ई-टेंडर घोटाला: तकनीकी जानकार से जूझ रहा ईओडब्ल्यू

Share

गिरफ्तार आरोपियों को रिमांड खत्म होने पर अदालत में किया पेश, फिर चार दिन की रिमांड पर लिया गया

भोपाल। मध्यप्रदेश के सबसे चर्चित ई-टेंडर घोटाले में जांच के लिए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) तकनीकी जानकारों की कमी से जूझ रहा है। इसलिए जांच और पूछताछ में उसे काफी वक्त लग रहा है। हालांकि इस बात को आधिकारिक रूप से कबूलने के लिए कोई अफसर सामने नहीं आ रहा है।

जानकारी के अनुसार रिमांड पर चल रहे आरोपियों मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रोनिक्स डेव्हल्पमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएसईडीसी) के ओएसडी रहे नंद कुमार ब्रह्मे, विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी को ईओडब्ल्यू की अदालत में पेश किया गया। न्यायाधीश संजीव पांडे के समक्ष आवेदन पेश करते हुए ईओडब्ल्यू ने आरोपियों को दोबारा रिमांड पर सौंपे जाने की मांग रखी। इस संबंध में अपना पक्ष रखते हुए ईओडब्ल्यू ने बताया कि मामला तकनीकी जांच से जुड़ा है। जिसके संबंध में तथ्य जुटाए जा रहे हैं। इसमें अन्य पूछताछ किया जाना आवश्यक है। अदालत ने आरोपियों को एक बार फिर २२ अप्रैल तक रिमांड पर सौंप दिया। इधर, सूत्रों ने बताया कि ईओडब्ल्यू के पास स्वयं के तकनीकी जानकार नहीं है। इसलिए वह निजी जानकारों से दिए गए जानकारी की पुख्ता सबूत जुटाने का काम कर रही है। इस मामले में जल्द ईओडब्ल्यू एमपीएसईडीसी के कुछ अन्य अफसरों की भी गिरफ्तारी कर सकती है।

एन्टेस कंपनी का डाटा से हैरान
इस मामले में ईओडब्ल्यू एन्टेस कंपनी से क्लोन हार्ड डिस्क की रिपोर्ट हासिल कर चुकी है। एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड कंपनी मामले में आरोपी है और वह साफ्टवेयर बनाने का काम करती है। एन्टेस कंपनी एमपीएसईडीसी के लिए साफ्टवेयर डिजाइन करती थी। ईओडब्ल्यू ने 14 अप्रैल को एमपीएसईडीसी में ओएसडी रहे नंदकुमार ब्रह्मे को गिरफ्तार किया था।

यह भी पढ़ें:   MP Annexes Scam : लग्जरी मंत्रालय में भ्रष्टाचार की दुर्गंध, ईओडब्ल्यू ने दस्तावेज सौंपने भेजा नोटिस

क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 को ई-टेंडरिंग घोटाले के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। इसमें जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 में दर्ज हुई थी। जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली से कराई गई। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सडक़ विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ ई-टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया था।

कौन है आरोपी

इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी? लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। अधिकांश कंपनियों के पते पर आधा दर्जन से अधिक कंपनियां भी चल रही है। इसके अलावा साफ्टवेयर बनाने वाली ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी को भी आरोपी बनाया गया है।

यह भी पढ़ें : हेमंत कटारे के बाद एक ओर कांग्रेसी नेता का बेटा हनी ट्रैप का शिकार

अब तक क्या
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में सबसे पहले 11 अप्रैल, 2019 को भोपाल के मानसरोवर में दबिश दी। यहां से तीन आरोपियों विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी को हिरासत में लिया। तीनों आरोपियों को 12 अप्रैल को अदालत में पेश करके 15 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। इसी बीच 14 अप्रैल को नंदकुमार को गिरफ्तार किया गया। जिसे ओस्मो कंपनी के तीनों आरोपियों के साथ 15 अप्रैल को जिला अदालत में न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया। यहां से आरोपियों से अनुसंधान से जुड़ी जानकारियों के संबंध में पूछताछ करने के लिए 18 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। यह रिमांड खत्म होने के बाद ईओडब्ल्यू ने संजीव पांडे की अदालत में आरोपियों को पेश किया। यहां से पहले गिरफ्तार तीन आरोपियों को तीसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। इसी तरह नंद कुमार को दूसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया।

यह भी पढ़ें:   Bhopal News: सूने मकान का ताला चोरों ने चटकाया
Don`t copy text!