजपा नेता हैं। कल्याण सिंह भारतीय जनसंघ में काफी सक्रिय नेता भी रहे। पहली बार 1967 में विधानसभा का उन्होंने चुनाव जीता था। कल्याण सिंह के नेतृत्व में 1991 में राज्य के भीतर 222 सीटें जीतकर भाजपा का वजूद खड़ा कर दिया था। उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में 60 सीटें लोकसभा की यहां से मिली थी। उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह भाजपा का एक बड़ा और कद्दावर चेहरा था।

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