जेके अस्पताल के आईटी मैनेजर की सीएम के साथ तस्वीरें वायरल

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JK Hospital Remdesivir Case: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पुलिस के रिटायर अफसर के बेटे पर सख्त कार्रवाई की मांग की

JK Hospital Remdesivir Case
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में फरार आकाश दुबे

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज जेके अस्पताल (JK Hospital Remdesivir Case) से मिल रही है। यह अस्पताल पिछले तीन दिनों से सुर्खियों में हैं। दरअसल, यहां के आईटी मैनेजर आकाश दुबे पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने का आरोप है। दुबे के साथ अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीरें वायरल हुई है। इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने टैग करके सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

नौकरी से नहीं निकाला

जेके अस्पताल पिछले एक महीनों से सुर्खियों मेें है। यह कोविड अस्पताल होने के कारण यहां की व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में बना रहता है। इसी अस्पताल की नर्स शालिनी वर्मा और उसके कथित प्रेमी झलकन सिंह मीणा को भी कोलार पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन महंगे दामों में बेचने पर गिरफ्तार किया था। उस वक्त यह बात सामने आ गई थी कि जेके अस्पताल में काफी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इसके बाद ताजा मामला आईटी मैनेजर आकाश दुबे का सामने आया है। जेके अस्पताल आकाश दुबे पर अभी भी मेहरबान है। उसने आकाश दुबे को अब तक अस्पताल से नहीं निकाला है।

ऐसे कर रहे थे फर्जीवाड़ा

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जेके अस्पताल का आईटी मैनेजर आकाश दुबे जो अभी भी फरार चल रहा है

पुलिस सूत्रों के अनुसार जेके अस्पताल में उच्च स्तर पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। आकाश दुबे ऐसे कई राज की जानकारी रखता है। इसलिए प्रबंधन अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके उसको बचाने का प्रयास भी कर रहा है। खबर है कि अस्पताल से 40 मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन (JK Hospital Remdesivir Case) लगाना दिखाकर 20 मरीजों को ही इंजेक्शन लगाया जाता था। बाकी इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही थी। इसलिए एसपी साई कृष्णा थोटा ने अस्पताल से जिन मरीजों को इंजेक्शन लगे हैं उसके रिकॉर्ड मांग लिए है। खबर यह भी है कि पांच दिन पहले तक जेके अस्पताल साढ़े तीन हजार रुपए के इंजेक्शन को पांच हजार रुपए में बेच रहा था।

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सरकार की चुप्पी, राजनीति हुई तेज

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पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का ट्वीट

आकाश दुबे मामले में फरार है। लेकिन, इंदौर सीट कवर के मालिक दिलप्रीत सलूजा, चचेरे भाई अंकित सलूजा और आकर्ष सक्सेना गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पुलिस अफसरों का दावा है कि सभी के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की जाएगी। इधर, इस पूरे मामले में सरकार की चुप्पी विपक्ष को राजनीति करने का भरपूर अवसर प्रदान कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आकाश दुबे की तस्वीर के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर अपने ट्वीटर अकाउंट में साझा भी की है। इन्हीं तस्वीरों को देखकर पुलिस महकमा भी खामोश हो गया था। आकाश दुबे को प्रबंधन का भरपूर समर्थन मिला हुआ था। उसको नौकरी पिता के पुलिसिया रौब के चलते मिली थी।

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जांच ठंडे बस्ते में डालने योजना

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क्राइम ब्रांच थाना— फाइल फोटो

आकाश दुबे के कारण ही पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने की योजना है। यदि वह बेनकाब हुआ तो उसके संपर्क और फोन कॉल रिकॉर्ड से सरकार की फजीहत हो सकती है। इसलिए पूरे केस में अब पुलिस फूंक—फूंककर कदम उठा रही है। आकाश दुबे तक भोपाल क्राइम ब्रांच के दो अफसर एसआई एमडी अहिरवार और हरिशंकर वर्मा पहुंच गए थे। दोनों ने आकर्ष सक्सेना को दबोचा था। उसको छोड़ने के एवज में ढ़ाई लाख रुपए लिए गए थे। इसलिए डीआईजी सिटी इरशाद वली ने दोनों एसआई को सस्पेंड कर दिया है। उल्लेखनीय है कि इस मामले को भी हमीदिया अस्पताल से चोरी गए रेमडेसिविर इंजेक्शन के 863 वाइल की तरह बनाया जा रहा है।

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एक—दूसरे पर डालते रहे जिम्मेदारी

जेके अस्पताल में इंजेक्शन का फर्जीवाड़ा (JK Hospital Remdesivir Case) बहुत लंबे स्तर पर चल रहा था। अब मामला पुलिस के पास पहुंच गया है। इसलिए अस्पताल के सारे जिम्मेदार एक—दूसरे की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं। जनसपंर्क अधिकारी अनिकेत पांडे ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। डॉक्टर यशवंत मिश्रा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया धर्मेन्द्र गुप्ता और अनुपम चौकसे ही ज्यादा बेहतर बता सकेंगे। इससे पहले विनोद नायर, ताराचंद मालवीय समेत कई अन्य अफसरों और कर्मचारियों से बातचीत की गई। सभी एक—दूसरे का नंबर ही देते रहे। किसी के पास भी ठोस जवाब ही नहीं था।

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