Nepal Political News: गजब की सुंदर चीनी राजदूत की नेपाल से हुई विदाई 

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Nepal Political News: नेपाल में परिणाम आने के बाद ड्रैगन ने नए समीकरण बैठाने मोहरे जमाने का काम तेज किया, पूर्व प्रधानमंत्री को इशारों पर भी नचाया, इसलिए प्रचार के दौरान केपी शर्मा ओली भारत के कब्जे वाले मुद्दे को उठाकर दे रहे थे मोदी को चुनौती, जिनपिंग की बेहद करीबी हाओ यांकी की कहानी

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नेपाल की पूर्व राजदूत हाओ यांकी जिनकी चुनाव परिणाम के बाद गुपचुप तरीके से दूतावास से विदाई कर दी गई। यांकी के सोशल मीडिया अकाउंट से ली गई तस्वीर।

दिल्ली/काठमांडू। नेपाल में प्रधानमंत्री के साथ—साथ सात राज्यों के चुनाव संपन्न हो गए। यहां कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया। मुख्य विपक्षी दल के नेता केपी शर्मा ओली चारों खाने चित हो गए। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जमकर नेपाल (Nepal Political News) के भूखंड को भारत की तरफ से कब्जाने के आरोप को लगाकर जमकर कांग्रेस गठबंधन सरकार को कोस रहे थे। बताया जा रहा है कि यह सारी रणनीति चीनी राजदूत हाओ यांकी के इशारों पर रची गई थी। लेकिन, परिणाम आने के पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यांकी की नेपाल से विदाई कर दी। उनकी जगह दूसरा राजदूत बनाकर नेपाल भेज दिया गया है।

अब आलोचना के शिकार हो रहे ओली

नेपाली मीडिया में हाओ यांकी (Hou Yanqi) की दुर्गति को लेकर काफी चटखारे से खबर प्रकाशित की जा रही है। उनकी जगह पर चेंग सोंग (Chen Song) को नेपाल का नया राजदूत बनाया गया है। खबर है कि हाओ यांकी और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली  के बीच खूब बनती भी थी। इसी नजदीकियों का फायदा उठाकर यांकी ने भारत—नेपाल के संबंधों के बीच दरार डालने के लिए कई प्रयास किए। उसमें से चर्चित मामला नेपाल का नक्शा था। इस नक्शे में भारत के कई हिस्से को नेपाल में दर्शाया गया था। हालांकि कालापानी और लिपुलेक को लेकर भारत के साथ सीमा विवाद काफी पुराना चला आ रहा है। पूर्व चीनी राजदूत हाओ यांकी काफी खुबसूरत भी थी। उनकी तस्वीरें उनके ही ट्वीटर अकाउंट से लेकर नेपाली मीडिया में केपी शर्मा ओली की आलोचना की जा रही है।

पाकिस्तान के बाद फिर भेजा गया था नेपाल

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पुष्प कमल दहल प्रचंड एवं केपी शर्मा ओली— फाइल फोटो

खबर है कि हाओ यांकी के प्रयासों से पुष्प कमल दहल और केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) एक मंच पर आए थे। यह दोनों दल वामपंथी विचारधारा से जुड़े हैं। लेकिन, प्रचंड को इस दोस्ती में भविष्य खतरे में नजर आया। इसलिए ओली से उन्होंने किनारे कर लिया। यांकी ने दोबारा दोनों को मिलाने में काफी प्रयास किया। उनके प्रयास काम नहीं आए तो चीन के एक अन्य नेता ने भी आखिरी वक्त तक भरसक प्रयास किया था। ओली को चीन समर्थक माना जाता है। जबकि प्रचंड को भारतीय समर्थक कहा जाता है। नए राजदूत चेंग सोंग नेपाल के राजदूत बनने से पहले विदेश मंत्रालय में डिप्युटी डायरेक्टर थे। नेपाली मीडिया ने बताया कि यांकी पिछले महीने ही गुपचुप तरीके से चीन लौट गई है। वे 2018 से नेपाल मे राजूदत थी। खबर है कि यांकी को इंडोनेशिया भेजा जा रहा है। नेपाल से पहले वे पाकिस्तान में तीन साल काम कर चुकी हैं। उन्हें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का काफी करीबी माना जाता है।

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