रुपयों से भरा वॉलेट गुम जाए तो घबराएं नहीं, विज्ञान के मुताबिक, ज्यादा चांस हैं कि मिल जाएगा आपका बटुआ

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wallet नई दिल्ली। अपराध और विज्ञान का सीधा संबंध होता है और इसमें अर्थशास्त्र की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस धारणा को हाल ही में किए गए एक शोध ने फिर साबित कर दिया है। यह शोध किया गया खोये हुए बटुए के मिलने की उम्मीद के सवाल पर। आमतौर पर माना जाता है कि अगर रुपयों से भरा हुआ वॉलेट कहीं गिर जाए या गुम जाए तो उसके मिलने के आसार बहुत कम होते हैं, लेकिन शोध साबित करता है कि ज्यादा चांस इस बात के हैं कि बटुआ आपको वापस मिल जाएगा। यह नई रिसर्च बताती है कि पैसों से भरे खोए बटुए के मिलने की संभावना अधिक होती है।

इस तरह किया गया शोध
हाल ही में ज्यूरिख, मिशिगन और ऊटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक शोध किया। इसमें यह जानने की कोशिश की गई कि दुनिया भर में लोग कितने ईमानदार हैं। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 40 देशों को चुना। शोध के दौरान प्रत्येक देश की आबादी के मुताबिक, करीब 17 हजार नकली बटुए विभिन्न स्थानों पर डाले गए। ये बटुए बैंक, थियेटर, पोस्ट ऑफिस, होटल, पुलिस थाने और सरकारी इमारतों के आसपास के इलाके में बिखेरे गए। इसके बाद इन पर नजर रखी गई और इंतजार किया गया कि बटुओं को उठाने वाले लोग इन्हें वापस करने के लिए मालिकों से संपर्क करते हैं या नहीं।

पैसे ज्यादा हैं तो वापस मिल जाएगा बटुआ
इन वॉलेट में बिजनेस कार्ड (जिस पर संबंधित व्यक्ति की जानकारी लिखी थी जहां वॉलेट वापस किया जा सके), किराने के सामान की सूची, चाबी और कुछ पैसे थे। कुछ वॉलेट में पैसे नहीं भी थे। जो बटुए रखे गए थे उनमें इस बात का ध्यान रखा गया था कि पैसे उस इलाके और देश के आम आदमी की क्रय शक्ति (परचेसिंग पॉवर) के करीब हों। शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसे वॉलेट जिनमें कुछ रुपये-पैसे थे उन्हें उनके मालिकों तक अधिक संख्या में पहुंचाया गया। वहीं पैसे से खाली बटुओं की वापसी के लिए लोगों ने मेहनत नहीं की। पोलैंड, ब्रिटेन और अमरीका में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बटुओं में 94 डॉलर यानी तकरीबन साढ़े छह हजार या इससे अधिक की राशि थी, उन्हें वहां ज्यादा वापस किया गया।

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पूरी दुनिया पर लागू होते हैं नतीजे
अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणी के उलट शोध के मुख्य परिणाम 40 में से 38 देशों के लिए काफी सटीक थे। पेरू और मैक्सिको के नतीजे अपवाद रहे। हालांकि पेरू और मैक्सिको के नतीजे सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं। स्टडी के सह लेखक क्रिस्टियान सुंड ने कहा, “जैसे नतीजे मिले हैं वे पूरी दुनिया में लागू होते हैं।” पहले यूरोपीय देशों को इस स्टडी में लिया गया था, बाद में इसे विस्तार देते हुए दुनिया के अन्य देशों को भी शामिल किया गया। जिन देशों को शामिल किया था वह यूरोपीय और अन्य पश्चिमी मुल्क थे।

कटुता रखते हैं लोगों को समझने में
शोधकर्ता क्रिस्टियान बताते हैं कि वह मैक्सिको और पेरू में और भी अधिक रिसर्च करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि क्यों इन दोनों देशों में लोगों ने पैसों से भरे वॉलेट, मालिकों को वापस करने में रुचि नहीं दिखाई। उन्होंने एक और खास बात कही कि स्टडी में मिली बातों से पता चलता है कि हम अन्य लोगों के व्यवहार और सोच को लेकर ज्यादा ही कटुता रखते हैं। यानी लोगों की अच्छाई को ठीक ढंग से नहीं परख पाते हैं।

शोध के अन्य नतीजे

  • पैसों से भरा बटुआ अपने पास रखने पर व्यक्ति को चोर जैसा महसूस होता है। इसलिए बटुए को रखने की बजाय लोग उसे असली मालिक को वापस करना ज्यादा पसंद करते हैं।
  • लोगों की ईमानदारी और देश की आय के स्तर के बीच सीधा संबंध होता है।
  • स्विट्जरलैंड में बटुए लौटाने की दर तकरीबन 76 फीसदी रही, वहीं चीन में महज 14 फीसदी लोगों ने बटुए लौटाए।
  • बटुए लौटाने की दर और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार सूचकांक में भी संबंध साफ दिखता है।
  • जिस देश में भ्रष्टाचार अधिक होगा वहां बटुए लौटाने की दर अन्य देशों के मुकाबले कम होगी। मतलब उन देशों में खोए हुए बटुए मिलने की कम संभावना है।
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