डीजी रैंक के दो अधिकारी आमने-सामने, लॉबी हुई सक्रीय
भोपाल। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित मामले (MP Honey Trap Case) में पुलिस ही उलझती नजर आ रही है। डीजी रैंक के दो अधिकारी आमने-सामने आ गए है। खुलेआम शिकायतों का दौर शुरु हो गया है। स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने डीजीपी व्हीके सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के बाद आईपीएस एसोसिएशन से शिकायत करने वाले पुरुषोत्तम शर्मा अब मीडिया के सामने आ गए। चिट्ठी-चिट्ठी खेलने के बाद अब वे फ्रंटफुट पर बल्लेबाजी कर रहे है। हनी ट्रैप करने वाली श्वेता जैन एंड कंपनी नेताओं के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों को भी उलझा गई है।
डीजीपी के अंडर में न हो जांच
शनिवार को पुरषोत्तम शर्मा ने हनी ट्रैप मामले में मीडिया से चर्चा की। उन्होंने जांच से पुलिस मुख्यालय को दूर रखने की बात कही। डीजीपी की मुखालफत करने वाले स्पेशल डीजी चाहते है कि हनी ट्रैप मामले की जांच उनके अंडर में न की जाए।
पुरषोत्तम शर्मा ने हनी ट्रैप की जांच के लिए एसआईटी के गठन में हुए विवाद से अपनी बात शुरु की। उन्होंने बताया कि किस तरह एसआईटी प्रमुख से लेकर सदस्यों को 24 घंटे में बदल दिया गया। शर्मा ने कहा कि इस बदलाव के बाद से ही पुलिस महानिदेशक की भूमिका विवादों में आ जाती है। स्पेशल डीजी ने मांग की, कि अब एसआईटी पुलिस मुख्यालय से अलग कर देना चाहिए।
शर्मा के मुताबिक एसआईटी को ऐसे डीजी रैंक के अधिकारी के अंडर में जांच करनी चाहिए जो पुलिस मुख्यालय के कंट्रोल में न हो। तभी ये जांच न्यायसंगत होगी। साथ ही शर्मा ने ये भी कहा कि साइबर और एसटीएफ का काम काफी सेंसिटिव होता है। लिहाजा उनके ठिकानों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए।
विवाद की जड़ है फरीदाबाद का फ्लैट
बता दें कि डीजीपी और स्पेशल डीजी के बीच विवाद फरीदाबाद में किराए से लिए गए एक फ्लैट के मामले से शुरु हुआ है। पुरषोत्तम शर्मा का कहना है कि बेवजह उस फ्लैट को हनी ट्रैप के मामले से जोड़ गया।
इससे पहले स्पेशल डीजी ने डीजीपी के खिलाफ पत्र में लिखा था- ‘मुझे अत्यधिक दुख व पीड़ा है कि हमारे संस्कार इतने निचले स्तर तक आ गए कि एक सीनियर अधिकारी ने अपने मातहत सीनियर अधिकारी की इज्जत उछाल दी. इस व्यवहार से पूरे विभाग की इज्जत उछल गई. मेरा निवेदन है कि डीजीपी वीके सिंह के इस कृत्य की भर्त्सना और भविष्य में इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति न हो, इसकी भी व्यवस्था की जाए. डीजीपी का बयान न केवल अखबार में छपवाया गया, बल्कि पुलिस मुख्यालय और साइबर सेल के हर कमरे में बंटवाया गया. इसे व्हाट्सएप पर भी सर्कुलेट किया गया. इतना ही नहीं डीजीपी ने इसका खंडन तक नहीं किया’
डीजीपी और स्पेशल डीजी के बीच शुरु हुई जुबानी जंग के बीच सूत्रों से बड़ी खबर मिल रहीं है। बताया जा रहा है कि दोनों ही अधिकारियों की लॉबी भी सक्रीय हो गई है। पुलिस मुख्यालय में शह और मात का खेल शुरु हो गया है।