यौन उत्पीड़न के आरोप पर बोले सीजेआईः खतरे में हैं न्यायपालिका की स्वतंत्रता

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‘आरोपों के पीछे बड़ी ताकत, सीजेआई दफ्तर को करना चाहते है बेअसर’

सीजेआई रंजन गोगोई

दिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। आरोप लगाने वाली महिला सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी है। उसने सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को पत्र लिखकर ये आरोप लगाए है। हालांकि चीफ जस्टिस ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का जवाब देने के लिए इतना नीचे उतरना चाहिए’। उन्होंने ये कहकर भी चौंका दिया कि अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई है, इसलिए जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए गए। सीजेआई ने कहा कि

‘क्या 20 सालों की सेवा का यहीं ईनाम है ?  मेरे खाते में महज 6 लाख 80 हजार रुपए है। कोई भी चैक कर सकता है। कोई मुझे पैसों के मामले में नहीं पकड़ सकता हैं, लोग कुछ ढूंढ़ना चाहते है और उन्हें ये मिला। कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी, वे सीजेआई के दफ्तर को बेअसर करना चाहते है’

महिला द्वारा जजों को भेजी गई चिठ्ठी का शनिवार को खुलासा हो गया। जिसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में विशेष सुनवाई हुई। सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ आरोपों पर एक अलग बेंच सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बेहद गंभीर खतरे में है। इस बेंच का गठन उस वक्त किया गया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगने की बात अधिकारियों को बताई। सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल सुधाकर कलगांवकर ने बताया कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ‘ इसमें कोई शक नहीं है कि ये दुर्भावनापूर्ण आरोप हैं, लेकिन इस पर सुनवाई होगी’

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जस्टिस गोगोई ने इस मामले में ये भी कहा कि ”मैने आज कोर्ट में बैठने का ये असामान्य और असाधारण कदम उठाया क्यों कि चीजें हाथ से निकल गई हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता हैं। मैं इस कुर्सी पर बैठकर बिना किसी डर के अपने न्यायिक कार्यों का निर्वहन करूंगा”

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