बीएफआई की मान्यता को दिल्ली हाइकोर्ट ने बरकरार रखा

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भारत या भारतीय शब्द के इस्तेमाल को लेकर दो संगठन के बीच चल रही जंग

नई दिल्ली।  दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) को अपने नाम में ‘भारत’ या ‘भारतीय’ शब्द का उपयोग करने से मना करने का आदेश देकर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मुक्केबाजी की मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में कायम रखा है। 
बीएफआई ने अपनी याचिका में आईएबीएफ पर ‘भारत’ या उससे बनने वाले शब्दों जैसे ‘भारतीय’ का उपयोग करने से स्थायी रोक लगाने की मांग की थी। मुक्केबाजी की राष्ट्रीय महासंघ होने का दावा करते हुए बीएफआई ने अदालत से आईएबीएफ को अपने आप को मुक्केबाजी की मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में पेश करने से रोकने के लिए कहा था। 
आईएबीएफ पहली सब-जूनियर इंटर जोनल पुरुष और महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप 2018-19 का आयोजन करने की प्रक्रिया में है और इसके लिए उसने मुक्केबाजों से फीस भी ले ली है। ऐसे में बीएफआई के पास केवल कानून का ही सहारा लेने और अदालत का दरवाजा ही खटखटाने का विकल्प बचा था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने बीएफआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए न केवल आईएबीएफ को अपने नाम में  ‘भारत’ या ‘भारतीय’ शब्द का उपयोग करने से मना करने का आदेश दिया बल्कि यह भी आदेश दिया कि आईएबीएफ सभी प्रतिभागियों को बताए कि वह मुक्केबाजी की मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय महासंघ नहीं है। 
न्यायालय के इस आदेश ने अब बीएफआई को स्थिति और मजबूत हो गई है। 25 सितंबर 2016 को अपनी स्थापना के बाद 2017 में बीएफआई को आईबा, खेल मंत्रालय और भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) से औपचारिक मान्यता मिली थी।       

अजय सिंह के बीएफआई के अध्यक्ष के रूप में इस संस्था ने घरेलू प्रणाली का पुनर्गठन किया है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत से कई प्रतिभाएं सामने आई है और पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के पदकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 

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