बुंदेली लोकगीत गायक पंडित देशराज पटेरिया का निधन

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सीएम शिवराज, कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जताया दुख

Pandit Deshraj Pateriya
पंडित देशराज पटेरिया, फाइल फोटो

छतरपुर। मशहूर बुंदेली लोकगीत गायक पंडित देशराज पटेरिया (Pandit Deshraj Pateriya) का निधन हो गया है। शनिवार तड़के करीब 3 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा। बुंदेलखंड की शान कहे जाने वाले देशराज पटेरिया की उम्र 67 वर्ष थी। उन्हें लोकगीत का सम्राट भी कहा जाता था। पटेरिया के जाने से लोकगीत में रुचि रखने वालों को धक्का लगा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ समेत तमाम नेताओं और कलाकारों ने शोक व्यक्त किया है। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार भेसासुर मुक्तिधाम में किया जाएगा।

सीएम शिवराज ने जताया दुख

अपनी अनूठी गायकी से बुंदेली लोकगीतों में नये प्राण फूंक देने वाले श्री देशराज पटेरिया जी के रूप में आज संगीत जगत ने अपना एक सितारा खो दिया। वो किसान की लली… मगरे पर बोल रहा था…जैसे आपके सैकड़ों गीत संगीत की अमूल्य निधि हैं। आप हम सबकी स्मृतियों में सदैव बने रहेंगे। ॐ शांति!

कमलनाथ ने प्रकट की शोक संवेदनाएं

बुंदेलखंड के लोकप्रिय लोकगीत गायक , अपनी मधुर आवाज़ से लोगों के दिलो में छाप छोड़ने वाले पं.देशराज पटैरिया के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। उनका निधन कला क्षेत्र की एक बड़ी क्षति है। परिवार के प्रति शोक – संवेदनाएँ।

पटेरिया के फैंस ने शेयर किया वीडियो

नहीं रहे देशराज पटेरियानाम देश राज था पर वह देश राग थे बुंदेली लोकगीत के माध्यम से उन्होंने देश पर राज किया।विनम्र श्रद्धांजलि।।

Gepostet von Surendra Sharma Shivpuri am Freitag, 4. September 2020

ऐसे लोकगीत के सम्राट बने पंडित देशराज

पंडित देशराज पटेरिया का जन्म 25 जुलाई 1953 में छतरपुर जिले की तिंदनी गांव में हुआ था। हायर सेकेंडरी पास करने के बाद इन्होंने प्रयाग संगीत समिति से संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल की। इसी बीच पंडित श्री पटेरिया की नौकरी स्वास्थ्य विभाग में लग गई थी। लेकिन इनका मन बुंदेली लोकगीत गाने में ज्यादा रहता था। इसी कारण वह दिन में नौकरी करते थे और रात में बुंदेली लोकगीतों में भाग लेते थे। वर्ष 1972 में उन्होंने मंचों से लोकगीत गाना शुरू कर दिया। लेकिन उनको असली पहचान वर्ष 1976 में छतरपुर आकाशवाणी ने दी। जब उनके लोकगीत आकाशवाणी से प्रसारित होने लगे, तो बुंदेलखंड में उनकी पहचान धीरे-धीरे बढ़ने लगी।

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वर्ष 1980 आते-आते उनके लोकगीतों की कैसेट मार्केट में आ गए। जो बुंदेलखंड में फिल्मी गीतों की जगह बुंदेली गीत बजने लगे या कहें देशराज पटेरिया के लोकगीतों के जादू हर बुंदेलखंड वासी की जुबां दिखने लगा था। उन्होंने 10 हजार से ज्यादा लोकगीत गाए, वे मशहूर गायक मुकेश को अपना आदर्श मानते थे।

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