200 साल पहले इटली से हुई थी संगठित अपराध की शुरुआत

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संगठित अपराध की शुरुआत इटली के माफिया से मानी जाती है। 1800 के आसपास पुलिस की ताकत से मुकाबला करने के लिए इटली में कालाधंधा करने वाले एकजुट हुए और व्यापक हितों के तहत नियम बनाए। इनमें कामों का बंटवारा और झगड़े के हालात में मिलजुलकर फैसला करना शामिल था। यह संगठित अपराध की शुरुआत का दौर माना जाता है। आज भी इटली का माफिया सबसे संगठित और ताकतवर समूह माना जाता है, लेकिन इनका फैलाव इटली के बाहर ज्यादा नहीं है।

आतंकियों से भी है गठजोड़
1992 के बाद अपना सिक्का जमाने के लिए संगठित अपराधियों ने बम विस्फोट का सहारा लिया। इससे भारत भी झुलसा। यह वह दौर था, जब पूरी दुनिया में संगठित अपराध पर शिकंजा कसा जा रहा था। पलटवार करते हुए माफिया समूहों ने अराजकता फैलाने का दौर शुरू किया। दुनिया के हथियारों के बाजार पर भी माफिया समूहों का कब्जा रहा है।

परिवारों का बोलबाला
इटली, मैक्सिको और कनाडा के उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि संगठित अपराध अमूमन एक या दो परिवारों के इर्द-गिर्द होते हैं। ज्यादातर माफिया समूहों में कुछ परिवार ही सक्रिय होते हैं। इटली में कम्पेनिया प्रांत में कामोर्रा परिवार का वर्चस्व है, तो कोलंबिया में नदराघेता परिवार की तूती बोलती है। इसी तरह अन्य देशों में भी एक या दो परिवार ही मजबूत हैं। न्यूयॉर्क में पांच परिवारों का वर्चस्व है, वहीं न्यूजर्सी में सात परिवार काले धंधे में शरीक हैं। पेन्सिलवेनिया में चार परिवारों के इर्द-गिर्द ड्रग कारोबार चलता है।

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युद्ध में फलता-फूलता है ड्रग माफिया
युद्ध हमेशा से माफिया के लिए मुफीद साबित हुए हैं। राजनीतिक अस्थिरता के दौर में सरकार विरोधी और महत्वाकांक्षी राजनीतिक व अन्य तबकों के सहारे ड्रग माफिया सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं। इसके बाद ताकत बढ़ते हैं। इटली, शिकागो से होते हुए मैक्सिको और अब अफगानिस्तान में बढ़ते नशे-हथियारों के कारोबार से साफ है कि युद्ध में काले कारोबार को बढ़ावा मिलता है। हालांकि यह उम्मीद लगाना भी बेमानी है कि शांति काल में नशे का कारोबार बंद होगा।

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