लोकसभा चुनाव 2019: विवादित बोल के वीरों से दूषित होती लोकतांत्रिक बयार में दम घुटने का इंतजार

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यहां हम राजनीतिक बयानबाजी के गिरते स्तर के कुछ उदाहरण इसलिए रख रहे हैं, ताकि आप यह महसूस कर सकें कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की रक्षा का भार हम बतौर मतदाता जिन लोगों को सौंपते हैं, वे किस तेजी से ​घटिया भाषा को पार कर गाली गलौच पर उतर आए हैं।

नई दिल्ली। 2014 के चुनावी प्रचार के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों ने एक—दूसरे पर राजनीतिक टिप्पणियों के जो बीज बोये थे, उनके फल बीते पांच साल के विधानसभा चुनाव में पके ​थे, तो अब ये सड़ने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि कोई मौजूदा चुनावी प्रचार में किसी महिला पर टिप्पणी कर रहा है, तो कहीं धर्म विशेष को लुभाने और निशाने पर लेने की कोशिशें भी की जा रही हैं। इन्हें सिर्फ विवादित बयान कहना अब ठीक नहीं लगता, असल में ​राजनीतिक बयानों का यह गिरता स्तर अब घटियापन की सीमा पार कर चुका है और मतदाता महज दर्शक की भूमिका में है, लेकिन कब तक!

विशेषज्ञों का मानना है कि देश की राजनीति में चुनाव प्रचार अभियान की बयानबाजी अब तक के निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है। यह बयानबाजी हमारी राजनीतिक गिरावट को भी दिखाती है और जनता के मुद्दों से भटकाने की राजनीतिक पार्टी की योग्यता को भी बेनकाब करती है। प्रचार के दौरान कई बार तो नेता राजनीतिक मर्यादा को भी ताक पर रख रहे हैं।

पिछले ​विधानसभा और लोकसभा चुनावों में एक दूसरे का डीएनए तलाशते नेताओं ने चायवाले से नीच तक की टिप्पणियों के बीच कभी गधे को चुनावी मुद्दा बनाया तो कभी श्मशान की जमीन पर विवादित बोल सामने आए हैं।

मौजूदा लोकसभा चुनाव अपने परिणामों के साथ साथ राजनीति में अभद्र भाषा और गाली गलौच के इस्तेमाल के नए प्रतिमान के लिए भी याद किया जाएगा। सोमवार को जब चुनाव आयोग ने चार नेताओं के चुनाव-प्रचार पर प्रतिबंध लगाया तो हर गंभीर राजनीतिक दर्शक और प्रेक्षक का कहना था कि यह तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। यह चार तो महज उदाहरण हैं, असल में तो राजनीतिक छींटाकशी के इस दौर में सारे जुबानदराज एक ही जमीन पर खड़े दिखाई देते हैं।

मौजूदा चुनाव प्रचार के दौरान कुछ गिरते स्तर के कुछ उदाहरण
15 अप्रैल 2019: बसपा के लोकसभा प्रत्याशी गुड्डू पंडित ने एक रैली में कहा, ‘सुन लो राज बब्बर के कुत्तो, तुमको और तुम्हारे नेता-नचनिया को दौड़ा-दौड़ा के जूतों से मारूंगा जो झूठ फैलाया समाज में। जहां मिलेगा, गंगा मां की सौगंध तुझे जूतों से मारूंगा, तुझे और तेरे दलालों को।’

14 अप्रैल 2019: उत्तर प्रदेश के ही सुल्तानपुर की भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी ने पीलीभीत में अपने बेटे वरुण गांधी के समर्थन में सभा को संबोधित करते हुए कहा— ‘जिस इलाके से जितना मत हासिल होगा, वहां उतना काम होगा।’ उन्होंने वोट के आधार पर इलाकों को एबीसीडी श्रेणी में बांटने की बात कही। इससे पहले मेनका ने सुल्तानपुर में कहा— ‘अगर मुसलमान वोट नहीं देंगे, तो अच्छा नहीं लगेगा। हम बिना मुसलमानों के समर्थन से भी चुनाव जीत सकते हैं। लेकिन अगर मुसलमान सहयोग करेंगे तो अच्छा लगेगा।’

14 अप्रैल 2019: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने भाजपा की प्रत्याशी जया प्रदा पर अशोभनीय टिप्पणी करते हुए कहा— ‘रामपुर वालो, उत्तर प्रदेश वालो, हिन्दुस्तान वालो, उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लग गए। मैं 17 दिनों में पहचान गया था कि —-, खाकी रंग की है।’

14 अप्रैल 2019: शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने ठाणे के मीरा-भयंदर में कहा— ‘हम ऐसे लोग हैं, भाड़ में गया कानून, आचार संहिता भी हम देख लेंगे। जो बात हमारे मन में है, वो अगर मन से बाहर नहीं निकालें तो घुटन सी होती है।’

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13 अप्रैल 2019: हिमाचल भाजपा के भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा— ‘उस बेचारे को पता नहीं लगता, जो लिख कर दे देते हैं, वही वह बोल देते हैं। उनकी इतनी उम्र हो गई और परिवार में तीन प्रधानमंत्री रहे, आपको यही पता नहीं कि क्या बोलना है। मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चोर बोलते हैं, जबकि भैया तेरी मां जमानत पर, तुम खुद जमानत पर और तेरे जीजा भी जमानत पर हैं यानी पूरा परिवार ही जमानती है। मोदी की न जमानत हुई, न केस बना, न किसी ने सजा दी, तू कौन होता है जज की तरह चोर बोलने वाला।’ उन्होंने मंच से फेसबुक की पोस्ट पढ़ते हुए किसी व्यक्ति द्वारा राहुल को दी गई मां की गाली भी पढ़ डाली। इस पर काफी हंगामा हुआ।

13 अप्रैल 2019: राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी नरेंद्र सिंह ने हेमामालिनी पर अशोभनीय टिप्पणी करते हुए कहा— ‘किसके चेहरे पर ज्यादा आत्मविश्वास दिख रहा है? मेकअप के साथ हेमामालिनी या बिना मेकअप के मैं।’

09 अप्रैल 2019: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर कांग्रेस, सपा, बसपा को अली पर विश्वास है, तो हमें भी बजरंग बली पर विश्वास है। योगी ने देवबंद में मायावती के भाषण की ओर इशारा करते हुए यह बयान दिया था। इससे पहले मायावती ने धर्म के आधार पर वोट मांगा था।

07 अप्रैल 2019: देवबंद में गठबंधन की संयुक्त रैली में मायावती ने कहा था कि मुसलमान अपना वोट बंटने न दें। एकमुश्त गठबंधन प्रत्याशी को वोट करें।

02 अप्रैल 2019: भाजपा नेता जयकरण गुप्ता ने प्रियंका गांधी का नाम लिये बिना कहा— ‘अरे स्कर्ट वाली बाई साड़ी पहनकर मंदिर में शीश लगाने लगी। गंगाजल से परहेज करने वाले लोग, गंगाजल का आचमन करने लगे।’

01 अप्रैल 2019: पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी के नेता जयदीप कवाडे ने नागपुर में भाजपा नेता स्मृति ईरानी के खिलाफ अश्लील टिप्पणी की। कवाड़े ने स्मृति की बिंदी के आकार पर टिप्पणी की थी। 3 अप्रैल को कवाडे को गिरफ्तार किया गया।

पिछले उदाहरण भी कम नहीं
ऐसा नहीं है कि 2019 में यह बयानों का स्तर अचानक गिर गया है। यह सिलसिला बीते एक दशक में खूब फला फूला है और इस घटियापन की होड़ में हर दल के दर्जनों नेताओं ने अपना योगदान दिया है। ऐसे ही बीते चुनावों के कुछ चर्चित उदाहरण…

गधा हुआ था चुनाव में चर्चित: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक जानवर खूब चर्चा में रहा। शुरुआत हुई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाषण से। इसके बाद लगातार बयानबाजी चलती रही। भाजपा के नेताओं ने पलटवार किया, तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने जवाब में कहा, “मैं देश के लिए गधे की तरह काम करता हूं”।

बिहार में चला डीएनए: बीते लोकसभा चुनाव के बाद हुए बिहार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के डीएनए वाले बयान पर खासा ​बवाल मचा। इस बयान को बिहार का अपमान करार दिया गया। क्या है

नीच शब्द ने पलट दिया चुनाव: 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पहली बार सत्ता के करीब जाती हुई लग रही थी, लेकिन इसी बीच मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को नीच कह दिया। इसे गुजरात का अपमान बताया गया और भाजपा ने इसे खूब भुनाया। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से हटाकर भरपाई की कोशिश की।

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कब्रिस्तान और श्मशान का रंग: यूपी विस चुनाव में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान पर खासा विवाद हुआ। उत्तर प्रदेश के बहराइच में प्रधानमंत्री ने राज्य की अखिलेश यादव सरकार पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि, अगर गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। साथ ही उन्होंने त्यौहारों के दौरान बिजली कटौती में भेदभाव पर भी तंज कसा।

साध्वी के रामजादे पर बवाल: भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने दिल्ली चुनाव के दौरान एक रैली में रामजादे संबंधी बयान देकर बखेड़ा खड़ा कर दिया। बाद में उन्होंने संसद में अपने बयान के लिए माफी मांगी।

मोदी विरोधी जाएं पाकिस्तान: भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने बीते लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी के विरोधियों को ‘पाकिस्तान प्रेमी’ करार दिया था। उन्होंने विरोधियों को पाकिस्तान जाने की सलाह दी थी।

उत्तर प्रदेश में कसाब: यूपी चुनाव में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस, सपा और बसपा को ‘कसाब की संज्ञा दी थी। उन्होंने कहा कि क से कांग्रेस, ‘स से सपा और ‘ब से बसपा। इसके जवाब में मायावती ने शाह की तुलना ही कसाब से कर दी।

दलितों के घर हनीमून और पिकनिक: 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने दलितों के घर भोजन का अभियान चलाया तो योग गुरु रामदेव ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दलितों के घर हनीमून और पिकनिक मनाने जाते हैं।

उम्र से जोड़ा रुपए को: कांग्रेस नेता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने मध्य प्रदेश चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर विवादित बयान दिया। इंदौर में राज बब्बर ने कहा, ‘जब वो (पीएम मोदी) कहते थे कि डॉलर के सामने रुपया इतना गिर गया कि उस वक्त के पीएम की उमर बता कर के कहते थे कि उनकी उमर के करीब जा रहा रहा है। आज रुपया आपकी पूज्यनीय माताजी की उमर के करीब नीचे गिरना शुरू हो गया है।’

आबादी को जोड़ा धर्म विशेष से: उन्नाव के भाजपा सांसद साक्षी महराज ने एक समुदाय विशेष को लक्ष्य करते हुए उसे देश की आबादी बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार बताया था। मेरठ में आचार संहिता के दौरान उन्होंने यह कहा— “हिंदू महिलाओं को अपने धर्म की रक्षा करने के लिए कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए।” चुनाव आयोग ने इस पर संज्ञान लिया।

2007 में मौत का सौदागर: 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर देती दिखाई रही थी, लेकिन दंगों के लेकर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ​तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कह डाला। भाजपा ने इसे भावनात्मक मुद्दा बना दिया।

प्रियंका गांधी का बयान: 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार में उतरी प्रियंका गांधी ने कह दिया कि मोदी ने उनके शहीद का पिता अपमान किया है। यह नीच की राजनीति है। इसके तुरंत बाद नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि प्रियंका गांधी ने उनका अपमान किया है क्योंकि वह पिछड़ी जाति से हैं। इसके बाद मोदी ने रैलियों में भी यह बात दोहराई।

और मणिशंकर का ‘चाय वाला’: 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी को ‘चाय वाला’ कहा था। माना जाता है कि इस बयान के कारण कांग्रेस ने खासा नुकसान हुआ।

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