MP Health News: टीबी मरीजों के इलाज में काम आने वाली दो महत्वपूर्ण दवाएं सरकारी भंडार में दो महीने से नदारद, लाल की बजाय हरे रंग के पत्ते की दवा का जुगाड़ लगाकर चल रहा काम, जिम्मेदार अधिकारियों ने देरी पर चुप्पी साधी, वीडियो में सुनिए समाचार से जुड़ा एक महत्वपूर्ण सवाल जिसका जवाब भी दे सकते हैं
भोपाल। मध्यप्रदेश (MP Health News) में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान क्या हालात थे यह किसी से नहीं छुपा था। लेकिन, पिछले दो महीनों से वैसे ही हालात स्वास्थ्य विभाग में चल रहे है। जिस पर अब तक पर्दा डला हुआ है। यह मामला टीबी मरीजों (TB Patient Drug) को दी जाने वाली दवा से जुड़ा है। यह दवा सरकार के भंडार में दो महीने से नहीं मिल रही है। इसलिए गरीब मरीजों को दूसरे लेवल में काम आने वाली दवा से देकर जुगाड़ वाली चिकित्सा की जा रही है।
यह है वह दवाएं जो गायब हैं
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के अधीन टीबी नियंत्रण प्रोग्राम है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2025 का लक्ष्य तय किया है। इस दौरान उन्होंने सभी चिकित्सकों और हेल्थ वर्करों से अपील की है कि वे अपने राज्य को टीबी फ्री मुहिम में मदद पहुंचाए। इसके लिए भाजपा सांसदों (BJP MP Target) को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लक्ष्य दिया हुआ है। उनके इस सपने को मध्यप्रदेश में सरकार कितनी गंभीरता से लेती है यह उसका जीता जागता उदाहरण है। दरअसल, टीबी मरीजों के काम आने वाले रिफामपसिन और पायराजिनामाइट नाम की दवा का स्टॉक खत्म हो गया है। ऐसा लगभग दो महीने से चल रहा है। इसकी जानकारी मैदानी चिकित्सकों ने स्टेट डिबगल्स अधिकारी डॉक्टर वर्षा राय को भी दे दी है। इसके बावजूद यह कमी दूर करने के लिए अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं।
पीएम की स्कीम पर अफसर लगा रहे पलीता
भारत में लगभग 26 लाख टीबी मरीज है। इसमें से चार लाख मरीजों की मौत हर साल होती है। इस बीमारी से सर्वाधिक युवा वर्ग प्रभावित है। खासतौर से श्रमिक वर्ग इस बीमारी की चपेट में ज्यादा है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसको जड़ से खात्मा करने का टारगेट लिया है। उनकी इस मुहिम में सर्वाधिक अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों को अलग—अलग चार श्रेणियों (TB Disease Scheme) में इनाम देने का भी ऐलान किया है। यह राशि 25 लाख रूपए से शुरू होकर एक करोड़ रूपए तक की है। प्रदेश में इस लक्ष्य को पाने में अब तक कोई ठोस उत्सुकता स्टेट डिबग्लस अधिकारी डॉक्टर वर्षा राय (Dr Versha Rai) ने नहीं दिखाई है। यह अधिकारी इससे पहले टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले में सीएमएचओ के पद से हटाई गई थी। उसके बाद इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को पूरा करने में कुर्सी दे दी गई। हालांकि जब उनसे दवा की कमी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में आधिकारिक प्रतिक्रिया उनकी जगह एमडी प्रियंका दास देंगी।
हमीदिया अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर लोकेंद्र दवे (Dr Lokendra Dave) ने बताया कि दो दवा की कमी है। यह क्यों है इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है। हमारी तरफ से संबंधित विभाग को पत्राचार कई बार किया जा चुका है। वहीं भोपाल जिला क्षय अधिकारी डॉक्टर मनोज वर्मा (Dr Manoj Verma) पहले सवालों से बचते नजर आए। फिर उन्होंने कहा कि एक दवा पायराजिनामाइट की कमी है। उसको कुछ दिनों में जल्द पूरा कर लिया जाएगा। जबकि स्वास्थ्य विभाग की माने तो यह खरीदी का काम केंद्र स्तर पर किया जाता है। जिसका निर्णय अब तक नहीं हो सका है। उसकी वजह यह बताई जा रही है कि केंद्र सरकार इन दवा खरीदी के अधिकारी जिला स्तर पर अधिकारियों को देने की योजना बना रही है। इस देरी की वजह से पिछले दो महीनों में लगभग 15 हजार मरीज सरकारी दवा से मोहताज चल रहे हैं। इन दवाओं के सेवन करने पर केंद्र सरकार पांच सौ रूपए भी मुहैया कराती है।
आधुनिक संसाधनों से लैस एनटीईपी पर लगा ग्रहण
प्रधानमंत्री के सपनों के तहत योजनाबद्ध तरीके से मरीजों की निगरानी की जाती है। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि मैदानी चिकित्सक (MP Health News) ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों को चिन्हित करके उनका उन्मूलन करें। इसके लिए टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट वाला फॉर्मूला अपनाया गया है। यह फॉर्मूला हुबहू कोरोना की तरह मेल खाता है। लेकिन, एमपी में दवा नहीं होने के चलते इसके बुरे हालात है। हालांकि चिकित्सकों का यह भी दावा है कि एक दवा की कमी से मरीज की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बंद जुबान में यह जरूर कबूल रहे हैं कि प्रधानमंत्री के तय किए गए लक्ष्य से एमपी अन्य राज्यों के मुकाबले काफी पिछड़ गया है।
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