MP Political Gossip: एक ही परिवार के तीन सदस्य लेकिन पार्टियां अलग—अलग

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MP Political Gossip: शहर में एक विधायक की पार्षद से नहीं बैठ रही पटरी, करोड़ों रूपए के ठेके पर भांजी मारी तो नाराज हुए पार्षद ने संगठन के भीतर खोला मोर्चा, कमरा छीनने वाले आयातित राजनीतिक पार्टी के नेता

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सांकेतिक चित्र टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। जिसके लिए राजनीतिक पार्टियां (MP Political Gossip) भीतर ही भीतर कई तरह की तैयारियां कर रही है। इन्हीं प्रयासों में अब रूठने और मनाने का काम चल रहा है। वहीं कई निपटाने के लिए भी जुट गए हैं। कुछ ऐसे ही चुटीले किस्से जिसमें पार्टी और व्यक्ति का नाम नहीं है। लेकिन, जिनका है उन तक यह बात आसानी से पहुंच जाएगी।

कुछ दिन का बबल है, फूटेगा जरूर

राष्ट्रीय पार्टी के एक नेता पिछले कुछ वर्ष पूर्व ही आयातित हुए हैं। उन्होंने दिल्ली में रहकर बड़े तीर मारे थे। इसी दौरान उनकी पहचान प्रदेश के एक रसूखदार नेता से हो गई। उन्होंने बकायदा मोटी सैलरी पैकेज पर उन्हें अपने यहां रख लिया। अब साहब प्रदेश की राजधानी में आ गए हैं। आते साथ ही पार्टी के भीतर अपना वजूद बनाने के लिए उन्होंने अपनी ही पार्टी के पुराने नेताओं की जड़ों में हींग डालने का काम किया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि उन्हें कमरा मिल सके। इस कवायद में वे कामयाब भी हो गए। उन्हें कमरा तो मिल गया है। लेकिन, जिसका कमरा मिला है वे जब तक पार्टी में रहे अपने अस्तित्व के लिए जूझते रहे। आलम यह रहा कि उन्हें भारी दल—बल के साथ सौदा करके पार्टी को बाय बोलना पड़ा था। अब आयातित नेता उसी नेता के नाम को लेकर कमरे को हथियाने की डींगे हांक रहे हैं। हालांकि टाटपट्टी वाले नेता कह रहे है कुछ दिन का बबल है, जब फूटेगा तब देखेंगे।

एक घर में तीन पार्टियां

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सांकेतिक चित्र टीसीआई

राजधानी में एक परिवार ऐसा है जो राजनीतिक घरानों से जुड़ा है। हालांकि यह घराना जिन आकांक्षाओं के साथ राजनीति में काम कर रहा है उसमें जमीन बचाना है। राजनीतिक पार्टी (MP Political Gossip) के जानकार बताते हैं कि तीनों ने शहर की एक पॉश कॉलोनी की जमीन पर कब्जा कर रखा है। यहां पहले धार्मिक स्थल बनाया गया। फिर समाज के नाम पर मांगलिक भवन। धीरे—धीरे यहां सारी आर्थिक गतिविधियां होने लगी। जैसे शादी विवाह के लिए मैदान किराए पर देना। मूर्तिकार को जमीन किराए पर देना। आपको यह भी बता दें कि इन जमीन हथियाने वाले नेता के बंगले पर सभी पार्टी के नेता पहुंचते हैं। क्योंकि वे जिस जाति और समाज से आते हैं उसका बहुत बड़ा वोट बैंक है। जिसको अपने पाले में करने के लिए इस परिवार के कंधे पर हाथ रखा जाता है। हालांकि यह तब तक ही संभव है जब तक प्रशासन साथ है। जिस दिन प्रशासन की मार पड़ी तो तीनों नेताओं के पर कतरा जाना तय है।

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विधायक और पार्षद के बीच घमासान

इसमें गौर करने वाली बात यह है कि शीर्षक के अनुसार दोनों एक ही दल के नेता है। बस विधायक ने पिछले दिनों पार्षद का समर्थन कर दिया था। जिसके चलते उन्हें कुर्सी मिल गई। अब कुर्सी मिली है तो उसका कुछ कर्ज तो चुकाना पड़ेगा। इसलिए उनके क्षेत्र में होने वाले एक सवा तीन करोड़ रूपए के विकास को लेकर भीतर ही भीतर घमासान चल रहा है। यह विकास काम अभी अटका हुआ है। ज्यादा दिन लटका तो दोनों का लटकना तय है। क्योंकि तीसरे व्यक्ति की इस दंगल पर नजरें टिकी हुई है। वे उस क्षेत्र से अपनी कुर्सी चाह रहे हैं।

प्राइम टाइम नहीं तो ओर टाइम मैनेज करो

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सांकेतिक चित्र टीसीआई

राजधानी में एक प्रवक्ता कभी पत्रकार रहे हैं। वे इन दिनों प्रवक्ताओं के पैनल के मुखिया भी है। वह तय करते हैं कि किसे कहां जाना है। इस प्रयास में वे अब गुटबाजी करने लगे हैं। यह महाशय चैनल में फोन लगाकर अपने करीबी को डिबेट में बैठने के लिए गुजारिश करते हैं। कुछ दिनों तक तो यह चल गया। लेकिन, वे जिन्हें आगे कर रहे हैं वह सभी राजनीति और प्रवक्ताओं के क्षेत्र में नौसीखिए है। इसलिए चैनल को अपनी टीआरपी भी देखना होती है। अब पैनल में नाम चैनल अपने हिसाब से तय करने लगे है। जिस कारण कई मोर्चो पर एक राष्ट्रीय पार्टी की तरफ से प्रवक्ता चैनल के चयन करने पर पहुंचते हैं। खबर इसलिए दे रहे हैं कि जिस दिन यह बात सरदार तक पहुंच गई तो ऐसा करने वाले व्यक्ति की सैलरी कटना तय है।

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