देश की कोई सरकार आखिर क्यों नहीं है नशे के खिलाफ गंभीर

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नशे की समस्या देश में काफी बड़ी है और इसके तार आतंक और नक्सल से जुड़े होने का अंदेशा भी व्यक्त किया जाता रहा है, लेकिन हैरत की बात है कि कोई राजनीतिक पार्टी देश के आम चुनाव में नशे का मुद्दे को तीव्रता से नहीं उठा रही है। बड़ी हैरत की बात यह भी है कि नशे पर कोई राष्ट्रीय नीति नहीं बन पाई है, जिसका सीधा अर्थ यही है कि सरकारें महज खानापूर्ति कर रही हैं। नशे के खिलाफ सेमिनारों में पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक कई बातें कही गईं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात जैसा ही निकला है।

कैसे होता है देश में नशे का कारोबार
– अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हेरोइन की सप्लाई पाकिस्तान से होती है।
– भांग से पैदा होने वाली चरस और अन्य नशे हिमाचल प्रदेश, बिहार और नेपाल से सप्लाई किए जाते हैं।
– स्मैक की तस्करी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से होती ह
– सूत्रों के मुताबिक भुक्की और अफीम की तस्करी जम्मू-कश्मीर, झारखंड और छत्तीसगढ़ से होती है।

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बीएसएफ की नाक के नीचे होती है तस्करी
रिपोर्ट बताती है कि नशे के कारोबार में सीमा पार से तस्करी बीएसएफ की नाक के नीचे होती है। अगर बीएसएफ सख्ती दिखाए तो सरहद पार से देश की नसों में नशा घोलने वाले तस्करों को रोका जा सकता है। फिलहाल नशे के कारोबारियों में सीमा पर वैसा खौफ नहीं है, कि वे तस्करी से बाज आएं। हालांकि पंजाब में एसटीएफ ने अगस्त, 2018 तक एनडीपीएस एक्ट के तहत 19,179 मामले दर्ज किए और 21,571 गिरफ्तारी की हैं। इनमें एक डीएसपी और 23 पुलिस वाले भी हैं।

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पंजाब और हरियाणा में योजनाएं बहुत लेकिन जमीन पर नाकाम
करीब एक साल पहले चंडीगढ़ में पांच राज्यों के सीएम ने नशे पर क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में आंकड़े और सूचनाएं साझा करने की बात कही और हर राज्य में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति पर भी सहमति बनी। पंजाब के मुख्यमंत्री ने हर तीन माह में अफसरों की उच्च स्तरीय बैठक नशे पर केंद्रित करने की बात कही। इसकी अध्यक्षता संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव या डीजीपी को करनी थी। इसके अलावा राज्यों के साथ लगने वाले जिलों के एसएसपी को कोऑर्डिनेशन का काम देना तय किया गया। नशे और इससे संबंधित मामलों के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन की बात भी उठ चुकी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इसकी मांग की थी। उनका सुझाव ‘नशा सूचना सचिवालयÓ बनाने का भी था। लेकिन इन योजनाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका और नशे के तस्कर बेखौफ हो गए।

पंजाब में स्कूल में बनेंगे ड्रग रोधी सेल
बीती योजनाओं को दरकिनार कर दें तो अप्रैल 2019 में ही पंजाब में स्कूली शिक्षा विभाग ने हर स्कूल में ड्रगरोधी सेल बनाने का फैसला किया है। इसके लिए स्कूलों में एक वरिष्ठ अध्यापक को छात्रों की नशे के खिलाफ काउंसलिंग के लिए चयनित किया जाएगा। यह पहल शिक्षा विभाग और गृह एवं कानून विभाग के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। संबंधित पत्र में पहल का उद्देश्य साफ करते हुए बताया गया है कि पुलिस और शिक्षकों की मिलीजुलों कोशिशों के जरिये नशे के कारोबार पर लगाम कसने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

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नकली नशे का कारोबार पहुंचा राजस्थान
पंजाब के बाद ड्रग माफिया के निशाने पर सबसे ज्यादा राजस्थान है। एक तरफ यह पंजाब से जुड़ा है, जहां से सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार से इसके तार जुड़ते हैं, तो वहीं दूसरी ओर अफीम की खेती के मध्य प्रदेश और राजस्थान के इलाके भी इस राज्य को ड्रग माफिया के मुफीद बनाते हैं। राजस्थान में नकली नशीले पदार्थ का कारोबार पैर पसार चुका है। राज्य में घटिया हेरोइन और सिंथेटिक नशों के अलावा कानूनी तौर पर पैदा होने वाली अफीम के भी कुछ हिस्से का दुरुपयोग होता है। इस कारोबार में पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों की संलिप्तता भी सामने आई है। 3-3 लाख रुपए लेकर यहां अधिकारी अवैध खेती करवाते थे और फिर उसे तस्करों तक पहुंचाने में भी मदद करते रहे हैं।

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