भाजपा में नहीं जाएंगे पायलट, वरिष्ठ पत्रकार ने कहा- ठंडा करके खाना था

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राजस्थान की सियासी उठापटक के बीच पायलट का यू-टर्न

Sachin Pilot U turn
सचिन पायलट, फाइल फोटो

जयपुर। राजस्थान में उठा सियासी भूचाल कुछ समय के लिए थम सा गया है। गहलोत सरकार (Gahlot Govt) को अल्पमत में बताने वाले सचिन पायलट (Sachin Pilot) के तेवर फीके पड़ गए है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि वे भारतीय जनता पार्टी में नहीं जाएंगे। पायलट के इस बयान को यू-टर्न (U-turn) के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 30 विधायकों के साथ सियासी उड़ान भरने का दावा करने वाले पायलट का प्लेन क्रैश हो गया है। पायलट पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी (Om Thanvi) और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने टिप्पणी की है।

कुछ नेता अफवाह को हवा दे रहे है

राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट ने बुधवार को कहा कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। पायलट ने न्यूज एजेंसी के साथ विशेष बातचीत में यह भी कहा कि उन्होंने कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता में वापस लाने के लिए बहुत मेहनत की थी। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं भाजपा में शामिल नहीं हो रहा हूं।’’ पायलट का कहना था कि राजस्थान के कुछ नेता इन अफवाहों को हवा दे रहे हैं कि मैं भाजपा में शामिल होने जा रहा हूं, जबकि यह सच नहीं है।

दोनों प्रमुख पदों से हटाए जाने के बाद पायलट ने पहली बार सार्वजनिक रूप से इतनी विस्तृत टिप्पणी की है। माना जा रहा है कि वह जल्द ही अपने अगले कदम के बारे में कोई निर्णय करेंगे। गौरतलब है कि अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती रुख अपनाने वाले पायलट एवं उनके साथी नेताओं के खिलाफ कांग्रेस ने मंगलवार को कड़ी कार्रवाई की। पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया । दो समर्थक मंत्रियों को भी उनके पदों से हटा दिया गया।

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वरिष्ठ पत्रकार की टिप्पणी

सचिन पायलट की इस सियासी चाल पर वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व कुलपति ओम थानवी ने टिप्पणी की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि-

‘मजा देखिए कि जो लोग राजस्थान को नहीं जानते, वे यहाँ की राजनीति लोगों को समझा रहे हैं। अंगरेजी पत्रकार कहते हैं कि ने 6 साल राज्य में खूब मेहनत की। वे यह नहीं बताते कि जब भाजपा वाले खुद वसुंधरा को हराने में लगे थे, तब भी सचिन पार्टी को बहुमत तक नहीं दिला सके थे।’

‘सचिन पायलट को इतने साल राजस्थान में आते-जाते इतनी बात न समझ सके कि पहली ही बार विधायक बन कर उप-मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख दोनों पद पा लेना मामूली बात नहीं थी। राजस्थानी में कहावत है — ठंडा कर-कर के खाना चाहिए। पर राजस्थानी साफ़ा भर पहन लेने से राजस्थान समझ में कहाँ आता है?’

‘सचिन की सबसे बड़ी ख़ामी यह है उनके पास कोई विचारधारा ही नहीं। जबकि गहलोत के पास गांधी की समझ है। वे राजस्थान को आर-पार से समझते हैं। सचिन की राजस्थानी राम-राम सा से आगे नहीं गई। और अंततः जयश्री राम ही बोल बैठे।’

सब्र रखना चाहिए था

वहीं सचिन पायलट के इस रुख पर दुख जताते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्हें सब्र रखना चाहिए था। पार्टी ने सचिन को 26 साल की उम्र में सांसद बनाया। फिर केंद्रीय मंत्री बनाया। राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और उप मुख्यमंत्री भी बनाया। इतना कुछ मिलने के बाद उन्हें सब्र रखना चाहिए था।

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