साजिश के तहत लगाया गया फर्जी आरोप, ताकि इस्तीफा दे दें सीजेआई
दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले में नया मोड़ आ गया है। एक वकील ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए पूरे मामले को षड़यंत्र बताया है। वकील उत्सव सिंह बैंस के मुताबिक सीजेआई पर साजिश के तहत फर्जी आरोप लगाया गया है। ताकि वे अपने पद से इस्तीफा दे दें। इस दावे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्सव सिंह बैंस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले की ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े अति महत्वपूर्ण’ विषय के तौर पर सुनवाई की जा रही है। उत्सव सिंह ने सोमवार को शपथपत्र दायर करते हुए ये दावा किया था। उसने ये भी कहा था कि आरोप लगाने वाली महिला का केस लड़ने के लिए उसे 1.5 करोड़ रुपए का ऑफर भी दिया गया था। इसकी एवज में उसे महिला के पक्ष में एक प्रेस वार्ता भी आयोजित करनी थी। मंगलवार को इस मामले में जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली तीन जजों की बैंच ने सुनवाई की और बैंस से जवाब मांगा। जस्टिस अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बैंच इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को करेगी।
ये है मामला
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। आरोप लगाने वाली महिला सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी है। उसने सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को पत्र लिखकर ये आरोप लगाए है। हालांकि चीफ जस्टिस ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का जवाब देने के लिए इतना नीचे उतरना चाहिए’। उन्होंने ये कहकर भी चौंका दिया कि अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई है, इसलिए जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए गए। सीजेआई ने कहा कि था कि
‘क्या 20 सालों की सेवा का यहीं ईनाम है ? मेरे खाते में महज 6 लाख 80 हजार रुपए है। कोई भी चैक कर सकता है। कोई मुझे पैसों के मामले में नहीं पकड़ सकता हैं, लोग कुछ ढूंढ़ना चाहते है और उन्हें ये मिला। कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी, वे सीजेआई के दफ्तर को बेअसर करना चाहते है’
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महिला द्वारा जजों को भेजी गई चिठ्ठी का शनिवार को खुलासा हो गया था। जिसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में विशेष सुनवाई हुई। सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ आरोपों पर एक अलग बेंच सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बेहद गंभीर खतरे में है।
जस्टिस गोगोई ने इस मामले में ये भी कहा कि ”मैने आज कोर्ट में बैठने का ये असामान्य और असाधारण कदम उठाया क्यों कि चीजें हाथ से निकल गई हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता हैं। मैं इस कुर्सी पर बैठकर बिना किसी डर के अपने न्यायिक कार्यों का निर्वहन करूंगा”