प्रकरण दर्ज करते ही ईओडब्ल्यू ने मारा छापा

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आईटी कंपनी ओस्मो के दफ्तर की हुई सर्चिग, तीन आरोपियों से की गई पूछताछ

भोपाल। ई—टेंडर घोटाले में एफआईआर दर्ज करते ही आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) एक्शन में आ गया। उसने गुरूवार को फर्जीवाड़े से जुड़ी एक कंपनी के दफ्तर पर छापा मारकर तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक व्यक्ति पूर्व भाजपा विधायक के समर्थक का भाई भी है।

जानकारी के अनुसार भाजपा कार्यालय के सामने स्थित है। यह दफ्तर ओसमो कंपनी का है जो मानसरोवर काम्पलेक्स में है। जिसके तीन पार्टनर विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी है। बताया जाता है कि विनय का भाई भाजपा कार्यकर्ता और पूर्व विधायक सुरेन्द्र नाथ सिंह के गुट में शामिल है। इस मामले में ईओडब्ल्यू एसपी अरूण मिश्रा ने बताया कि इस मामले में अभी पड़ताल की जा रही है। जिसके बाद कोई जानकारी सामने आ सकेगी।

क्या है मामला

एसपी अरूण मिश्रा
ई—टेंडर घोटाले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज किया है। इन मुकदमों में सात निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनियों के अलावा तीन आईटी की कंपनियों केे संचालकगणों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 दर्ज हुई थी। इसमें जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सड़क विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ टेंडरों में गड़बड़ी की गई थी। यह घोटाला लगभग तीन हजार करोड़ रूपए का है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी​ लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

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राजनीति शुरू
इस मामले में भाजपा का दावा है कि टैम्पिरिंग का प्रयास हुआ था। उसे तत्कालीन सरकार ने रोकते हुए जांच के आदेश दिए थे। जबकि कांग्रेस का दावा है कि जब टैम्पिरिंग नहीं हुई तो भाजपा को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। जांच एजेंसियां स्वतंत्र होकर मामले की जांच करेगी।

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