जेल ब्रैक कांड के कलंक को धोने में जुटे डीजी

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जेलों की सुधार के मिशन को बनाया एजेंडा, दो साल के कार्यकाल में पांचवीं खुली जेल का उदघाटन

भोपाल। जेल डीजी संजय चौधरी ने दो साल पहले जब चार्ज लिया था उसके तुरंत बाद ही बदनामी ने उन्हें घेर लिया था। इस कलंक से उबरने के साथ ही उन्होंने अपना एजेंडा तय किया और उसमें कछुए की चाल से चलते गए। इस चाल में वह इतने कामयाब हुए कि अब वे जेल विभाग के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रहे। डीजी चौधरी ने अपने दो साल के कार्यकाल में पांच खुली जेल को खोलने में कामयाब रहे।
बुधवार को उन्होंने राजधानी की आठ कुटियां के साथ नौ ऐसे बंदी जो अच्छे आचरण के चलते उसमें रहने के लिए चुने गए। जानकारी के अनुसार इन आठ कुटियां को बनाने में लगभग 15 लाख रूपए का खर्च आया। यह खर्च भी जेल विभाग को आवंटित बजट में से निकालकर इस योजना में लगाया गया। भोपाल में खुली जेल का उदघाटन करने गृह एवं जेल मंत्री बाला बच्चन, सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह, गैस राहत मंत्री आरिफ अकील, भोपाल सांसद आलोक संजर के अलावा कई अन्य जनप्रतिनिधि पहुंचे थे।
बैरक नहीं कुटियां
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दो साल पहले सभी राज्यों को खुली जेल पर अपनी राय देने के नोटिस जारी हुए थे। इससे पहले प्रदेश में 2009 में एकमात्र जेल होशंगाबाद में हुआ करती थी। यहां लगभग 20 बंदी खुली जेल में रहते हैं। जेल एवं सुधारात्मक विभाग के महानिदेशक संजय चौधरी ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए जबलपुर, सतना, सागर, इदौर के बाद भोपाल में खुली जेल को खोलने में कामयाब रहे। अब अगले चरण में ग्वालियर में खुली जेल खोली जाएगी। इन खुली जेल में रहने वाले बंदियों के परिजनों के बैरकों को कुटीर नाम दिया गया है।
एक महीने का दिया राशन
जेल विभाग की तरफ से नौ बंदियों को चुना गया है। इन बंदियों को जेल विभाग की तरफ से एक महीने का राशन दिया गया है। इसमें 5 हिन्दू और 4 मुस्लिम परिवार रहेंगे।

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महीने बाद बंदियों को अपना रोजगार स्वयं तलाशना है और उसमें रहते हुए परिवार को पालना है। परिवार उनके साथ ही रहेगा।
दो दशक से था इंतजार
डीजी संजय चौधरी ने खुली जेल के लिए राजधानी के स्टाफ क्वार्टर का चयन किया। इसे जर्जर घोषित कराने के बाद उसका रिनोवेशन कराया गया। इसके अलावा दो उपजेलों को भी डीजी ने शुरू कराया है। यह उप जेलें लगभग दो दशक से अपने शुरू होने का इंतजार कर रही थी। यह उज्जैन के बड नगर और रीवा की त्यौथर उप जेल हैं।

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