World Terrorism Effect: कानून-व्यवस्था को सुधारने में नाकाम तालिबानी लडाके, आईएसआई के बिगड़े समीकरण तो हक्कानी नेटवर्क पर रखा हाथ, भारत में जम्मू—कश्मीर के रास्ते हक्कानी नेटवर्क की एंट्री
काबुल। अफगानिस्तान में अशरफ गनी से कुर्सी छीनकर बनी तालिबान की नई सरकार दक्षिण एशिया के लिए नया सिरदर्द बन रही है। उसके निशाने पर खासतौर से भारत है। वह भी तब जब भारत उसको गेहूं की मदद दे रहा है। दरअसल, वहां सरकार जाने के बाद अनाज का संकट है। अफगानिस्तान (World Terrorism Effect) में तालिबान और हक्कानी गुट मिलकर सरकार चला रहे हैं। तालिबान पहले पाकिस्तान का सरपरस्त था। उसको पाकिस्तान के आईएसआई से भरपूर मदद मिलती थी। लेकिन, तालिबानी गुट और आईएसआई के बीच कुछ समय से मनमुटाव की खबरें आ रही है। जिस कारण आईएसआई ने वहां दूसरे नंबर पर मौजूद हक्कानी नेटवर्क पर हाथ रख दिया है। यह नया समीकरण भारत के लिए चुनौती भरा हो रहा है। सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ इस समीकरण के पीछे वास्तविक वजहों का पता लगा रहे हैं।
इसलिए हो रहे हैं बम धमाके
जम्मू हमले के बाद गहराया शक
जब अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में थी, तब इन लोगों को तालिबान से लडऩे के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इन लोगों के शामिल होने से आईएसआईएस-के की ताकत बढ़ी है। अमेरिकी थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज ऑफ वॉर की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में ऐसे कई गुट हैं, जिनकी राय में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। इसलिए ये गुट अपने हमलों को आजादी की लड़ाई बताते हैं। हाल में पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (EX President Ashraf Gani) के दौर में अफगान सुरक्षा बल से जुड़े रहे लेफ्टिनेंट जनरल समी सादात भी इन गुटों से जाकर मिल गए। इन घटनाओं से बढ़ी चुनौती से तालिबान परिचित है। इसीलिए उसने हाल में उत्तरी अफगानिस्तान में अपने बलों की तैयारी बढ़ा दी है। इसे देखते हुए कई विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि आने वाले महीनों में अफगानिस्तान में गृह युद्ध का माहौल बनेगा। उससे आर्थिक संकट के और गहराने की आशंका है। तालिबान प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर(Mullah Abdul Gani Baradar) है जबकि हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी(Sirajuddin Haqqani) है। इन दोनों के बीच सरकार बनने से पहले ही अनबन शुरु हो गई थी। जिसकी भनक आईएसआई को थी। जम्मू के सुंजुंवा में 22 अप्रैल को सेना ने एक मुठभेड़ की थी। जिसमें दो पश्तो भाषा के जानकार आतंकी आरिफ अहमद हजार (Arif Ahemad Hazaar) और अबू हुजैफा(Abu Huzefa) उर्फ हक्कानी ढ़ेर हुए थे। पुलिस ने शक जताया था कि यह आईएसआई की मदद से भारत में दाखिल होेने जा रहे थे।