सुरखी में मंत्री गोविंद सिंह को टक्कर देंगी पारुल साहू, 2013 में हराया था

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कांग्रेस में शामिल हुईं भाजपा की पूर्व विधायक Parul Sahu, सिंधिया खेमे को झटका

Parul Sahu
कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ पारुल साहू

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी की पूर्व विधायक पारुल साहू (Parul Sahu) ने कांग्रेस का दामन धाम लिया है। शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) ने पारुल साहू को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। गुरुवार देर शाम पारुल साहू ने समर्थकों के साथ कमलनाथ से मुलाकात की थी। जिसके बाद से ही उनके कांग्रेस में जाने की खबर पर मुहर लग गई थी। पारुल साहू की कांग्रेस में एंट्री से भाजपा और खासतौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) खेमे को बड़ा झटका लगा है। पारुल साहू सुरखी से विधायक रही है। अब कांग्रेस उन्हें मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ प्रत्याशी बनाने की तैयारी में है।

2013 में पहली बार लड़ी थीं चुनाव

2013 में पारुल साहू ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। विदेश में पढ़ाई कर लौटी पारुल ने कुछ ही दिनों पहले भाजपा की सदस्यता ली थी, जिसके तुरंत बाद उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया गया था। इस चुनाव में पारुल साहू ने गोविंद सिंह राजपूत को हरा दिया था। 2018 में पारुल साहू को भाजपा ने टिकट नहीं लिया। लिहाजा वो चुनाव नहीं लड़ी।

कांग्रेस को मिला प्रत्याशी

Parul Sahu
सदस्यता ग्रहण करतीं पारुल साहू

कमलनाथ सरकार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सिंधिया खेमे के मंत्रियों को कांग्रेस सबक सिखाना चाहती है। यहीं वजह है कि मंत्री तुलसी सिलावट के खिलाफ पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू (Premchand Guddu) को मैदान में उतारा गया है। जिसके बाद से सांवेर (Sanver) में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। गुड्डू भी भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए है। वहीं अब सांवेर जैसा कांटे का मुकाबला सुरखी में देखने को मिलेगा। पारुल साहू के रूप में कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी मिल गया है। पारुल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडेंगी तो गोविंद सिंह राजपूत के लिए बड़ी मुश्किल हो जाएगी।

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सक्रीय रहती है पारुल साहू

संपन्न परिवार से आने वाली पारुल साहू उच्च शिक्षित है। उनकी पढ़ाई विदेश में हुई है। क्षेत्र में लौटने के बाद से ही वो लगातार सक्रीय रही है। सामाजिक कार्यों में पारुल साहू बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि गरीब तबके में पारुल साहू के गहरी पैठ है। यहीं वजह है कि उनके चुनावी मैदान में उतरने से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच सकता है।

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