सीबीआई की विजीलेंस यूनिट ने दंपत्ति के खिलाफ दर्ज किया मामला, तीन साल लंबी जांच के बाद लिया गया फैसला
लखनऊ। दिल्ली सीबीआई (CBI) की विजीलेंस यूनिट ने लखनऊ (Lucknow crime) के एक दंपत्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण समेत अन्य धारा में मामला दर्ज किया है। आरोप है कि दंपत्ति ने 7 साल के भीतर करोड़ों रुपए का घोटाला किया। यह घोटाला नार्दन रेलवे के अस्पताल में किया गया। जांच करने में विजीलेंस की टीम को तीन साल लग गए।
7 साल में 2 करोड़ की हेरा-फेरी
सीबीआई की विजीलेंस टीम को लिखित में विनोद कुमार ने शिकायत की थी। यह शिकायत जनवरी, 2016 में लिखित रूप से की गई थी। विनोद नार्दन रेलवे में डिप्टी सीवीओ के पद पर तैनात हैं। उन्होंने बताया था कि चीफ मेडिकल स्टाफ डॉक्टर यू.बंसल, स्टोर इंचार्ज डॉक्टर राकेश गुप्ता, सीनियर डीएमओ डॉक्टर सुनीता गुप्ता, फार्मासिस्ट एनएन गुप्ता, एसएस मिश्रा, अटेंडेंट ताराचंद्र ने मिलकर भ्रष्टाचार (Lucknow crime) किया है। यह सभी चार बाग लखनऊ स्थित नार्दन रेलवे के डिवीजनल अस्पताल में तैनात थे। यह भ्रष्टाचार सात साल के भीतर अंजाम दिया गया है। इसमें करीब दो करोड़ रुपए की रकम का हेर-फेर किया गया। इसमें मुख्य साजिशकर्ता डॉक्टर सुनीता गुप्ता और उसके पति राजीव गुप्ता बताए गए। राजीव गुप्ता लखनऊ केजीएमसी में प्रोफेसर हैं।
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डेढ़ करोड़ रुपए नकद मिले
शिकायत की जांच के लिए सीबीआई की टीम बनाई गई। टीम ने डॉक्टर सुनीता गुप्ता के चर्च रोड रेलवे कॉलोनी, चारबाग लखनऊ (Lucknow crime) स्थित निवास पर जाकर सर्चिंग की गई। यह सर्चिंग जुलाई, 2016 में हुई थी। सर्चिंग के दौरान सीबीआई को लगभग डेढ़ करोड़ रुपए नकद मिले थे। इसके अलावा लॉकर से पौने दस लाख रुपए बरामद हुए थे। सीबीआई ने इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद दोनों आरोपियों को अपने बचाव में दस्तावेज पेश करने का भरपूर मौका दिया। लेकिन, वे कामयाब नहीं रहे। नतीजतन सीबीआई ने सुनीता, उसके पति राजीव गुप्ता और नार्दन रेलवे अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ (Lucknow crime) भ्रष्टाचार निवारण, आय से अधिक संपत्ति समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया।
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7 साल के हिसाब में 3 करोड़
सीबीआई ने सर्चिंग के बाद लगभग तीन साल लंबी जांच की। इस जांच के दौरान सुनीता और उसके पति राजीव गुप्ता की पाई -पाई का हिसाब उनसे मांग लिया। इस हिसाब में कई चौकाने वाली जानकारियां सीबीआई को मिली। सुनीता ने कबूला कि उसने 1990 से लेकर 2008 के बीच करीब सवा एक लाख रुपए के जेवर (Lucknow crime) सोने के खरीदे। एक कार उसने 2002 में साढ़े तीन लाख रुपए में खरीदी। सुनीता और राजीव के नाम से आधा दर्जन से अधिक बैंकों में खाते मिले। लेकिन, सर्वाधिक रकम इलाहाबाद बैंक में मिली। इसमें से कुछ रकम से उन्होंने सामान खरीदने का बिल पेश किया। जो उनकी स्वीकृत आय के मुकाबले करीब सवा एक करोड़ रुपए ज्यादा निकला।
अब यह होगा
सीबीआई ने मामला दर्ज करके अपनी जांच शुरू कर दी है। दंपत्ति ने अलग-अलग समय में संपत्ति खरीदने और बेचने की जानकारी दी है। इस जानकारी को आधार बनाकर सीबीआई विभाग से यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि उन्होंने ऐसा करने के लिए विभागीय अनुमति ली है अथवा नहीं। सीबीआई ने फिलहाल दंपत्ति को आरोपी (Lucknow crime) बनाया है। बाकी अन्य संदेहियों की भूमिका की पड़ताल की जा रही है।