भौगोलिक हालात बन रहे देश के दुश्मन, नशे के कारोबारियों की काली नजर भारत पर

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ओपियम उत्पादक समूहों गोल्डन क्रीसेंट और गोल्डन ट्रेंगल के बीच बसा भारत नशे के कारोबारियों के लिए भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह बड़ा बाजार भी है। भारत में ज्यादातर तस्करी सीमावर्ती क्षेत्रों से होती है, जबकि समुद्र तटों से नशे की खेपें आती हैं। हेरोइन के अवैध कारोबार का दक्षिण एशिया में बड़ा हिस्सा भारत से होकर गुजरता है। भारत में हेरोइन कारोबार के तार अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बर्मा, लाओस और थाइलैंड से जुड़े हैं। पाकिस्तान और म्यांमार से आने वाली हेरोइन नेपाल के जरिए भारत से बाहर भेजी जाती है। जहाजों से ज्यादातर भारतीय अवैध कारोबार अफ्रीकी-यूरोपीय देशों से होता है। मुंबई इस मामले में अवैध कारोबारियों का गढ़ है, यहां से नाइजीरिया के तार जुड़े हैं।

गांजा: भारत में तस्कर 500 से 700 रुपए प्रति किलो में गांजा खरीदते हैं। दूसरे मुल्कों में पहुंचते ही इसकी कीमत 6 से 10 गुना बढ़ जाती है। भारत में गांजे के कारोबार का रूट दक्षिण तथा मध्य क्षेत्र से होता हुआ उत्तर की ओर जाता है,

हेरोइन: भारत में पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से हेरोइन आती है। इसकी प्रति किलो शुरुआती कीमत एक लाख रुपए होती है। देश के भीतर इसकी कीमत 30 से 35 लाख रुपए प्रति किलो हो जाती है। खुले बाजार में यह 1 करोड़ रुपए प्रति किलो का कारोबार है। विदेशों में भारत से जाने वाली हेरोइन 4-5 करोड़ में बिकती है।

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पश्चिमी बंदरगाहों से देश के भीतर
विदेशों से आनेवाले नशीले पदार्थ ज्यादातर पश्चिमी बंदरगाहों पर उतरते हैं। रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली चीजों जैसे फल और सब्जियों के ट्रक आदि में यह विभिन्न हिस्सों में पहुंचाए जाते हैं। गांजा नेपाल और पाकिस्तान के जरिए अन्य देशों तक पहुंचता है।

राजनीति संरक्षण और ग्लैमर का सहारा
पूरी दुनिया में नशे का कारोबार अमूमन राजनीतिक संरक्षण में ही चलता है। इसके साथ ग्लैमर की दुनिया का सहारा लिया जाता है। ड्रग माफिया राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाते हैं। राजनीतिक छत्रछाया में पनपने वाला अपराध तंत्र अस्थिरता के दौर में मजबूती हासिल करता है और जब राजनीतिक स्थिरता की स्थिति बनती है, तो वह अपनी जान बचाने के लिए माहौल में अस्थिरता फैलाता है।

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