बीजिंग। बीते साल सितंबर के आखिरी महीने में तत्कालीन इंटरपोल प्रमुख फ्रांस से चीन के दौरे पर गए थे और फिर वे सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनके गायब होने को लेकर कई कयास लगाए गए, बाद में पता चला कि उन्हें चीन ने बंधक बना लिया था। अब चीन ने बताया है कि इंटरपोल के पूर्व प्रमुख मेंग होंगवेई ने रिश्वत लेने का जुर्म कुबूल लिया है। इसके लिए उन्हें जल्दी ही उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
एक चीनी अदालत का कहना है कि इंटरपोल के पूर्व प्रमुख मेंग होंगवेई ने 20 लाख डॉलर यानी करीब 14 करोड़ रुपए की रकम रिश्वत के रूप में लेने का जुर्म कुबूल लिया है। इस पर मेंग ने अफसोस भी जाहिर किया है। तियानजिन शहर की नंबर 1 इंटरमीडिएट कोर्ट में एक बयान पढ़ कर सुनाया गया, जिसमें मेंग का हलफिया बयान शामिल था। इसके बाद उन्हें सजा सुनाया जाना लगभग तय है। हालांकि अब तक जानकारी नहीं है कि सजा कब तक सुनाई जा सकती है।
माना जा रहा है कि अपनी करनी पर अफसोस जताने के कारण उनकी सजा थोड़ी हल्की जरूर की जा सकती है। लेकिन अब तक चीन ने भ्रष्टाचार और राजनीतिक धोखेबाजी के मामलों में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा देने में काफी तेजी दिखाई है। ऐसा एक अभियान के तहत किया जा रहा है जिसका संचालन सीधे देश के राष्ट्रपति और सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख शी जिनपिंग कर रहे हैं।
इंटरपोल के पहले चीनी प्रमुख
मेंग को 2016 में अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल का अध्यक्ष चुना गया था। वह अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल के मुखिया बनने वाले पहले चीनी नागरिक हैं। वह चीन के दौरे पर थे और 25 सितंबर 2018 से लापता थे। इंटरपोल को उनकी कोई खबर नहीं मिली। जब उनकी संस्था ने चीन से उनके बारे में पता किया तब जाकर मालूम चला कि चीन में उन्हें बंधक बना लिया गया है।
राष्ट्रपति से खराब संबंधों की मिली सजा
तियानजिन कोर्ट ने पाया कि मेंग ने अपने पद का दुरुपयोग किया और घूस लेकर लोगों के काम किए। चीन में हिरासत में लिए जाने के बाद 65 साल के मेंग को इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से भी निकाल दिया गया। इंटरपोल में काम करने के दौरान भी उनके पास चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय में एक पद था। संदेह जताया जा रहा है कि राष्ट्रपति शी के साथ संबंध खराब होने के कारण उनके साथ ऐसी कार्रवाई हुई है।
जानकारों का मानना है कि शी के साथ पूरी वफादारी ना रखने के कारण उन्हें उस अभियान के तहत कब्जे में लिया गया जिसका मकसद शी के किसी भी संभावित प्रतिद्वंद्वी को हटाना है। फ्रांस में ही रह गईं मेंग की पत्नी को उनकी गुमशुदगी के बाद वहीं शरण मिल गई। उनका मानना है कि मेंग के खिलाफ मामला राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।