Uttarakhand Political Crisis: सरप्राइज सीएम को लेकर दो दर्जन से अधिक विधायकों में असंतोष, कई चेहरे शपथ समारोह से बना सकते हैं दूरी
देहरादून। उत्तराखंड राज्य में चल रहा राजनीतिक संकट (Uttarakhand Political Crisis) भाजपा में केंद्र को लगता है कि टल गया है। दरअसल, शनिवार को हुई विधायक दलों की बैठक के बाद पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) को अगला मुख्यमंत्री चुना गया। इस नाम को लेकर अब भाजपा के असंतुष्ट विधायक सरप्राइज सीएम बताकर विरोध करने लगे हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए राजनीतिक जानकार भाजपा के लिए धीमा जहर बता रहे हैं। जिसके दुष्परिणाम चुनाव पूर्व देखने को मिलेंगे।
उत्तराखंड राज्य में रहता है राजनीतिक संकट
हिमालय के बेहद नजदीक पहाड़ी वादियों में बसा उत्तराखंड जिसको पहले उत्तरांचल नाम से पुकारा जाता था। यह राज्य 2000 से पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। इसकी आबादी लगभग एक करोड़ है। यहां 21 साल के भीतर 10 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इसमें से छह मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के थे। भाजपा की तरफ से सातवें मुख्यमंत्री के रुप में पुष्कर सिंह धामी शपथ लेंगे। वे राज्य के 11वें सीएम होंगे। यहां कांग्रेस की तरफ से तीन बार मुख्यमंत्री बने हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी एक ही कार्यकाल में भाजपा के दो बार मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड बना चुके हैं। वहीं मौजूदा विधानसभा में ही भाजपा ने चार साल में यह चौथा मुख्यमंत्री चुना है। यहां मार्च, 2022 से पहले विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
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आरएसएस का दखल ज्यादा
पर्वतीय क्षेत्र होने के चलते उत्तराखंड धार्मिक मायनों के लिहाज से अभूतपूर्व है। प्राकृतिक सौंदर्य के साथ—साथ यहां की नदियां पूरे देश मेें आस्था के लिए जानी जाती है। यहां आरएसएस का काफी दखल भी है। आरएसएस से ही जुड़े अब तक चार मुख्यमंत्री यहां बैठाए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी, तीरथ सिंह रावत या फिर पुष्कर सिंह धामी सबकी नजदीकियां आरएसएस से काफी करीबी रही है। सूत्रों ने बताया कि इसलिए यहां भाजपा बनाम आरएसएस संगठन का अंतर विरोध बना रहता है। इसमें तालमेल बनाने के लिए भाजपा की तरफ से काफी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन, भाजपा के सक्रिय नेताओं का असंतोष अब फूटकर सामने आने लगा है।
इन लोगों की चुप्पी या चालाकी
उत्तराखंड में विधायक सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य खुलकर तो नहीं पर भीतरी विरोध कर रहे हैं। विधायक दल की बैठक में सरप्राइज सीएम का नाम सामने आने के बाद तीनों वहां से चले गए थे। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व असंतुष्टों को मनाने के लिए कुछ मंत्रियों के पोर्ट फोलियो में बदलाव की बात भी कर रहा है। इस काम के लिए दिल्ली से केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वहां डेरा डाल रखा है। इधर, हरिद्वार में ज्वालापुर इलाके में कई भाजपा नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। इसमें पार्वती नेगी (Parvati Negi) नाम काफी चर्चित बताया जा रहा है।
मुद्दे बदलने में पार्टी माहिर
भाजपा अपने भीतर चल रहे घमासान के विषय को बदलने में कामयाब रही है। दरअसल, यहां अगले साल चुनाव होना है। केंद्रीय नेतृत्व यहां पांच साल में कोई दमदार चेहरा खड़ा नहीं कर सकी है। इसलिए अगली पारी में जीत के लिए भीतर ही भीतर घमासान चल रहा है। इस राज्य के चुनाव के साथ चार अन्य राज्यों में भी चुनाव हैं। जिसमें उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भी इस राज्य का दखल परिणामों मेें प्रभाव डाल सकता है। इन सभी बातों को किनारे करने के लिए ममता बनर्जी की थ्यौरी चलाई गई। क्योंकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बिना चुनाव जीते सीएम हैं। उन्हें छह महीने के भीतर चुनाव जीतना होगा। अगर ऐास है तो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का फॉर्मूला पश्चिम बंगाल में लागू हो सकता है।