World Woman Crime: दुनिया में गर्भपात को लेकर ऐसे हैं कानून

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World Woman Crime: डोनाल्ड ट्रंप के पार्टी की महिला नेता ने दिया विवादित बयान तो फिर उठा दुनिया के लिए यह मामला

World Woman Crime
रिपब्लिकन पार्टी महिला नेता

वाशिंगटन। बलात्कार पीड़िता यदि गर्भवती होती है तो दुनिया (World Woman Crime) में अलग—अलग उसके कानून हैं। महिलाओं से जुड़े यह मामले इस वक्त फिर सुर्खियों में आ गए हैं। दरअसल, पिछले दिनों अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी से जुड़ी एक महिला नेता ने नया बयान देकर महिलाओं के बीच यह बहस छेड़ दी है। हालांकि इस बयान के बाद उनकी काफी निंदा की जा रही है। बयान में उन्होंने कहा है कि ऐसी महिला यदि गर्भवती हो जाती है तो उसको गर्भपात कराने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। बल्कि उसको बच्चे को जन्म देकर कानूनी तरीके से गोद देने की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।

क्यों दिया गया विवादित बयान

यह विवादित बयान देने वाली नेता जेनेट मैरी श्मिट हैं। वे ओहियो की राज्य प्रतिनिधि भी हैं। वह रिपब्लिकन से पहले कांग्रेस की प्रतिनिधि थी। वे पहले भी विवादित बयानों को देखकर सुर्खियों में रह चुकी है। उन्होंने 2005 में इराक से सैनिकों की वापसी का आह्वान करने के बाद वियतनाम युद्ध के दिग्गज जॉन पी मूर्ति को कायर बोल दिया था। इसके बाद उन्हें मीन जीन जिसका मतलब मतलबी इंसान जैसे उपनामों से बुलाया जाने लगा था। अमेरिका महिला नेता जेनेट मैरी श्मिट ने गर्भपात प्रतिबंध को लेकर कहा रेप के बाद गर्भवती महिलाओं के लिए एक मौका है। वो बच्चे को पाल पोसकर एडॉप्शन के जरिए परिवारों को गोद दे सकती हैं। जेनेट ने ये सारी बात दो दिन पहले न्यू हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस डिपॉर्टमेंट अबॉर्शन रूल पर आयोजित कार्यक्रम में बोली थी। उन्होंने आगे कहा कि रेप बुरा है लेकिन इतना भी बुरा नहीं कि कोई अबॉर्शन कराए। रेप मुश्किल मुद्दा है और यह भावनात्मक रूप से इंसान को जीवन भर के लिए डराता है, ठीक वैसे ही जैसे चाइल्ड अब्यूज। लेकिन अगर महिला प्रेग्नेंट हो जाती है तो उसके अंदर एक इंसान पल रहा है। वो बच्चा ना भी रखे तो उसके घाव नहीं भरने वाले।

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दुनिया भर में है अलग-अलग कानून

हर देश में गर्भपात को लेकर अलग-अलग कानून हैं। किसी देश में सख्ती है किसी देश में इसको मान्यता नहीं दी गई है। पिछले साल विदेशों (World Woman Crime) में अबॉर्शन के कानून को लेकर महिलाएं सड़क पर उतरी थीं। दरअसल पौलेंड में 30 साल की इजाबेला की 22 हफ्ते की गर्भावस्था के बाद मौत हो गई थी। वो फिट्स डिफेक्ट नामक की बीमारी से पीडि़त थी। पौलेंड में साल 2020 में कांस्टीट्यूशनल ट्रिब्यूनल ने अबॉर्शन से जुड़े कानून में बदलाव किया। उस नए नियम के मुताबिक मानव भ्रूण में तकलीफ है तो भी गर्भपात नहीं कराया जा सकता है। इसको पूरी तरीके से असंवैधानिक करार देते हुए डॉक्टर पर कार्रवाई करने का प्रावधान है। पौलेंड में नया कानून लागू होने से पहले महिलाएं तीन परिस्थितियों में ही गर्भपात करा सकती है। पहला, जब गर्भ रेप के कारण ठहरा हो। दूसरा यदि महिला की जान खतरे में हो और तीसरा भ्रूण में गंभीर विकृतियां हों। पिछले साल टेक्सास ने हार्टबीट एक्ट पेश किया। इसके अनुसार सिर्फ 6 हफ्ते तक ही गर्भपात की इजाजत है। इस पर भी खूब बवाल हुआ था। महिलाओं और एक्सपर्ट का मानना था कि 6 हफ्ते में तो कई बार प्रेग्रेंसी का पता ही नहीं चलता है। यूएन रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 48 फीसदी यानी कि 12.1 करोड़ गर्भवती अनचाही होती है।

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