तेलंगाना पुलिस की जय—जयकार, लोगों ने फूल बरसाकर किया स्वागत, एनकाउंटर के बाद पूरे देश में तेलंगाना पुलिस बनी हीरो
हैदराबाद। तेलंगाना (Telangana Crime) राज्य में हैदराबाद (Hyderabad Crime) जिले की पुलिस का नाम देशभर में रोशन हो गया। सोशल मीडिया से लेकर देशभर के न्यूज चैनल में हैदराबाद पुलिस (#Hyderabad Police) ट्रेंड पर आ गई। दरअसल, हैदराबाद (#Hyderabad Crime) में हुए डॉक्टर प्रियंका रेड्डी (Dr Priyanka Reddy) की ज्यादती के बाद हत्या (Rape And Murder) के मामले में गिरफ्तार चार आरोपी मुठभेड़ (Hyderabad Rapist Encounter) में मार गिराए गए। यह सबकुछ उस अफसर की वजह से हुआ जो पहले भी मीडिया की सुर्खियों में रहा है। इसी अफसर ने हैदराबाद (@Hyderabad Crime) की खोई हुई गरिमा को वापस लौटा दिया। इसके लिए हैदराबाद पुलिस पर लोगों ने फूल भी बरसाए। इधर, एनकाउंटर को लेकर हैदराबाद (#Hyderabad Rapist Encounter) की पुलिस मानवाधिकार के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं (Social Activist) के निशाने पर भी आ गई।
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जानकारी के अनुसार हैदराबाद के रैपिस्ट के एनकाउंटर (@Hyderabad Rapist Encounter) में मुख्य भूमिका निभाने वाले साइबराबाद कमिश्नर (Cybrabad Commissioner) सीवी सज्जनार (IPS CV Sajjanar) रहे। पुलिस का दावा है कि मुठभेड़ उस वक्त हुई जब घटना का रिक्रिएशन (Rape Case Recreation) किया जा रहा था। यह एनकाउंटर सुबह 3 से 4 के बीच किया गया। अंधेरे में घटना के रिक्रिएशन पर पुलिस का कहना है कि दिन में लोगों की भीड़ जमा हो जाती। पुलिस अपना अभ्यास कर रही थी। तभी एक आरोपी ने पुलिस की बंदूक छीन ली। वह आरोपी अपने तीन साथियों को भागने के लिए कह रहा था। इसी कारण पुलिस को बचाव में फायरिंग करना पड़ी। इस मुठभेड़ में अहम रोल सीवी सज्जनार ने निभाया। सज्जनार को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट (Encounter Specialist) कहा जाता है। सज्जनार 11 साल पहले भी सुर्खियों में आए थे। उन्होंने एक मुठभेड़ में एसिड अटैक (Telangana Acid Attack) हमले के तीन आरोपियों को मार गिराया था। उस वक्त भी उनसे मुलाकात के लिए लोग कतार लगाकर घर पहुंचते थे।
एक जैसी थ्योरी पर घिरे सज्जनार
सज्जनार वारंगल (Varangal Crime) जिले के 2008 में एसपी थे। उसी वक्त छात्रा पर एसिड अटैक (Acid Attack) हुआ था। शुक्रवार सुबह भी एनकाउंटर के बाद सज्जनार के साथ वैसा ही हुआ। सोशल मीडिया पर तारीफ की जाने लगी। तेलंगाना पुलिस जिंदाबाद के नारे भी लगे। लेकिन, दोपहर होने के बाद वह मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए। सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप था कि 2008 और 2019 में हुई दोनों मुठभेड़ की थ्यौरी एक जैसी कैसे हो सकती है। इधर, कुछ लोग सोशल मीडिया पर यह भी कहने लगे कि पुलिस भी अदालत के सिस्टम को धीमा मानने लगी है। इसलिए वह स्वयं ही फैसला कर रही है।