MP STF News: स्पेशल टास्क फोर्स ने 40 दिन पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते दबोचे थे डॉक्टर
भोपाल। मध्य प्रदेश (MP STF News) में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान प्रायवेट अस्पतालों में जमकर बंदरबाट की गई। अस्पतालों से रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का मामला हो या फिर मरीजों से अधिक रकम ऐंठने का केस। अधिकांश जगह निजी अस्पताल बेनकाब हुए थे। ऐसा ही एक खुलासा मध्य प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स की जबलपुर इकाई ने किया था। लगभग 40 दिन पहले जबलपुर एसटीएफ ने दो डॉक्टरों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तार किया था। इन्हीं डॉक्टर के अब नए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। दोनों पेशे से डॉक्टर ही नहीं थे। यह पता चलने के बाद अब नए सिरे से केस को खोला जा रहा है।
यह है मामला
जबलपुर एसटीएफ की टीम को 19 अप्रैल को सूचना मिली थी कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी होने वाली है। इसलिए एक सिपाही को ग्राहक बनाकर भेजा गया था। जिसके बाद एसटीएफ जबलपुर ने एक—एक करके पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसमें गढ़ा निवासी 27 वर्षीय सुधीर सोनी (Sudhir Soni), 24 वर्षीय राहुल विश्वकर्मा (Rahul Vishwkarma), दीक्षितपुरा निवासी 23 वर्षीय राकेश मालवीय (Rakesh Malviya), डॉक्टर नीरज साहू उम्र 26 साल और विजय नगर निवासी 26 वर्षीय डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया था। पांचों आरोपी इस वक्त जेल में हैं। आरोपियों के कब्जे से चार रेमडेसिविर इंजेक्शन, छह मोबाइल, एक कार के अलावा 10 हजार 400 रुपए भी बरामद हुए थे।
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ऐसे हुआ खुलासा
गिरफ्तार राकेश मालवीय संस्कारधानी अस्पताल (Sanskardhani Hospital) में नौकरी करता था। वहीं डॉक्टर नीरज साहू आशीष अस्पताल (Ashish Hospital) में तैनात था। इसके अलावा डॉक्टर जितेंद्र सिंह ठाकुर लाइफ मेडसिटी अस्पताल (Life Medcity Hospital) में नौकरी करता था। तीनों अस्पताल से ही इंजेक्शन निकालकर उसको कालाबाजारी करने लाते थे। इन्हीं आरोपियों के दस्तावेज जांच के लिए जब्त किए गए थे। जिसमें से नीरज साहू और जितेंद्र सिंह ठाकुर (Dr Jitendra Singh Thakur) की डिग्रियां फर्जी पाई गई। ठाकुर ने अस्पताल में नौकरी के लिए बीएएमएस की डिग्री पेश की थी। एमईएच अल्टरनैटिव मेडिकल कॉलेज ने इन डिग्रियों को जारी करने से इंकार कर दिया। इसी तरह नीरज साहू की डिग्री बीएमएलटी की डिग्री जारी हुई थी। जिसमें उसने कांटछाट कर उसको बीएएमएस कर दिया था।
नया मुकदमा दर्ज करने की तैयारी
एसटीएफ को पड़ताल में मालूम हुआ है कि नीरज साहू (Dr Neeraj Sahu) ने लैब टैक्निशियन का कोर्स किया था। जिसमें उसको 10 हजार रुपए सैलरी मिलती। अधिक सैलरी के लिए उसको आरएमओ बनना जरुरी था। इसके लिए बीएएमएस की डिग्री चाहिए थी। जबकि जितेंद्र सिंह ठाकुर ने बीएएमएस का चौथा सेमेस्टर पूरा ही नहीं किया। वह परीक्षा में फैल हो गया था। पेपर देकर डिग्री हासिल करने की बजाय वह इस मामले में चुपचाप रहा। अब इस नए खुलासे के बाद अस्पताल प्रबंधन ने एसटीएफ को आवेदन उनके संबंध में पेश कर दिया है। जिसके बाद जालसाजी का एक नया केस दर्ज करने की जबलपुर एसटीएफ ने पूरी तैयारी कर ली है।