Nepal News : नेपाल में नागरिकता संशोधन विधेयक वापस, मधेसी समुदाय की बड़ी जीत

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Nepal News :  संविधान पारित होते वक्त भारत ने भी जताई थी आपत्ति , पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने लिया था फैसला

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संविधान विधेयक का विरोध करते मधेशी समाज के नेता—फाइल फोटो

काठमांडू। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की सरकार ने नागरिकता कानून संशोधन बिल वापस ले लिया है। इस बिल को तत्कालीन केपी ओली सरकार ने पारित किया था। जिसमें मधेसी समुदाय को काफी आपत्ति थी। यह समुदाय भारतीय मूल का नेपाल (Nepal News) में रहने वाला नागरिक है। इस कारण उसी वक्त भारत ने विकेयक को लेकर अपनी तरफ से भी नाराजगी जताई थी। इस ताजा फैसले से नेपाल के मधेसी समुदाय की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। एक समय इसके खिलाफ नेपाल में जोरदार आंदोलन हुआ था, जिसके बाद सरकार ने विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

इसलिए कर रहे थे विरोध

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब देउबा सरकार ने संसद में पेश हो चुके इस बिल को वापस ले लेने का फैसला किया है। मंगलवार को संघीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय हुआ। इस में तय किया गया कि इस विधेयक में शामिल विवादास्पद प्रावधानों को हटा कर विधेयक का नया प्रारूप तैयार किया जाएगा। उसके बाद उसे नए सिरे से संसद में पेश किया जाएगा। नेपाल के नागरिक कानून अधिनियम- 2006 में संशोधन के करने के लिए नया बिल तैयार हुआ था। उसे सात अगस्त 2018 को संसद में पेश कर दिया गया। लेकिन देश के कई हिस्सों से उसका विरोध शुरू हो जाने के कारण बिल को पारित कराने की कार्यवाही रोक दी गई। समझा जाता है कि ये विधेयक पारित होने पर नेपाल से लगे भारतीय क्षेत्रों में वैवाहिक रिश्ता बनाने वाले मधेसी नेपाली परिवारों को भारी दिक्कत होती। इसीलिए इस बारे में देश में आम सहमति नहीं बन सकी।

यह बोलकर लिया गया वापस

संघीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक के बाद विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री गोविंदा कोइराला (Govinda Koirala) ने पत्रकारों से कहा बिल में कई विवादित प्रावधान थे। इस वजह से यह कई राजनीतिक दलों और हितधारकों के बीच टकराव का मुद्दा बन गया। इसलिए सभी राजनीतिक दलों (Nepal News) के बीच ये सहमति बनी है कि इस विधेयक को नए सिरे से तैयार किया जाए। जिन दलों ने इस पर सहमति दी है उनमें मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल भी शामिल है। कोइराला ने कहा कि नए बिल को सबकी सहमति से तैयार किया जाएगा। उसके बाद उसे संसद में पेश किया जाएगा। नागरिकता संशोधन कानून में सबसे विवादास्पद प्रावधान नेपाली पुरुषों से विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं की नागरिकता के बारे में था। इस प्रावधान पर संसद की ‘राजकीय मामले और सुशासन समिति’ ने दो साल तक व्यापक विचार-विमर्श किया। इसके बावजूद नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को नागरिकता देने का नियम क्या हो, इस बारे में देश के प्रमुख राजनीतिक दलों में आम सहमति नहीं बन सकी।
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