Serial Killer: सुहागरात मनाने के बाद सायनाइड देकर मारने वाले मोहन को फांसी की सजा

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20 महिलाओं की बेरहमी से की थी हत्या, सायनाइड मोहन के नाम से जाना जाता है कातिल

Serial Killer Arrest
सायको किलर के प्रचलित सांकेतिक चित्र

मंगलूरू। अपराधियों के मनोविज्ञान (Criminology) पर कई तरह के शोध किए जाते हैं। ऐसा ही शोध का विषय है मोहन सायनाइड (Mohan Cyanide)। पेशे से कभी टीचर रहे मोहन मानसिक बीमार था। उसने एक—दो नहीं बल्कि 20 महिलाओं की बेरहमी से हत्या की थी। हत्या की तकनीक भी उसकी खौफनाक थी। दरिंदा मोहन महिलाओं के शरीर का भूखा था। वह महिलाओं के साथ सुहागरात के नाम पर पहले जिस्मानी संबंध बनाना था। फिर उन महिलाओं को सायनाइड देकर मौत की नींद सुला देता था। उसके गुनाहों पर अदालत ने उसको फांसी की सजा सुनाई है।

जानकारी के अनुसार मोहन सायनाइड के खिलाफ एक—एक करके 20 मामलों में सजा सुना दी गई है। सभी मामलों में उसको फांसी सुनाई गई है। मोहन संगीत शिक्षिका से लेकर कई संभ्रात परिवार की महिलाओं की बलि ले चुका है। मोहन ने शौचालयों में ले जाकर भी महिलाओं से ज्यादती करने के बाद उन्हें सायनायड दिया है। आरोपी गर्भ निरोधक गोली बताकर सायनाइड खिला देता था। दोषी मोहन ने सुधाकर आचार्य नाम की एक महिला की निर्मम तरीके से भी हत्या की थी। उस महिला से वह वन विभाग का कर्मचारी बताकर दोस्त बना था। दोस्ती के बाद उसने सुधाकर को गर्भ निरोधक की गोली बताकर सायनायड खिला दिया था।

मोहन को ताजा सुनवाई के बाद न्यायाधीश सैयदुनिशा ने फांसी की सजा सुनाई है। इस सजा से पहले न्यायाधीश ने 38 गवाहों और 49 सबूतों को करीब से देखा। मोहन के खिलाफ पुलिस ने हत्या, धोखाधड़ी, डकैती, लूट समेत अन्य धारा में मुकदमा दर्ज किया था। अदालत ने सभी मामलों में मोहन को दोषी करार दिया है। मोहन ने 20 हत्या की वारदात 6 साल के भीतर अंजाम दी थी। यह घटनाएं 2003 से 2009 के बीच हुई थी। उसको सबसे पहले 2009 में गिरफ्तार किया गया था। मोहन के एक हत्या के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने फांसी की सजा मृत्यु तक कारावास में तब्दील की थी। यह फैसला 2017 में आया था। हालांकि ताजा फैसला जिला अदालत ने फिर उसको फांसी पर चढ़ाने का सुनाया है।

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मानवता को शर्मसार कर देने वाला मोहन काफी शातिर है। वह केवल महिलाओं को टारगेट करता था। मेंगलूर का रहने वाला मोहन का पूरा नाम मोहन कुमार उर्फ आनंद है। उसका जन्म 1963 में हुआ था। वह पेशे से स्कूल टीचर था। मोहन को न्यायाधीश बीके नायक ने भी हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया था। मोहन को सबसे पहले 2013 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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