TCI Exclusive: 40 साल से MP पुलिस ढूंढ रही जिसे, वो डकैती का आरोपी UP में कर रहा प्रोफेसरी

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बमीठा थाने में दर्ज डकैती के मामले में फरार बाबूलाल तिवारी जो अब समाज सेवक के साथ—साथ नेता भी बन चुके हैं।

MP पुलिस पर जानबूझकर अनजान बनने के आरोप, शपथ पत्र के साथ की शिकायत, पर नहीं हुई गिरफ्तारी,  कार्रवाई पर भारी पड़ रही UP के BJP नेता से रिश्तेदारी,  सियासी आका की शह में खोल दिए 15 निजी कॉलेज

भोपाल। अगर आपकी जेब में पैसा है और राजनीतिक संबंध मजबूत हैं तो इस दुनिया में कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि एक डकैत के प्रोफेसर बनने की कहानी कह रही है। मध्यप्रदेश में डकैती करने वाला एक आरोपी बीते 40 साल से उत्तर प्रदेश में रह रहा है। वह एक जाने-माने सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर है। साथ ही 15 निजी कॉलेजों का मालिक भी।

किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं डकैत के रईस बनने की कहानी
जवानी में लूटपाट की छोटी मोटी वारदातों को अंजाम देने वाले इस आरोपी ने इतना बड़ा एंपायर कैसे खड़ा किया। इसे समझने के लिए कहानी के फ्लेशबैक में जाना होगा, क्योंकि ये मामला किसी हिन्दी फिल्म की कहानी से कम नहीं है।
बात करीब 40 साल पुरानी है। सन् 1979 में बाबूलाल तिवारी, मोतीलाल, महादेव, और कामता अपने दोस्त नत्थू के साथ उसकी बहन के घर गए थे। नत्थू की बहन मध्यप्रदेश के छतरपुर में रहती थी।
पुलिस के मुताबिक, छतरपुर से लौटते वक्त इन पांचों दोस्तों ने डकैती की वारदात को अंजाम दिया था। बस पन्ना से छतरपुर जा रही थी। उसी दौरान पांचों ने मिलकर यात्रियों से लूटपाट की थी। पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने मुख्य आरोपी बाबूलाल तिवारी समेत पांचों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। चार आरोपियों को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन बाबूलाल तिवारी 40 साल बाद भी पुलिस रिकॉर्ड में फरार घोषित है। यह जानकारी छतरपुर पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त हुई है। इसी आवेदन में यह भी बताया गया कि उस वक्त के सारे दस्तावेज नष्ट कर दिए गए है।
गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी मोतीलाल, महादेव, नत्थू और कामता ने जेल भी काटी और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बरी भी हो गए। लेकिन मुख्य आरोपी बाबूलाल तिवारी पर कोई आंच नहीं आई। इस दौरान भी वो उत्तर प्रदेश के बांदा में ऐश की जिंदगी जीता रहा।

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बचपन के दोस्त को दिया धोखा, उसी ने खोली पोल
मुख्य आरोपी बाबूलाल तिवारी और कामता बांदा जिले के एक ही गांव के रहने वाले हैं। कामता जब जेल से छूटकर घर पहुंचा तो उसे पता चला कि बाबूलाल अमीर आदमी बन गया है। कामता ने द क्राइम इन्फो को बताया कि 1979 में बाबूलाल ने ही लूट की वारदात को अंजाम दिया था। लूट का सारा माल उसी के पास था। जिससे वो अमीर आदमी बन गया था।
बाबूलाल के कारण सजा काटने के बाद भी कामता उसे अपना दोस्त ही समझता था। लेकिन उसे नहीं पता था कि बाबूलाल उसकी जिंदगी में और भी कांटे बो देगा। बाबूलाल को लगा कि कामता उसे 1979 में की गई डकैती के मामले में फंसा सकता है। लिहाजा उसने पैसों की दम पर बांदा में कामता के खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज करा दिए। झूठे मामलों में खुद को सच्चा साबित करने में एक बार फिर कामता को 8 साल लग गए।
बाबूलाल के किए की सजा भुगतने में कामता ने जिंदगी के कई अनमोल साल गंवा दिए। अब वो बाबूलाल को उसके किए की सजा दिलाना चाहता है। लिहाजा उसने सूचना के अधिकार के तहत 1979 में दर्ज किए गए केस की जानकारी निकाली और बाबूलाल की पोल खोल दी।

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कानून ने रास्ता दिखाया लेकिन पुलिस का साथ नहीं मिला
RTI कानून के तहत मिली जानकारी के आधार पर कामता ने बाबूलाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कामता के मुताबिक उसने मध्यप्रदेश पुलिस के निचले से लेकर उच्च अधिकारियों तक इस मामले की शिकायत की। सबूत पेश किए, बाबूलाल का ठिकाना बताया, यहां तक की शपथ पत्र भी दिए लेकिन पुलिस बाबूलाल को गिरफ्तार नहीं कर पाई। जबकि छतरपुर पुलिस के रिकॉर्ड में आज भी बाबूलाल तिवारी फरार घोषित है, यानि पुलिस को उसकी तलाश है। बाबूलाल के खिलाफ 40 साल से स्थायी वारंट जारी है। यह वारंट कई अफसरों के हाथों से भी गुजरा है लेकिन वह तामील नहीं हो सका है।

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गिरफ्तारी फिर भी सरकारी नौकरी बरकरार
छतरपुर का डकैत अब डॉक्टर बाबूलाल तिवारी है। वह झांसी में बीकेडी कॉलेज का प्रभारी प्राचार्य है। इतना ही रसूख बाबूलाल के लिए काफी नहीं है। बाबूलाल के चाचा ससुर रवीन्द्र शुक्ला है जो कल्याण सिंह सरकार में मंत्री हुआ करते थे। तीन बार के विधायक रहे रवीन्द्र शुक्ला के नाम को बाबूलाल ने काफी भुनाया है। बाबूलाल एमएलसी का भी चुनाव बसपा की सीट पर लड़ चुका है। बाबूलाल का रसूख जितना मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में है उतना ही रसूख उसका झांसी में भी बना हुआ है। बाबूलाल तिवारी के खिलाफ झांसी के अलग-अलग थानों में एक नहीं आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हुए। यह गंभीर मुकदमे सरकारी सेवा में रहते हुए दर्ज किए गए। जो आरोप लगे उसमें बलवा, सरकारी कर्मचारी से मारपीट, धमकाना, जालसाजी, हत्या के प्रयास से लेकर तमाम अन्य आरोप शामिल हैं। इन मामलों में गिरफ्तारी और जेल भी हुई। लेकिन, बाबूलाल की नौकरी पर कोई आंच नहीं आई। उसके खिलाफ गिरफ्तारी से जुड़े दस्तावेज द क्राइम इन्फो के पास भी मौजूद हैं।

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वीडियो में सुनिए डकैती के आरोपों से मुक्त शख्स की पूरी कहानी जो छतरपुर के सारे अधिकारियों को मीडिया से पहले बताई गई

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छतरपुर जिले के बमीठा थाना पुलिस के रिकॉर्ड में फरार डकैती का आरोपी बाबूलाल तिवारी जो अब कॉलेजों के मालिक के साथ—साथ सरकारी कॉलेज का प्रिंसीपल भी है।

टीआई ने कबूला पर एसपी अनजान
इस मामले में सबसे पहले छतरपुर जिले के बमीठा के थाना प्रभारी अरूण शर्मा से पूरे मामले को लेकर प्रतिक्रिया ली गई। शुरुआत में तो वह मुकरे लेकिन जब उन्हें बताया गया कि द क्राइम इन्फो के पास थाने से आरटीआई के तहत मुहैया कराए गए दस्तावेज मौजूद है बताया गया तो उनके सुर बदले। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सारी जानकारी राज्य सूचना आयोग को दी गई है। लेकिन, हमारे पास स्थायी वारंटी के रजिस्टर में कोई जानकारी नहीं है। एसपी तिलक सिंह ने जब सुना कि 40 साल से डकैती के मामले में आरोपी फरार हैं तो उन्होंने कहा कि जिले में 700 से अधिक वारंट लंबित है। इसलिए इस मामले में मुझे कुछ याद नहीं हैं।

रसूख इतना कि गर्व से अफसरों से कनेक्शन कबूले
इस मामले में डॉक्टर बाबूलाल तिवारी से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा कि मेरे बारे में उत्तर प्रदेश के मीडिया में भी समाचार प्रकाशित हो चुका है। मेरी झांसी डीएम और एसपी से मुलाकात हैं। समाचार सामने आने के बाद मैं स्वयं एसपी और डीएम से मिला था। लेकिन, जब पूछा गया कि वह छतरपुर एसपी से क्यों नहीं मिले तो उनका कहना था कि इस संबंध में मैंने भी दस्तावेज बुलाए है। उन्होंने कहा कि मैं कुछ कथित कामचोर अफसरों के खिलाफ पड़ा हूं। इसलिए मुझे परेशान करने के लिए वे लोग ऐसा षडयंत्र कर रहे हैं।

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