Indo Nepal Relation News: चीन की विवादित कंपनी को सड़क बनाने का दिया गया ठेका, भारतीय कंपनी समेत 42 इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की तरफ से निर्णय को चुनौती देने की तैयारी
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दिल्ली/काठमांडू। नेपाल में इसी महीने 22 नवंबर को वहां के सात राज्यों के अलावा प्रधानमंत्री पद के चुनाव होना है। चुनाव में ऐमाले के केपी शर्मा ओली और कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा के गठबंधन वाली पार्टियां आमने—सामने हैं। केपी शर्मा ओली नेपाल (Indo Nepal Relation News) की जमीन पर भारतीय अतिक्रमण को लेकर जोर—शोर से प्रचार कर रहे हैं। मतदान को सिर्फ छह दिन बाकी है। इससे पहले नेपाल के चुनाव में वहां की आर्मी (Nepal Army News) के एक फैसले ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल, नेपाली सेना की निगरानी में एक बहुप्रतीक्षित योजना के निर्माण कार्य का ठेका चीनी कंपनी को दे दिया गया है। इस फैसले को अव्यवहारिक मानते हुए अन्य कंपनियां जल्द अदालत की शरण में जाने वाली है।
ऐसी है यह पूरी योजना
इस कारण भारत के खिलाफ माना जा रहा निर्णय
इसलिए भारत के खिलाफ माना जा रहा निर्णय
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भारत—नेपाल के बीच कुछ वर्षों से मधुर संबंध नहीं चल रहे हैं। यह कड़वाहट कुछ साल पहले सामानों को ले जाए जा रहे ट्रकों को सीमा पर रोकने से शुरू हुई थी। उस वक्त नेपाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) थे। ओली का गठबंधन पुष्प कमल दाहाल प्रचंड (Pushp Kamal Dahal Prachand) की मदद से चल रहा था। जिन्होंने बीच कार्यकाल में समर्थन वापस ले लिया था। प्रचंड और ओली वामपंथी विचारधारा वाली अलग—अलग पार्टियां है। जिन्हें एक मंच पर लाने के लिए चीन ने भी कई प्रयास इसी साल किए थे। इसके बावजूद प्रचंड नहीं माने और वे देउबा के साथ चुनाव पर कूद गए। ओली सरकार नेपाल के नागरिकता बिल को लेकर भी मुखर है। जिसको वहां की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने दो बार नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (PM Sher Bahadur Deuba) के पास वापस भेज दिया था। इस बिल में भी भारत के हित छुपे थे। नेपाल में होने वाले चुनाव में चीन और भारत के रिश्तों से जुड़े विषय काफी प्रभाव डालते हैं। इसलिए सड़क बनाने के चीनी कंपनी को दिए गए ठेके शेर बहादुर देउबा को मुश्किल में डाल सकते हैं। समाचार के लिए इस्तेमाल किए गए तथ्य खबर हब, दी प्रिंट और ईकोनॉमिक टाइम्स की न्यूज वेबसाइट से लिए गए हैं।