Mob Lynching Case : पहलू खान के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, FIR रद्द करने के आदेश

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पहलू खान के बेटे और पिकअप ड्राइवर की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया आदेश

पहलू खान

जयपुर। वर्ष 2017 में राजस्थान में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) का शिकार हुए पहलू खान (Pehlu Khan) के मामले में हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने पहलू खान, उसके दो बेटों और ड्राइवर के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने के आदेश सुनाए है। पुलिस ने सभी के खिलाफ गौ तस्करी की धारा के तहत मामला दर्ज किया था। मामला दर्ज किए जाने के खिलाफ पहलू खान के बेटे इरशाद और ड्राइवर खान मोहम्मद ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हरियाणा (Haryana) के नूंह (Nooh) में रहने वाले पहलू खान 1 अप्रैल 2017 को राजस्थान के जयपुर (Jaipur) से गाय खरीदकर ला रहे थे। पहलू खान के साथ उनके बेटे आरिफ और इरशाद साथ थी। पिकअप गाड़ी उनका ड्राइवर खान मोहम्मद चला रहा था। शाम करीब 6 बजे बहरोड़ पुलिया के पास लोगों ने उनकी गाड़ी रुकवा ली थी।

गौ तस्करी के शक में भीड़ ने पहलू खान समेत सभी पर हमला कर दिया। पहलू खान को बहुत गंभीर चोटे आई थी। उन्हें पास के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 4 अप्रैल 2017 को पहलू खान ने तम तोड़ दिया था। जिसके बाद ये मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा।पुलिस ने पहलू खान के बयान के आधार पर 6 नामजद और 200 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। साथ ही पुलिस ने पहलू खान, उनके बेटों और ड्राइवर के खिलाफ भी गौ तस्करी की एफआईआर दर्ज की थी। जबकि पहलू खान के बेटों का कहना था कि वे गौ तस्करी नहीं कर रहे थे। उन्होंने जयपुर से गाय खरीदीं थी। जिन्हें लेकर वो अपने घर जा रहे थे। मारपीट करने वालों को उन्होंने गाय खरीदने के दस्तावेज भी दिखाए थे। लेकिन भीड़ नहीं मानी।

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पहलू खान की मौत के मामले में पुलिस ने नामजद आरोपी विपिन यादव, रविंद्र यादव, कालूराम यादव, दयानंद यादव और योगेश कुमार खाती के खिलाफ 31 मई 2017 को चार्जशीट पेश की थी। बाद में भीम राठी को भी आरोपी बनाते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। इनमें से तीन आरोपियों को नाबालिग मानते हुए केस जुवेनाइल कोर्ट में चालान पेश किया गया था।

मामले में कोर्ट में पुलिस आरोप साबित नहीं कर पायी। लिहाजा संदेश का लाभ देते हुए कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार की बहुत किरकिरी हुई। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने एसआईटी गठित कर दोबारा जांच शुरु कराई है।

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