Fake News: इन साइट पर जाकर पता लगा सकते हैं आप जो शेयर कर रहे हैं वह सच है या झूठ

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fake newsझूठी खबरों और अफवाहों (Fake News) की पड़ताल में लगी वेबसाइट पर जाकर देखें आप जो शेयर कर रहे हैं, वह कहीं गलत तो नहीं
दुनिया भर की सरकारें, प्रशासन और सोशल मीडिया फोरम के साथ यह वेबसाइट्स लगा रही हैं झूठी खबरों (Fake News) पर लगाम

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर आने वाली फेक न्यूज (Fake News) से अगर आप परेशान हैं और उनकी सही पड़ताल करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। असल में, इन दिनों सोशल मीडिया पर फेक न्यूज (Fake News) या अफवाहों से सरकार, प्रशासन से लेकर आम नागरिक तक सभी परेशान हैं। माना जा रहा है कि सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच और तेजी के बीच अफवाहों, फेक न्यूज की संख्या भी बढ़ती जाएगी। ऐसे खतरों से निपटने के लिए फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्ट्राग्राम, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं और फेक न्यूज (Fake News) की पहचान के​ लिए तकनीक को बेहतर कर रहे हैं, तो वहीं विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सरकारें भी अपने स्तर पर कानून बनाकर फेक न्यूज पर लगाम कसने की तैयारी कर रही हैं। स्थानीय स्तर पर पुलिस और जिला प्रशासन भी फेक न्यूज (Fake News) प्रसारित न करने और अफवाहों से बचने की सलाहें देते हैं।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि फेक न्यूज या अफवाह (Fake News) की पहचान कैसे हो! आमतौर पर फेक न्यूज को फैलाने वाले इसे इस तरह से पेश करते हैं कि यह सच के बेहद करीब लगती है। किसी सामान्य व्यक्ति के लिए फेक न्यूज की पहचान करना लगभग नामुमकिन होता है। हमारे देश में जहां व्हाट्सएप और फेसबुक को जहां महज मनोरंजन का साधन माना जाता है, वहां तो हालात और भी भयावह हैं।

हालांकि इसी बीच अच्छी बात यह है कि देश दुनिया की वि​भिन्न वेबसाइट और समूह फेक न्यूज (Fake News) की पड़ताल को अंजाम दे रहे हैं। यह कोशिश और बेहतर हो सकती है कि अगर जागरूक सोशल मीडिया यूजर इसमे सक्रिय भूमिका निभाएं।

द क्राइम इन्फो के पाठकों के लिए हम यहां ऐसी ही कुछ वेबसाइट की लिंक दे रहे हैं। इन वेबसाइट के जरिये आप फेक न्यूज (Fake News) से बच सकते हैं। इनमें से कुछ वेबसाइट सिर्फ फैक्ट चैक के लिए ही काम कर रही हैं, तो कई खबरिया वेबसाइट ने इसके लिए अलग से एक पेज बना रखा है।

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हॉक्स आर फैक्ट: देश—दुनिया की वायरल खबरों की जांच करने वाली वेबसाइट। यह अंग्रेजी में है।

बूमलाइव: हिंदी और अंग्रेजी के अलावा बांग्ला में खबरों की सच्चाई जांचने का काम कर रही है यह साइट।

फैक्टचैक: खबरों की सही जानकारी पाने के लिए यह विश्वसनीय स्रोत है।

स्नूप: यह फेक न्यूज की पड़ताल को समर्पित वेबसाइट है।

विश्वास न्यूज: फेक न्यूज की पड़ताल करने वाली जागरण समूह की स्वतंत्र वेबसाइट।

फेक्टचैकर: खबरों की पड़ताल के लिए इस साइट पर भी सटीक और तुरंत जानकारी पाई जा सकती है।

पॉलिटीफैक्ट: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक खबरों के तथ्यों की जांच को समर्पित वेबसाइट।

आल्ट न्यूज: भारत में फेक खबरों की पड़ताल को समर्पित एक विश्वसनीय स्रोत। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।

इसके अलावा कई लोकप्रिय वेबसाइट भी फेक न्यूज की पड़ताल के लिए काम कर रही हैं। जैसे—

आज तक का फैक्ट चैक: भारत की लोकप्रिय साइट में से एक आजतक अपने एक सेक्शन में फेक न्यूज (Fake News) की हकीकत बताती है। यह हिंदी में है। इसके अलावा आजतक की अंग्रेजी वेबसाइट पर भी आप फैक्ट चैक कर सकते हैं।

नवभारत टाइम्स का वायरल अड्डा: इस लिंक पर जाकर भी आप झूठी खबरों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

बीबीसी का टॉपिक पेज: बीबीसी हिंदी की वेबसाइट पर अलग से कोई पेज नहीं है, लेकिन यहां फेक न्यूज का टॉपिक है, जिस पर आप संबंधित खबर की असलियत जान सकते हैं।

भास्कर का नो फेक न्यूज: दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर भी फैक्ट चैक के लिए अलग से सेक्शन है।

लल्लनटॉप की पड़ताल: युवाओं के बीच लोकप्रिय वेबसाइट लल्लनटॉप अपने वीडियो सेक्शन में पड़ताल के जरिये फेक न्यूज पर जानकारी दे रही है।

एबीसी का फैक्ट चैक: अंग्रेजी की लोकप्रिय साइट एबीसी भी फैक्ट चैक के लिए अलग से काम कर रही है। यहां अंग्रेजी में जानकारी उपलब्ध है।

इसके अलावा एमएसएन, टाइम्स आफ इंडिया, पॉइंटर, सीएनए समेत कई वेबसाइट हिंदी अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं में फैक्ट चैकिंग कर रही हैं।

आगे से आपके पास कोई खबर आए तो उसे इन वेबसाइट पर चैक कर सकते हैं। यदि यहां नहीं मिलती है, तो इन वेबसाइट से संपर्क कर पुन: जांच के लिए कह सकते हैं। सोशल मीडिया पर आने वाली हर न्यूज और सूचना की पड़ताल जरूरी हो गई है। कई बार फर्जी मामलों की वजह से वायरल करने वाले की फजीहत होती है। इसलिए कोई भी सूचना आने पर उसे आगे तभी वायरल करें जब उसकी पुष्टि हो। अगर सूचना फर्जी निकले तो उसे तत्काल अपने मोबाइल फोन से हटा दें। उसे डिलीट कर दें ताकि कोई दुरुपयोग न कर सके।

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Fake Newsकैसे बढ़ती जा रही हैं फेक न्यूज (Fake News)
अभी हाल ही में फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि 2016 में अमेरिकी चुनाव के बाद फर्जी राजनीतिक खबरों पर अमरीकी सरकार की तरफ से कार्रवाई में नाकामी के कारण ऑनलाइन स्तर पर गलत सूचनाओं की बाढ़ आ गई। यह एक हद तक सही बात भी है। अगर फेक न्यूज फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो तो यह रोकी जा सकती हैं, लेकिन उन्हें पकड़ने में तकनीकी मदद की दरकार भी इन्हीं सोशल मीडिया कंपनियों की चाहिए।

पुलिस प्रशासन कर रहा है कोशिश
विभिन्न जिलों से ऐसी खबरें आती हैं कि वहां बिना पड़ताल कोई सूचना वायरल करना भारी पड़ सकता है। या फैक्ट चेक की जांच करके पुलिस सच्चाई बताएगी। सोशल मीडिया पर होने वाली गतिविधियों की निगरानी के लिए जिला स्तर पर कई एसपी या कलेक्टर ने टीम भी बनाई है। लेकिन इसमें लोगों की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।

कंपनियां भी सक्रिय
सोशल मीडिया कंपनियां भी फेक न्यूज पर लगाम की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए नियमों को सख्त किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद व्हाट्सऐप ने साफ कहा है कि थोक में यानी बल्क में मैसेज करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि व्हाट्सऐप ने नया नियम 7 दिसंबर से लागू करने की बात कही है। इससे पहले व्हाट्सऐप ने इस साल के शुरूआत में मैसेज भेजने की संख्या पर लगाम लगाई थी।

ग्‍लोबल फैक्‍ट चेक समिट में उठा था मामला
फेक न्‍यूज (Fake News) के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने में ग्लोबल फैक्ट-चेकिंग समिट बड़ी भूमिका निभा रहा है। यह सम्‍मेलन तथ्‍यों की पड़ताल करने वालों, पत्रकारों और विद्वानों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन की यूनिवर्सिटी में 19 से 21 जून तक छठवां फैक्ट चैकिंग सम्मेलन किया गया। सम्‍मेलन में 250 से अधिक फैक्‍ट चेकिंग पहलकदमियों की जानकारी दी गई।

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