दिग्विजय को बताया था सबसे बड़ा दुश्मन, चुनाव में होगा अब आमना—सामना

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भोपाल की चर्चित सीट से भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को दिया टिकट, भाजपा मुख्यालय में हुआ गर्मजोशी से स्वागत

भोपाल। राजनीति में दुश्मनों से हिसाब चुकता करने के मौंके बहुत कम लोगों को मिलते हैं। लेकिन, ताजा—ताजा राजनीतिक पार्टी की सदस्यता लेने वाली प्रज्ञा ठाकुर को अपने पहले ही चुनाव में उन दिग्विजय सिंह से हिसाब चुकता करने का मौका मिला है जिनकी वजह से वह जेल में रही थी। हालांकि चुनौती में वह कितनी खरी उतरेगी यह वक्त ही बताएगा। दरअसल, प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह को निपुण चाणक्य कहा जाता है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सामने भारतीय जनता पार्टी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान पर उतारा है। यह वही साध्वी हैं जो सिंह के कारण शिवराज सरकार में कई साल तक जेल में रही थी। जेल में रहने के दौरान कई मौकों पर दिग्विजय ने उनका उपहास भी उड़ाया था। अब सभी बातों का हिसाब बराबर करने का साध्वी को मौका मिल गया है। बुधवार को भाजपा मुख्यालय पहुंचने पर कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह समेत कई अन्य नेताओं ने उनका स्वागत किया। बताया जाता है कि साध्वी का टिकट आरएसएस ने फायनल किया है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा समेत कई अन्य नेताओं के नाम उछले थे।

कौन है साध्वी प्रज्ञा ठाकुर


भिंड के लहार कस्बे में जन्मी साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर कॉलेज के जमाने से ही मोटर साइकिल की शौकीन रही हैं। प्रज्ञासिंह की कॉलेज तक की पढ़ाई लहार में हुई थी। प्रज्ञा ने जींस—कमीज भी पहना है लेकिन उन्हें साध्वी के चोले ने ज्यादा आराम दिया। साध्वी के पिता सीपी ठाकुर लहार के गल्ला मंडी रोड पर रहते थे। उनकी एक क्लीनिक चलती थी। ​पिता भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे।

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क्यों जाना पड़ा था जेल


महाराष्ट्र के नासिक जिले के नजदीक मालेेगांव में बम धमाका हुआ था। यह धमाका 8 सितंबर,2008 को एक मस्जिद के पास किया गया था। जिसमें 6 लोगों की जान गई थी और 100 लोग जख्मी हुए थे। जिस दिन यह धमाका हुआ था उस दिन जुमे की नमाज चल रही थी। इस मामले में आरएसएस से जुड़े हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत को जिम्मेदार मानते हुए महाराष्ट्र एसआईटी ने मुख्य आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार किया था। प्रज्ञा इसी कारण प्रदेश समेत कई जिलों की जेल में रही। पुलिस ने 2013 में आरोपपत्र दाखिल किया था। इसके बाद मई, 2016 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रज्ञा को क्लीनचिट दी।

छात्र इकाई से मिली पहचान
चार बहन और एक भाई के बीच दूसरे नंबर की संतान प्रज्ञा ने धीरे-धीरे सूरत को अपनी कार्यस्थली बना लिया। वहाँ उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर उन्होंने सूरत में न केवल एक आश्रम बनाया, बल्कि अपने सभी परिजनों को वहीं बुला लिया। पिछले चार साल से वे सूरत में ही रह रही थीं। प्रज्ञा इससे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ीं। उन्होंने परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाई। एबीवीपी में रहते हुए वे भोपाल, देवास, जबलपुर और इंदौर में आती—जाती रही।

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हौसला कभी नहीं टूटा
साध्वी को उज्जैन सिंहस्थ में जाने की अनुमति तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने नहीं दी थी। इस कारण वे भोपाल में ही धरने पर बैठ गई थी। मुंबई उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिली थी। उन्होंने कुछ वक्त भोपाल केन्द्रीय जेल, देवास और मुंबई में बिताया। स्तन कैंसर से पीड़ित होने के कारण प्रज्ञा ठाकुर का ढाई वर्ष तक भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सा संस्थान में इलाज चला। इस दौरान उन्हें कांग्रेस और दिग्विजय सिंह ने कई बार कोसा। लेकिन, वे हताश और टूटने की बजाय आज उनके ही सामने ताल ठोंकने के लिए तैयार हो गई।

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