भारतीय जनता पार्टी के तीन पूर्व और सांसदों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में प्राथमिकी दर्ज, नए की जगह असेम्बलड किए गए कंप्यूटर लगाए गए
भोपाल। पानी पीकर (Political Crime) भारतीय जनता पार्टी को कोसने वाली कांग्रेस प्रदेश में मिल बांटकर काम कर रही थी। यह खुलासा हुआ है एक प्राथमिकी दर्ज होने से पूर्व की गई जांच के बाद। जांच आर्थिक प्रकोष्ठ विंग की तरफ से की जा रही थी। जांच में संदिग्ध मिलने पर तीन पूर्व सांसद और एक मनोनीत सांसद समेत चार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
क्या है मामला
प्रदेश में (Political Crime) एमपी लैट्स स्कीम के तहत सांसदों को कंप्यूटर शिक्षण और प्रशिक्षण दिलाने का काम मिलता था। इसके तहत केन्द्र से मिल रही ग्रांट को प्रदेश सरकार की मदद से बांटा जाता था। इस काम में संबंधित जिले के कलेक्टर की अनुशंसा जरूरी होती है। इसी स्कीम में भाजपा सांसदों ने गड़बड़ी की। जांच में पता चला है कि जहां कंप्यूटर लगाए जाने थे वहां असेंबल्ड करके उसे इंस्टाल किया गया। जबकि कागजों में उसे नया दिखाया गया।
कैसे की गई गड़बड़ी
इस योजना के लिए (Political Crime) एनजीओ को काम दिया जाना था। जिसके लिए बकायदा निविदाएं बुलाई जानी थी। लेकिन, कलेक्टर ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने सांसदों के लैटर पैड पर आई अनुशंसा को ही सरकारी टेंडर मानते हुए एक ही एनजीओ को काम दे दिया गया। जांच में यह पता चला है कि गड़बड़ी 2014 से 2016 वित्तीय वर्ष के दौरान गड़बड़ी की गई। जिसकी शिकायत वर्ष 2017 में ईओडब्ल्यू से की गई थी।
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कौन है जिन्होंने गड़बड़ी की
ईओडब्ल्यू ने (Political Crime) इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। जिसमें पूर्व सांसद मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणि मालवीय, राज्यसभा सदस्य नारायण सिंह केसरी और मनोनीत विधायक लोरेन बी लोबो को लापरवाह माना गया है। ऊंटवाल ने शाजापुर और आगर मालवा कलेक्टर को लैटर पैड पर एनजीओ को काम दिलाने के लिए कहा था। इसी तरह मालवीय ने उज्जैन कलेक्टर को पत्र लिखा था। लोबो ने विधायक निधि का इस्तेमाल खेलकूद वाले क्लब को दिया था।
किसका है एनजीओ
मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणि मालवीय, राज्यसभा सदस्य नारायण सिंह केसरी ने जिस (Political Crime) एनजीओ के लिए पत्र लिखा उसका नाम संबल है। यह अंग्रेजी के एक-एक अच्छरों से मिलकर बनाया गया है। अंग्रेजी में इसका पूरा नाम सोसायटी फॉर अवैयरनैस एंड मोटिवेशन इन बैसिक आसपेक्टस ऑफ लाइफ है। यह एनजीओ कांग्रेस नेता अभय तिवारी का बताया जाता है। तिवारी मध्यप्रदेश कांग्रेस के आईटी सेल के अध्यक्ष भी है।
अन्य पर भी कसेगा शिकंजा
इधर, ईओडब्ल्यू (Political Crime) ने सरकारी फंड के दुरूपयोग क ही एक अन्य मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इसमें मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव रहे एएन मिश्रा, विधि अधिकारी सुधीर श्रीवास्तव और पूर्व महाधिवक्ता पुरूषेंद्र कौरव के नाम हैं। आरोप है कि इन सदस्यों ने अवैध तरीके से पारिश्रमिक लिया और गड़बड़ी की। डीजी ईओडब्ल्यू केएन तिवारी ने बताया कि सभी मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। सबूत जुटाने के बाद एफआईआर समेत अन्य बिन्दुओं पर निर्णय लिया जाएगा।