अब पंजाब कांग्रेस में कलह, मुख्यमंत्री की घेराबंदी

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Punjab Politics : राज्यसभा सांसद हुए बागी, कैबिनेट ने की पार्टी से निकालने की मांग

Punjab Politics
प्रताप सिंह बाजवा, राज्यसभा सांसद, कांग्रेस

चंडीगढ़। (Punjab Politics) मध्यप्रदेश, राजस्थान के बाद अब पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में कलह शुरु हो गई है। राज्यसभा सासंदों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) के खिलाफ पार्टी का ही एक धड़ा खुलकर सामने आ गया है। राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा (Pratap Singh Bajwa) और शमशेर सिंह दूलों (Shamsher Singh Dullo) ने कांग्रेस सरकार (Punjab Govt) के ही खिलाफ बयानबाजी शुरु कर दी है। दूसरी तरफ दोनों सांसदों के खिलाफ कैप्टन कैबिनेट के मंत्री एकजुट हो गए है। मंत्रियों ने पार्टी हाईकमान से मांग की है कि दोनों सांसदों की सासंदी खत्म कर दी जाए।

शराब कांड से शुरु हुई सियासत

पंजाब के तीन जिलों अमृतसर, बटाला और तरन-तारन में जहरीली शराब से 113 लोगों की मौत के बाद ये घटनाक्रम सामने आ रहे है। इस घटना के बाद राज्यसभा सांसद बाजवा और दूलों ने राज्यपाल से मुलाकात की थी। पत्र सौंपते हुए मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की थी। जिसके बाद कैप्टन कैबिनेट ने दोनों सांसदों को अनुसाशनहीनता का दोषी माना है।

कैबिनेट की मांग

कैबिनेट मंत्रियों  ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि “अनुशासनहीनता को किसी भी समय बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, कम से कम जब राज्य में विधानसभा चुनाव दो साल से कम हो।” उन्होंने आगे कहा कि दोनों सांसदों ने अपने राज्यसभा कार्यकाल में कभी भी राज्य के हित के किसी भी मुद्दे को उठाने की जहमत नहीं उठाई।

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‘कैप्टन का बादलों से कनेक्शन’

अपने ताजा बयान में बाजवा ने कहा कि – बादल के शासन में पंजाब में खनन, शराब, केबल, ड्रग्स और परिवहन माफिया की स्थापना हुई। जिसके बाद अब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के शासन में ये काम संपन्न हो रहे हैं। अगर कांग्रेस के भविष्य को बचाना है तो हमें राज्य में नेतृत्व बदलने की जरूरत है।

वहीं मंत्रियों के आरोपों पर पलटवार करते हुए प्रताप सिंह बाजवा ने ये भी कहा कि  “ऐसा प्रतीत होता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह मनोभ्रंश से पीड़ित होने लगे हैं और यह भूल गए हैं कि जब मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था, तब कैप्टन ने बादल परिवार का समर्थन किया था। वह अमरिंदर ही थे जो पीपीसीसी ही नहीं बल्कि पार्टी आलाकमान का भी विरोध और आलोचना करते थे।

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