मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी की रार तेज, असली और नकली कार्यकारिणी पर घमासान

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केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जारी कार्यकारिणी में प्रदेश ईकाई ने बिना अनुमति और संस्तुति किया संशोधन

भोपाल। एक तरफ जहां विभिन्न राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव में अपना दम खम आजमाने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी में इन दिनों संगठन निर्माण को लेकर खींचतान जारी है। इसमें नियमों को लेकर टकराव दिखाई दे रहा है। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जारी कार्यकारिणी सूची को प्रदेश ईकाई ने बिना अनुमति के बदल दिया है। केंद्रीय नेतृत्व ने इसे अनुशासनहीनता करार देते हुए संगठन के नियमों के विपरीत बताया है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष ने इसे पार्टी संविधान के तहत अधिकार का प्रयोग करार दिया है। फिलहाल मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि इस मामले में आप के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। लेकिन इसके पहले विभिन्न व्हाट्सएप समूहों पर पार्टी के कार्यकर्ता अपने अपने स्तर पर बयानबाजी कर रहे हैं और एक दूसरे पर खुलकर आरोप लगा रहे हैं।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ बगावती स्वर तेज हुए थे, जिनकी धमक दिल्ली तक पहुंची थीं। तब आप के दिल्ली नेतृत्व ने मध्य प्रदेश के संबंध में कोई ठोस फैसला नहीं लिया था, लेकिन बीते दो तीन दिनों में संगठन को नए सिरे से बनाने और जिम्मेदारियां देने व लेने का सिलसिला तेज हो गया है। इसी के साथ आरोप, प्रत्यारोप और अपने वजूद को बचाने की कवायदें भी जारी हैं।

इस नए घटनाक्रम की शुरुआत बीते सप्ताह शुरू हुई। विधानसभा चुनाव की करारी हार के कारण कार्यकर्ताओं के निशाने पर आए प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने लंबे समय बाद 28 मार्च को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। लेकिन बैठक के ठीक एक दिन पहले 27 मार्च को आप के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मध्य प्रदेश के प्रभारी गोपाल राय के आदेश पर सह प्रभारी कृष्णा यादव ने 43 सदस्यीय कार्यका​रिणी की घोषणा की। इस सूची में आलोक अग्रवाल का पद बरकरार रखा गया लेकिन उनके साथ ही प्रदेश संगठन मंत्री पंकज सिंह के कद को बढ़ाया गया और उन्हें नंबर दो की हैसियत दी गई। साथ ही आलोक अग्रवाल के करीबी माने जाने वाले कई लोगों को कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया गया।

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28 मार्च को प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पूर्व कार्यकारिणी के सदस्यों को भी बुलाया और उन्हें पुन: कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण स्थान देते हुए 64 सदस्यीय नई कार्यकारिणी का गठन कर दिया और इस सूची को मीडिया में जारी भी कर दिया। इस सूची में आलोक अग्रवाल ने अपने समर्थकों में से कुछ का कद बढ़ाया तो जिन्हें बाहर किया गया था उन्हें पुनः कार्यकारिणी में शामिल कर लिया। इसका संज्ञान लेते हुए गोपाल राय ने तीखा पत्र लिखा और इसे अनुशासनहीनता करार दिया, क्योंकि प्रदेश नेतृत्व ने कार्यकारिणी में बदलाव के लिए केंद्रीय नेतृत्व की संस्तुति नहीं ली थी। प्रदेश प्रभारी गोपाल राय के पत्र से आहत आलोक अग्रवाल ने अपने नर्मदा आंदोलन के इतिहास को बताते हुए लंबा पत्र लिखा और पार्टी में अपने कार्यों का हवाला देते हुए नई कार्यकारिणी को उचित बताया।

दोनों कार्यकारिणी सूची और पत्र देखने के लिए यहां क्लिक करें

इसके बाद से कार्यकर्ताओं में लगातार असमंजस बना हुआ है। हालांकि प्रदेश कार्यालय सचिव अरविंद शर्मा ने इस संशय को खत्म करते हुए केंद्रीय नेतृत्व की कार्यकरिणी को ही असली बताया है।

कुल मिलाकर फिलहाल आम आदमी पार्टी की मध्य प्रदेश ईकाई दो धड़ों में बंटी हुई नजर आ रही है। इसमें एक धड़ा आलोक अग्रवाल का है, तो दूसरा उनके विरोधियों का है। कार्यकारिणी में प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने केंद्रीय नेतृत्व की सलाह के बिना अपने करीबी अमित भटनागर, युवराज सिंह औऱ जितेंद्र चौरसिया, हिमांशु कुलश्रेष्ठ का कद बढ़ाया है तो वहीं अपने पक्ष के लोगों में चित्तरूपा पालित, दुष्यंत दांगी, जितेंद्र राजाराम समेत कई छुटभैये कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में शामिल कर लिया है।

बताया जाता है कि आने वाले दिनों में कार्यकर्ताओं के बीच की यह लड़ाई और तीखी होने के आसार हैं और केंद्रीय नेतृत्व की ओर से पार्टी हित में नेतृत्व को बदला जा सकता है।

दोनों कार्यकारिणी में यह हैं 10 प्रमुख भिन्नताएं
1- केंद्रीय नेतृत्व की कार्यकारिणी में दो उपाध्यक्ष परिणीता राजे एवं रानी अग्रवाल को बनाया गया था, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने अमित भटनागर को भी उपाध्यक्ष बनाया है।

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2- केंद्रीय नेतृत्व ने पंकज सिंह को प्रदेश संगठन मंत्री बनाया था, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने उनके साथ युवराज सिंह और हिमांशु कुलश्रेष्ठ को भी प्रदेश संगठन मंत्री बनाया है। केंद्रीय नेतृत्व ने हिमांशु कुलश्रेष्ठ को कार्यकारिणी में नहीं रखा था।

3- केंद्रीय नेतृत्व ने संदीप शाह को प्रदेश संगठन सचिव बनाते हुए रीवा जोन का प्रभार दिया था। इनके स्थान पर राज्य नेतृत्व ने बालेंदु शुक्ला को यह दायित्व दिया है। संदीप को प्रदेश नेतृत्व ने रीवा जोन के तीन जिलों अनूपपुर, शहडोल और उमरिया तक सीमित कर दिया।

4- केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश सचिव का प्रभार जीतेन्द्र चौरसिया को दिया था। प्रदेश नेतृत्व ने इसके साथ उन्हें मीडिया प्रभारी भी बनाया है।

5- केंद्रीय नेतृत्व ने अरविंद शर्मा हुजूर को प्रदेश कार्यालय सचिव बनाया था, इसके स्थान पर प्रदेश नेतृत्व ने अरविंद शर्मा दतिया को यह प्रभार दिया है।

6- इसके अलावा प्रदेश नेतृत्व ने आशीष भदौरिया को बतौर सह मीडिया प्रभारी, रणजीत जाट को यूथ विंग अध्यक्ष, साधना पाठक को महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष, श्याम वर्मा को ट्रेड विंग अध्यक्ष, शेलैंद्र रूपावत को राजनीतिक प्रशिक्षक समिति के अध्यक्ष और जितेंद्र राजाराम को उपाध्यक्ष के तौर पर कार्यकारिणी में शामिल किया है। ये सभी केंद्रीय नेतृत्व की सूची में नहीं हैं।

7- प्रदेश नेतृत्व ने चित्तरूपा पालित, अनिल त्रिवेदी, मंजू जैन, दुष्यंत दांगी, दिलीप मिश्रा, निशांत गंगवानी, शैली राणावत, लक्ष्मी चौहान, गुरमीत सिंह और देवेंद्र लोधी को बतौर सदस्य कार्यकारिणी में शामिल किया है। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जारी कार्यकारिणी सूची में इनका नाम नहीं था। इनमें से ज्यादातर लोग आलोक अग्रवाल के करीबी बताए जाते हैं।

8- भोपाल जोन के पदाधिकारियों में अवधेश पुरोहित और ज्ञानेंद्र उपाध्याय को प्रदेश नेतृत्व ने शामिल किया है, जबकि ये केंद्रीय नेतृत्व की ओर से शामिल नहीं हैं।

9- प्रदेश नेतृत्व ने 15 सदस्यीय पॉलिटिकल अफेयर कमेटी पीएसी का भी गठन किया है, जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने संस्तुति नहीं दी है।

10- प्रदेश नेतृत्व ने अपनी ओर से प्रदेश सचिव सोशल मीडिया, प्रदेश सह सचिव सोशल मीडिया एवं यूथ विंग सचिव की भी घोषणा की है, जिनके बारे में केंद्रीय नेतृत्व की संस्तुति नहीं ली गई।

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