वाशिंगटन। गुरुवार की रात और शुक्रवार दोपहर तक का वक्त अमेरिका और ईरान के संबंधों के नए तरीके से बनते बिगड़ते समीकरणों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा। अमरीकी ड्रोन का ईरान की सीमा में अनाधिकृत प्रवेश, ईरान का ड्रोन को गिराना और फिर अमरीकी राष्ट्रपति का ईरान पर हमले का फैसला और देर शाम तक कदम पीछे खींचना— यह सारी घटनाएं तेजी से घटीं, लेकिन इस दौरान दुनिया भर में इन दोनों देशों के बीच के संबंधों पर चर्चा होती रही है, जिसमें हमले के बादल भी मंडराते रहे। इस दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर हमले का फैसला ले लिया था और अमेरिका में ईरान पर ड्रोन से सैन्य हमले की तैयारियां होने लगी थीं। लेकिन इस ऑपरेशन पर शुरू होने के महज कुछ घंटे पहले रोक लगा दी गई।
असल में, ईरान ने अमरीकी निगरानी ड्रोन गिरा दिए थे, जिसका जवाब देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप हमले के लिए आदेश दे चुके थे। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार रात ट्रंप ने हमले की अनुमति दे दी थी। अखबार ने ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से ऐसा लिखा है। रात को व्हाइट हाउस ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। शुक्रवार सुबह भी ट्रंप ने महज इतनी प्रतिक्रिया दी कि “आपको जल्द ही पता चल जाएगा।”
गंभीर और विस्फोटक हैं संबंध
आदेश देने के बाद जिस तरह हमले का फैसले वापस लिया गया उससे अमेरिका और ईरान के बीच गंभीर और विस्फोटक हो चुके संबंधों की बानगी मिलती है। अमेरिका जिस तरह आर्थिक प्रतिबंधों और इलाके में अपनी सेना की तैनाती कर ईरान पर “अधिकतम दबाव” वाला अभियान चला रहा है, उससे हाल के हफ्तों में तनाव काफी गहरा गया है। इसीलिए अंदेशा जताया जा रहा है कि कभी भी इनमें से कोई भी पक्ष ऐसा कोई कदम ना उठा ले जिसका नतीजा युद्ध हो।
पेंटागन ने दिया हमले का सुझाव
समाचार एजेंसी एपी ने अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि हमले का सुझाव पेंटागन की तरफ से आया था। यह पता नहीं चल पाया है कि हमले की तैयारियां कितनी आगे बढ़ चुकी थीं। लेकिन अधिकारी ने बताया कि कोई गोला-बारूद या मिसाइल नहीं दागी गई थी। अमेरिकी समय के मुताबिक शाम 7:30 बजे वॉशिंगटन में हमला रद्द करने का आदेश आ गया था। इसके पहले पूरा दिन ट्रंप अमेरिकी कांग्रेस के नेताओं और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ ईरान रणनीति पर चर्चा कर रहे थे।
ड्रोन के वायुसीमा उल्लंघन पर अलग—अलग दावे
ईरान ने अमेरिका के जिस ड्रोन को गिराया है, वह मानवरहित ड्रोन होरमुज की खाड़ी के ऊपर उड़ रहा था। ईरान का मानना है कि चूंकि अमेरिकी ड्रोन ने उसकी वायुसीमा का उल्लंघन किया था, इसलिए उन्होंने हमला किया। वहीं अमेरिका का कहना है कि ड्रोन अंतरराष्ट्रीय वायुसीमा में था। एक ट्वीट में ट्रंप ने लिखा, “ईरान ने बहुत बड़ी गलती कर दी है!” लेकिन आगे यह भी कहा कि हो सकता है ऐसा भूल से हो गया हो।
युद्ध से दूरी बनाने की बात कहते हैं ट्रंप
ट्रंप पहले कह चुके हैं कि वे युद्ध में नहीं पड़ना चाहते और ईरान से उसके परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने को तैयार हैं। कांग्रेस सदस्यों ने भी ट्रंप से माहौल को कम तनावपूर्ण बनाने के सुझाव दिए। नेताओं ने ट्रंप से ईरान के साथ सावधानी बरतने और कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले कांग्रेस से राय लेने पर जोर दिया। वहीं ईरान ने दावा किया है कि उसके पास अमेरिकी ड्रोन के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं जिन्हें वह संयुक्त राष्ट्र के सामने पेश करने को भी तैयार है।
अमेरिका पर आर्थिक आतंकवाद का आरोप
ट्रंप प्रशासन बीते एक साल से ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों का दबाव बढ़ाता जा रहा है। ईरान ने इसे “आर्थिक आतंकवाद” कहा है। अमेरिका ने 2018 में खुद को ईरान संधि से बाहर निकालने की घोषणा की थी, जबकि बाकी सभी विश्व शक्तियां अब भी संधि में हैं।